आचार्य धर्मेंद्र का निधन: राम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी संत ने अस्पताल में ली अंतिम सांस, आंत की बीमारी से पीड़ित थे

NPG ब्यूरो। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी संत और प्रखर हिंदूवादी नेता आचार्य धर्मेंद्र का सोमवार को जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में निधन हो गया। वे करीब 20 दिनों से आईसीयू में थे। उन्हें आंत की बीमारी थी। आचार्य धर्मेंद्र के निधन से शोक की लहर है। पीएम नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सहित कई नेताओं ने शोक जताया है। आचार्य धर्मेंद्र हिंदुओं के पक्ष में अपनी खरी खरी बातों के लिए जाने जाते थे। वे श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे। गौरक्षा के लिए उन्होंने 52 दिन आमरण अनशन किया था। लंबे समय तक विश्व हिंदू परिषद से जुड़े थे।
आचार्य धर्मेंद्र का जन्म गुजरात के मालवाड़ा में 9 जनवरी 1942 को हुआ था। उनके पिता महात्मा रामचंद्र वीर महाराज थे। उन्हें के आदर्शों का प्रभाव आचार्य धर्मेंद्र के भी जीवन में पड़ा। उन्होंने महज 13 वर्ष की आयु में वज्रांग नाम का समाचार पत्र निकाला था। आचार्य धर्मेंद्र ने राजस्थान को कर्मस्थली बनाया। जयपुर के दिल्ली रोड पर कोठपुतली से लगे विराटनगर में उनका मठ है। इसे पंचखंड पीठ के नाम से जाना जाता है।
आचार्य धर्मेंद्र लंबे समय तक विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे। बाबरी विध्वंस मामले में वे भी लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती आदि के साथ आरोपी थे। इस मामले में जब फैसला आने वाला था, तब आचार्य धर्मेंद्र ने कहा था कि वे आरोपी नंबर वन हैं। सजा से क्या डरना। जो किया सबके सामने किया था।
