मूंछ के बाद कान पर दांव : कवासी लखमा ने कहा - कांग्रेस की सरकार नहीं बनी तो भगत मूंछ ही नहीं, कान भी कटा लेंगे; शिवरतन ने दे दी नई चुनौती
20 साल पहले दिलीप सिंह जूदेव ने अपनी मूंछें दांव पर लगाई थी. उस समय भाजपा की सरकार बनी थी. अब मूंछ के साथ बाल और कान भी दांव पर है.
रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजनीति में 20 साल बाद फिर मूंछ की चर्चा है और नेता अपनी मूंछों पर ताव ही नहीं दे रहे बल्कि नए नए दांव भी खेल रहे हैं. भाजपा के बड़े आदिवासी नेता रामविचार नेताम ने बुधवार को सीनियर मोस्ट आदिवासी नेता नंदकुमार साय के बालों को दांव पर लगाकर चर्चा की शुरुआत की और थोड़ी देर बाद ही भूपेश सरकार के मंत्री अमरजीत भगत ने अपनी मूंछों को दांव पर लगा दिया.
बात यहां खत्म नहीं हुई. भूपेश सरकार के एक अन्य आदिवासी मंत्री कवासी लखमा ने कह दिया कि भगत अपनी बात के पक्के हैं. उनसे बात हुई है. कांग्रेस की सरकार नहीं बनी तो भगत न सिर्फ अपनी मूंछें ही नहीं बल्कि अपनी कान भी कटवा लेंगे. मसखरी के अंदाज में यह कहते हुए लखमा सदन के भीतर चले गए.
इसी मुद्दे पर भाजपा के विधायक शिवरतन शर्मा का बयान आया और उन्होंने कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती पेश कर दी. शिवरतन शर्मा ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास कथनी और करनी में अंतर का इतिहास है. इनने जो कहा, वो कभी किया नहीं. 2023 में यह तय है कि नवंबर में कांग्रेस की सरकार बदलेगी और भाजपा की सरकार बनेगी.
पर ये मूंछ नहीं मुड़ाने वाले हैं, खाली बातों का जमा खर्च है. भाजपा के नेता दिलीप सिंह जूदेव ने मूंछ दांव पर लगाई थी. और उनका सार्वजनिक स्टेटमेंट आया था कि भाजपा की सरकार नहीं आई तो मैं मूंछ मुड़ाने के बजाय शूट कर लूंगा. वो हिम्मत इनमें किसी में नहीं है.
क्या है मूंछों का मसला
वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना. 2003 में पहली बार चुनाव हुए. उस समय दिलीप सिंह जूदेव ने कहा था कि भाजपा की सरकार नहीं आई तो वे अपनी मूंछें मुड़ा देंगे. तब जूदेव केंद्र में अटल सरकार में मंत्री थे. घर वापसी अभियान के लिए वे देश के चर्चित नेता थे. मूंछ मुड़ाने का बयान काफी चर्चा में आया था. आखिरकार छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी थी. वैसे इसी दौरान एक और घटना काफी उल्लेखनीय है. एक वीडियो, जिसमें जूदेव कह रहे हैं कि पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं. इसके लिए उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. बाद में वे कथित रिश्वत के मामले से बरी हो गए थे.
एक और जूदेव चर्चा में
अमरजीत भगत द्वारा मूंछें मुड़ाने के बयान पर स्व. दिलीप सिंह जूदेव के बेटे प्रबल प्रताप जूदेव ने सरगुजा में कांग्रेस को हराने की चुनौती दी है. हालांकि चर्चा में एक और जूदेव हैं. इनका नाम है रणविजय सिंह जूदेव. रणविजय सिंह जूदेव ने 2013 में ऐलान किया था कि यदि भाजपा जशपुर जिले की तीनों सीटों पर नहीं जीती तो उनके नाम पर कुत्ता पाल लें. यह बड़ी चुनौती थी, क्योंकि यहां पत्थलगांव को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. हालांकि, इस चुनाव में भाजपा तीनों सीटें जीतने में कामयाब रही.