CG नया PCCF कौन : संजय शुक्ला के वीआरएस लेने के बाद पीसीसीएफ के लिए 8 दावेदार, जानें कौन-कौन हैं रेस में
रायपुर. छत्तीसगढ़ में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) और वन बल प्रमुख संजय शुक्ला रेरा चेयरमैन बनाए गए हैं. उनकी नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया गया है. अब नए पीसीसीएफ के लिए चर्चा शुरू हो गई है. साथ ही, जोड़-तोड़ भी शुरू हो गया है.
NPG.News के चर्चित कॉलम में पहले ही यह जानकारी प्रकाशित की जा चुकी है कि संजय शुक्ला रेरा के चेयरमैन बनाए जाएंगे. इसके बाद पीसीसीएफ के लिए सात दावेदार हैं या सात नामों की चर्चा है. पीसीसीएफ शुक्ला से सीनियर अतुल कुमार शुक्ला (1986 बैच) फिलहाल सीआईडीसी के एमडी के रूप में पदस्थ हैं. वे अगस्त महीने में रिटायर होंगे. वे पीसीसीएफ बनाए जाएंगे, ऐसी कोई चर्चा फिलहाल नहीं है.
पीसीसीएफ के लिए जिन नामों की चर्चा है, उनमें पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ की जिम्मेदारी संभाल रहे सुधीर अग्रवाल, आशीष कुमार भट्ट, तपेश झा, संजय ओझा, अनिल कुमार राय, अनिल कुमार साहू और वी. श्रीनिवास राव शामिल हैं. झा, ओझा और राय हाल ही में पीसीसीएफ के पद पर प्रमोट हुए हैं. हालांकि अनिल साहू और वी. श्रीनिवास राव फिलहाल पीसीसीएफ प्रमोट नहीं हुए हैं. दोनों को पीसीसीएफ का ग्रेड मिला है.
प्रभारी पीसीसीएफ बैठाएंगे?
क्या छत्तीसगढ़ में कुछ महीनों के लिए प्रभारी पीसीसीएफ बनाया जा सकता है? यह चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि अनिल साहू और वी. श्रीनिवास राव को महत्वपूर्ण दावेदार माना जा रहा है. दोनों फिलहाल पीसीसीएफ प्रमोट नहीं हुए हैं, लेकिन यदि कुछ महीने का इंतजार किया जाए तो अगस्त में अतुल शुक्ला और जून में आशीष भट्ट रिटायर हो जाएंगे. इससे पीसीसीएफ के दो पद खाली होंगे.
ऐसी स्थिति में उन्हें आसानी से पीसीसीएफ बनाया जा सकेगा. अभी जब दोनों के नाम की चर्चा होती है तो आधा दर्जन अफसरों को ओवरलुक करने का मामला आएगा. दो के रिटायर होने के बाद चार ही रह जाएंगे. हालांकि उत्तराखंड में पीसीसीएफ की नियुक्ति को लेकर जो परिस्थितियां बनी थी, उस पर ध्यान दें तो सीनियर अधिकारी को मौका मिल सकता है.
उत्तराखंड में सबसे सीनियर आईएफएस ने पीसीसीएफ पद से हटाकर जूनियर को बैठाने के फैसले को पहले कैट, फिर हाईकोर्ट में चुनौती दी. इसके बाद उन्हें वापस पीसीसीएफ बनाया गया. 16 महीने की कानूनी लड़ाई के बाद इसी महीने वापस पीसीसीएफ के पद पर नियुक्ति मिली है.
हालांकि छत्तीसगढ़ में अभी तक ऐसा कोई वाकया नहीं आया है, जब राज्य सरकार के फैसले के विरुद्ध किसी अधिकारी ने चुनौती दी है. प्रमुख पदों पर सरकार अपनी इच्छा से नियुक्ति करती रही है.