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बंद कमरे में क्या हुआ? भाजपा की रिसॉर्ट मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारियों का विकेंद्रीकरण, इसी महीने नियुक्तियां; आंदोलनों में...

छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर नहीं पहुंच सके। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह भी शामिल नहीं हो पाए।

बंद कमरे में क्या हुआ? भाजपा की रिसॉर्ट मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारियों का विकेंद्रीकरण, इसी महीने नियुक्तियां; आंदोलनों में...
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By NPG News

रायपुर। भाजपा की पहली रिसॉर्ट मीटिंग ने मीडिया की जोरदार सुर्खियां बटोरीं। राजधानी से करीब 100 किलोमीटर दूर गंगरेल डैम के पास बने रिसॉर्ट को भाजपा ने बैठक के लिए चुना गया था। बैठक में चुनिंदा 28 लोग शामिल हुए। प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर नहीं आ सके। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह भी नई दिल्ली स्थित मेदांता हॉस्पिटल में पैरों के अंगूठे का ऑपरेशन कराने गए थे। इसलिए शामिल नहीं हो सके। चुनिंदा लोगों की मौजूदगी में सौ किलोमीटर दूर हो रही बैठक को कांग्रेस ने भी गोपनीय बैठक करार दिया, जहां षड्यंत्र की आशंका जाहिर की, इसलिए इस ओर लोगों का रुझान बढ़ गया। इस बैठक को खुफिया बैठक का नाम दिया गया। वैसे यह बैठक मीडिया अटेंशन के लिए या राजधानी से अलग जगह पर एक माहौल बनाने जैसा ही था। इस बैठक में आगामी सालभर की कार्ययोजना का ब्लू प्रिंट बनाया गया है।


बंद कमरे में हुई बातचीत पर चर्चा करने से बता दें कि फिलहाल दो-तीन पुख्ता बातें हुई हैं। इसमें महिला मोर्चा का हल्ला बोल, जिसे "महतारी हुंकार रैली' नाम दिया गया है, की तारीख बदलकर 3 नवंबर से 11 नवंबर कर दी गई है। वनवासी समाज के उन जातियों को जिन्हें मात्रात्मक त्रुटियों के कारण सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा था, उन्हें शामिल करने पर मोदी सरकार का अभिनंदन समारोह करने का निर्णय लिया गया है। यह कार्यक्रम सरगुजा में होगा। एक बड़ा आंदोलन पीएम आवास के हितग्राहियों के साथ होगा। इसमें करीब 12 लाख से ज्यादा हितग्राहियों तक भाजपा पहुंचेगी। यह आंदोलन दुर्ग संभाग में हो सकता है। किसानों की परेशानियों को लेकर भी आंदोलन किया जाएगा।


(पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के दिल्ली से लौटने पर किसान नेता गौरीशंकर श्रीवास व कार्यकर्ताओं ने एयरपोर्ट पर स्वागत किया।)

अब बात बंद करने में हुई बातचीत की। इसमें चार सत्र तय किए गए थे। इसमें राजनीतिक, सामाजिक, संगठन और कार्ययोजना पर चर्चा हुई। राजनीतिक चर्चा में सभी ने हिस्सा लिया। सभी ने अपनी-अपनी बात रखी। मुख्य रूप से कांग्रेस ने घोषणा पत्र में जो वादे किए थे, उस पर बात हुई। इसमें हर घर के लिए आवास, पेंशन, राशन कार्ड, मुख्यमंत्री सड़क योजना, गौठान, स्व सहायता समूहों की कर्ज माफी जैसी बातें आईं। इसे किस तरह लोगों तक ले जाया जाएगा, इस पर भी बात हुई। इसी कड़ी में सामाजिक और धार्मिक परिदृश्य पर भी बात हुई कि कौन से समाज का रुझान किस ओर है। सरकार किस तरह से समाजों को प्रभावित कर रही है। समाज के किस वर्ग की ओर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है और कौन सा वर्ग नाराज है। समाज को कैसे भाजपा से जोड़ा जाएगा।


(बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश बुधवार को पहुंचे थे।)

संगठन के स्तर पर भी चर्चा हुई। इसमें एसटी, एससी और ओबीसी मोर्चा का प्रशिक्षण वर्ग पूरा करने के निर्देश दिए। तीनों मोर्चा अब तक प्रशिक्षण पूरा नहीं कर पाए हैं। पांच नए जिलों में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति और जिन जिलों में जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे, उन्हें इसी महीने में पूरा करने कहा गया है। लगभग दर्जनभर जिलाध्यक्षों का बदलना तय है। हालांकि कौन-कौन बदले जाएंगे, इस पर बैठक में कोई बात नहीं हुई। चर्चा के दौरान प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव की ओर से यह बात रखी गई कि जो भी एजेंडे तय किए जा रहे हैं, उन्हें संभालने के लिए सहयोगियों की जरूरत होगी। इसके लिए लगभग आधा दर्जन आंतरिक कमेटियां बनाई गई हैं, जो प्रदेश अध्यक्ष की मदद करेंगी।


(क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल राजधानी में हैं और लगातार कार्यकर्ताओं से मिल जुल रहे हैं।)

चिंतन और कार्ययोजना बैठक के सूत्रधार की भूमिका सह प्रभारी नितिन नबीन की थी। वे ही बैठक का संचालन कर रहे थे। इसके अलावा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल का मार्गदर्शन हुआ। इसमें उन्होंने समयबद्ध तरीके से सारी गतिविधियों को पूरा करने पर जोर दिया। बैठक में जो भी मुद्दे तय किए गए हैं, उनमें कब आंदोलन होना है, उसकी तारीख आगे जारी की जाएगी। बैठक के बाद जिलाध्यक्षों को बदलने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। संभवत: आने वाले कुछ दिनों में ही लिस्ट जारी कर दी जाएगी।

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