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CG आरक्षण और असमंजस: राज्यपाल जवाब का इंतजार कर रहीं, सीएम बोले- वे जिद पर अड़ीं तो भेज देंगे, पढ़ें क्या कहते हैं विशेषज्ञ...

छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मसले पर संशोधन विधेयक पारित हुए 20 दिन हो गए पर राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है।

CG आरक्षण और असमंजस: राज्यपाल जवाब का इंतजार कर रहीं, सीएम बोले- वे जिद पर अड़ीं तो भेज देंगे, पढ़ें क्या कहते हैं विशेषज्ञ...
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By NPG News

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण के संबंध में संशोधन विधेयक पारित हुए 20 दिन बीत गए हैं, लेकिन राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलने के कारण यह लागू नहीं हो पाया है। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राज्य सरकार से जिन दस बिंदुओं पर जानकारी मांगी है, वह अब तक नहीं मिली है। राज्यपाल का कहना है कि जवाब मिलने पर विचार करेंगी। इधर, सीएम भूपेश बघेल ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्यपाल जिद पर अड़ी हैं तो हम जवाब भेज देंगे। युवाओं के हित में कानून लागू होना जरूरी है। NPG.News ने इस मसले पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव और संविधानविद देवेंद्र वर्मा से बातचीत की। संसदीय परंपराओं के जानकार देवेंद्र वर्मा क्या कहते हैं, यह जानने से पहले पढ़ें अब तक क्या हुआ...

राज्यपाल ने कहा विधेयक पारित होते ही करुंगी दस्तखत

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा था कि वे विधानसभा में विधेयक की मंजूरी के तत्काल बाद दस्तखत करेंगी। दो दिसंबर को विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित हुआ। इसमें एसटी के लिए 32, एससी के लिए 13, ओबीसी के लिए 27 और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 प्रतिशत मिलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। इससे पहले आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 58 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक बताया है। विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे सहित पांच मंत्री राज्यपाल के पास पहुंचे और विधेयक पारित होने की जानकारी दी। राज्यपाल ने कहा कि वे अपने विधि सलाहकार से अभिमत लेंगी।

राज्यपाल ने बाद में मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने आदिवासियों के आरक्षण के संबंध में तत्काल फैसला लेने के लिए कहा था, लेकिन सरकार ने सभी के संबंध में निर्णय लिया। वे नहीं चाहतीं कि विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद कोई कानूनी पेंच आए, इसलिए वे सभी बिंदुओं पर जानकारी ले रही हैं। इसी बीच राजभवन की ओर से राज्य शासन से 10 बिंदुओं पर जानकारी मंगाई गई। इस पर सीएम भूपेश बघेल का बयान आया कि यह गलत है। राज्यपाल इस तरह जानकारी नहीं मांग सकतीं। उन्होंने आरोप लगाया कि एकात्म परिसर से राजभवन चल रहा है।

इस बीच राज्यपाल उइके दिल्ली दौरे पर गईं। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। बुधवार को दिल्ली दौरे से लौटने के बाद राज्यपाल ने बताया कि दिल्ली में उनकी राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति से मुलाकात हुई। उन्होंने छत्तीसगढ़ की सभी गतिविधियों पर बातचीत की और आरक्षण के मसले पर भी चर्चा की। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से जिन 10 बिंदुओं पर जवाब मांगा है, उसके मिलने के बाद विचार करेंगी।

इधर, मीडिया से बातचीत में सीएम बघेल ने कहा कि राज्यपाल ने किनसे मुलाकात की, यह उनकी जानकारी में नहीं है, लेकिन विधेयक पर जल्दी हस्ताक्षर कर देना चाहिए। यह छात्रों व युवाओं के भविष्य का सवाल है। बहुत सारी भर्तियां होनी हैं, उसमें वह लागू होना है। हाईकोर्ट का भी आदेश आ गया है। ऐसे में जब हम लोगों ने नया आरक्षण बिल लाकर विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित कर दिया है तो उसे तत्काल हस्ताक्षर कर देना चाहिए। सीएम ने कहा, यह उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर है, लेकिन वे उसी पर अड़ी हुई हैं तो हम उसका जवाब भेज देंगे।

संविधानविद देवेंद्र वर्मा ने कहा...

"छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मसले पर राज्यपाल ने राज्य सरकार से जिन दस बिंदुओं पर जानकारी मांगी है, वह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। विधानसभा से विधेयक पारित होने के पश्चात विषय राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच का नहीं, बल्कि विधानसभा और राज्यपाल के बीच का होता है। राज्यपाल ने जिन दस बिंदुओं पर जानकारी मांगी है, उसका जवाब देने के लिए राज्य सरकार बाध्य नहीं है। यदि राज्य सरकार जवाब देती है तो नई उलझन पैदा हो जाएगी, क्योंकि विधानसभा और राज्यपाल के बीच कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। अब यह स्थिति हो सकती है कि राज्यपाल ने जिन बिंदुओं पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है, उन्हीं बिंदुओं को सम्मिलित करते हुए अपने संदेश के साथ विधानसभा को संशोधन विधेयक लौटा दें कि इन बिंदुओं शामिल कर चर्चा या विचार करें।''

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