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छत्तीसगढ़ सरकार को मिली अंतरिम राहत के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, तीन जजों की बेंच ने कहा...

छत्तीसगढ़ सरकार को मिली अंतरिम राहत के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, तीन जजों की बेंच ने कहा...
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Supreme Court

By Manoj Vyas

नई दिल्ली ब्यूरो. छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मसले पर राज्य सरकार को मिली अंतरिम राहत के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई है. शीर्ष अदालत ने इस बात पर आपत्ति जताई कि समर वेकेशन के बाद एसएलपी पर जब विस्तृत सुनवाई करने वाले थे, फिर अंतरिम राहत के लिए याचिका क्यों लगाई गई? इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

राज्य सरकार को आरक्षण पर मिले 58% अंतरिम राहत के खिलाफ विवेक कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता पूजा धर के माध्यम से याचिका दाखिल की थी. इसमें राज्य सरकार को आरक्षण के मसले पर दी गई अंतरिम राहत तत्काल समाप्त करने की मांग की गई. साथ ही, यह भी बताया गया कि एक मई को जारी आदेश में भर्ती प्रक्रिया व प्रवेश प्रक्रिया के लिए कोई भी स्पष्टता नहीं है. यह स्पष्ट नहीं बताया गया है कि अंतरिम राहत सिर्फ पुरानी भर्तियों के लिए है या नई भर्ती प्रक्रिया के लिए भी है. जो प्रक्रिया हाईकोर्ट के जजमेंट आने तक लंबित थी, उस पर ही लागू होगी या फिर उसके बाद की नई भर्ती प्रक्रिया पर भी लागू हो सकती है. क्या यह राज्य स्तर की भर्तियों के लिए है या जिला स्तर की भर्तियों के लिए भी लागू है.

मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस संजय तरुण की बेंच में हुई. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब हम समर वेकेशन के बाद इस एसएलपी पर विस्तृत तरीके से सुनवाई करने ही वाले हैं तो फिर अंतरिम राहत की क्या आवश्यकता है? यह याचिका बेवजह क्यों लगाई गई है. इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को मिली अंतरिम राहत के खिलाफ अंतरिम राहत पाने के लिए लगी याचिका को सिरे से खारिज कर दी.

बता दें कि राज्य सरकार द्वारा 2012 से प्रदेश में लागू 58% आरक्षण को हाईकोर्ट ने 19 सितंबर 2022 के आदेश में असंवैधानिक बता दिया था. इसके खिलाफ गुरु घासीदास साहित्य अकादमी व राज्य सरकार ने राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में सुनवाई करते हुए एक मई को सुप्रीम कोर्ट ने 58% आरक्षण पर अंतरिम राहत प्रदान की थी. साथ ही, समर वेकेशन के बाद इस पर सुनवाई का निर्णय लिया था. इस फैसले के बाद प्रदेश में रुकी हुई भर्तियां व प्रवेश परीक्षाएं शुरू कर दी गई है. आरक्षण विवाद के कारण जिन पदों पर भर्ती प्रक्रिया संपन्न होने के बाद भी नतीजे जारी नहीं हो पाए थे, उसके लिए भी कवायद की जा रही है.

Manoj Vyas

मनोज व्यास : छत्तीसगढ़ में 18 साल से पत्रकारिता में सक्रिय, सभी प्रमुख संस्थाओं में दी सेवाएं, इसी दौरान हरिभूमि समाचार पत्र से जुड़े। इसके बाद दैनिक भास्कर में सिटी रिपोर्टर के रूप में जॉइन किया। नौकरी के साथ-साथ गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय से एमएमसीजे की पढ़ाई पूरी की। न्यायधानी के बाद राजधानी का रुख किया। यहां फिर हरिभूमि से शुरुआत की और नेशनल लुक, पत्रिका, नवभारत, फिर दैनिक भास्कर होते हुए भविष्य की पत्रकारिता का हिस्सा बनने के लिए NPG.News में बतौर न्यूज एडिटर जॉइन किया। इस बीच नवभारत के भुवनेश्वर, ओडिशा एडिशन में एडिटोरियल इंचार्ज के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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