CG में शिविरों में आंख के ऑपरेशन नहीं : छत्तीसगढ़ में लक्ष्य से ज्यादा मोतियाबिंद ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों का सम्मान, कवर्धा को मिली बड़ी उपलब्धि
रायपुर. छत्तीसगढ़ में अब शिविरों में आंख के ऑपरेशन नहीं किए जाएंगे. हेल्थ डायरेक्टर भीम सिंह ने राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्पदृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए हैं. इस बैठक में 2025 तक छत्तीसगढ़ को कॉर्नियल दृष्टिहीनता मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस दौरान अपेक्षित लक्ष्य से ज्यादा मोतियाबिंद ऑपरेशन करने वाले रायपुर, सूरजपुर और बलौदाबाजार के डॉक्टरों को सम्मानित किया गया.
राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान हेल्थ डायरेक्टर भीम सिंह ने नेत्र सेवाओं के क्षेत्र में सफलतापूर्वक सेवा देने और शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल करने पर राज्य नोडल अधिकारी व सभी जिलों के नोडल अधिकारियों की सराहना की. बैठक में राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने चालू वित्तीय वर्ष की कार्ययोजना व संसाधनों की आवश्यकता की जानकारी दी. बैठक में नेत्र सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने और शिविरों में आपरेशन नहीं करने के निर्देश दिए गए. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बैठक में बताया कि राज्य में पिछले वित्तीय वर्ष में कुल एक लाख 35 हजार 113 मोतियाबिंद ऑपरेशन किए गए हैं. यह संख्या प्रदेश में एक वर्ष में अब तक किए गए मोतियाबिंद ऑपरेशन में सर्वाधिक है. भारत सरकार द्वारा मोतियाबिंद आपरेशन का वास्तविक लक्ष्य एक लाख सात हजार 800 व राज्य स्तर पर एक लाख 25 हजार रखा गया था. इसके साथ ही 32 हजार 603 अन्य नेत्र रोग के ऑपरेशन भी किए गए हैं. अपेक्षित लक्ष्य के विरुद्ध सर्वाधिक मोतियाबिंद ऑपरेशन में रायपुर जिला पहले, सूरजपुर दूसरे और बलौदाबाजार-भाटापारा जिला तीसरे स्थान पर रहा. तीनों को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया.
बैठक में शासकीय अस्पतालों (जिला चिकित्सालय/सिविल अस्पताल/सीएचसी) में अपेक्षित लक्ष्य के विरुद्ध सर्वाधिक मोतियाबिंद ऑपरेशन करने वाले जिला चिकित्सालयों को भी प्रतीक चिह्न से सम्मानित किया गया. इनमें धमतरी जिला प्रथम, रायगढ़ द्वितीय और बलौदाबाजार-भाटापारा तीसरे स्थान पर रहा.
राज्य में सबसे अधिक संख्या में नेत्र ऑपरेशन करने वाली जगदलपुर जिला चिकित्सालय की डॉ. सरिता निर्मल, द्वितीय स्थान पर रायगढ़ जिला चिकित्सालय की डॉ. मीना पटेल व तीसरे स्थान पर धमतरी जिला चिकित्सालय के डॉ. जेएस खालसा को भी सम्मानित किया गया. ज्यादा संख्या में ऑपरेशन करने वाले सर्जनों डॉ. रोजश सूर्यवंशी, जिला चिकित्सालय धमतरी, डॉ. आरएस सेंगर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोरिया, डॉ. तेरस कंवर, जिला चिकित्सालय सूरजपुर, डॉ आर. मेश्राम, जिला चिकित्सालय रायगढ़, डॉ. आर.के. अवस्थी, सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक बलौदाबाजार-भाटापारा, डॉ. प्रभा सोनवानी, सिम्स मेडिकल कालेज बिलासपुर और डॉ. तरूण कनवर, जिला चिकित्सालय बीजापुर को स्मृति चिह्न से सम्मानित किया गया.
प्रदेश में अब तक नेत्रदान के 400 लक्ष्य के विरुद्ध 244 नेत्रदान हुए हैं. राज्य में 6 नेत्र बैंक और 4 कॉर्निया प्रत्यारोपण केंद्र पंजीकृत हैं, जिनको जिला आबंटित कर दिया गया है. संबंधित केन्द्र द्वारा चिन्हित रोगियों के परीक्षण पश्चात उपयुक्त होने पर प्राप्त कॉर्निया का प्रत्यारोपण किया जा रहा है. ‘‘कॉर्नियल दृष्टिहीनता मुक्त राज्य योजना’’ के अंतर्गत वर्ष 2025 तक राज्य को कॉर्नियल दृष्टिहीनता मुक्त बनाने का लक्ष्य है. छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जहां शासकीय अस्पतालों द्वारा नेत्र रोग से पीड़ित मरीजों को घर से अस्पताल व अस्पताल से घर लाने-ले जाने के लिए अतिरिक्त व्यवस्था की गई है.
समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक भोसकर विलास संदिपान, महामारी नियंत्रण के संचालक एवं अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी व जिलों से आए विशेषज्ञ डॉक्टर भी शामिल हुए.
7 जिले केटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री
राज्य में राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान के अंतर्गत सात जिलों ने केटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री (Cataract Blindness Backlog Free) स्टेटस प्राप्त किया है. कबीरधाम यह स्टेटस हासिल करने वाला देश का पहला जिला है. रायपुर, बलौदाबाजार-भाटापारा, रायगढ़, धमतरी, राजनांदगांव और बालोद ने भी यह स्टेटस प्राप्त कर लिया है.