Begin typing your search above and press return to search.

आदिवासियों का 12% आरक्षण कम: छत्तीसगढ़ भाजपा के बड़े आदिवासी नेता एक मंच पर आए, कहा- राज्य सरकार आदिवासी विरोधी

आदिवासियों का 12% आरक्षण कम: छत्तीसगढ़ भाजपा के बड़े आदिवासी नेता एक मंच पर आए, कहा- राज्य सरकार आदिवासी विरोधी
X
By NPG News

रायपुर। आरक्षण के संबंध में हाईकोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा के सभी बड़े आदिवासी नेता बुधवार को एक मंच पर आए। नेताओं ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार आदिवासी विरोधी है। एक ओर सुप्रीम कोर्ट में बड़े-बड़े वकीलों को खड़ा करती है। दूसरी ओर आरक्षण के मुद्दे पर बड़े वकीलों को खड़ा नहीं किया गया। इस वजह से 12 प्रतिशत आरक्षण कम हो गया। आदिवासी नेताओं ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार जान-बूझकर यह केस हारी है। कांग्रेस सरकार के एक मंत्री कहते हैं कि आदिवासी पंचर बनाएंगे। इसके लिए सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। प्रेस कांफ्रेंस में वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय, रामविचार नेताम, विक्रम उसेंडी, केदार कश्यप, महेश गागड़ा, विकास मरकाम आदि मौजूद थे।

राज्य सरकार के रवैए से आदिवासी समाज व्यथित

नंदकुमार साय ने कहा कि जनजाति समाज व्यथित है। प्रदेश की सरकार की ओर से अच्छे वकीलों को लगाना था। सरकार ने ध्यान नहीं दिया। 12 प्रतिशत का आरक्षण कम हुआ है, उसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। कुछ भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए बड़े बड़े वकीलों की फेहरिस्त है। जनजातियों के आरक्षण से कहीं गड़बड़ न हो जाए, इसलिए बड़े वकीलों को लगाना था, वह नहीं किया। कांग्रेस सरकार ने ध्यान नहीं दिया। 12 प्रतिशत आरक्षण कम हो गया है। यह दुखद घटना है। प्रदेश में जनजातियों का महत्व है, इसीलिए अटलबिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया था।

राज्य सरकार को लगता है कि आदिवासी समाज पंचर बनाएंगे, ऐसा मैंने सुना है। मंत्री का वर्जन है। प्रदेश की सरकार आदिवासी समाज को महत्वपूर्ण नहीं मानती। सरकार की लापरवाही निंदनीय है। जो स्थिति बनी है, उससे समाज व्यथित है। बड़े-बड़े भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए एक दिन में 50-50 लाख फीस लेने वाले वकीलों को रखा गया, लेकिन जनजातियों के हित के लिए ध्यान नहीं दिया गया। सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए कि आगे चलकर पुनर्विलोकन का मामला लगा सकते हैं क्या?

रामविचार नेताम ने कहा कि भाजपा की सरकार रहते हुए 2011 में एसटी वर्ग को 32 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। उस निर्णय के मुताबिक क्षेत्रीय आधार पर चाहे बस्तर हो या सरगुजा, वहां के एसटी पापुलेशन को स्थानीय स्तर पर जो भी नियुक्तियां होंगी, वहां स्थानीय स्तर पर आरक्षण दिया गया। 2018 तक कोई भी व्यवधान उपस्थित नहीं हुआ, लेकिन वर्तमान कांग्रेस सरकार के आते ही एसटी समाज पर खतरा मंडराने लगा है। अस्तित्व को लेकर खतरा महसूस होने लगा है। यह कहने के लिए नहीं बल्कि कहीं भी देख सकते हैं। पदोन्नति का नियम बनाने में बरसों लग गए लेकिन अब तक फाइनल नहीं कर सके। इतना बड़ा पापुलेशन छत्तीसगढ़ में है। एसटी वर्ग के आरक्षण को बचाने के लिए कितने वकीलों को लगाया, यह सरकार बताए। किसी सीनियर एडवोकेट को नहीं लाया गया। इसके पीछे कुछ न कुछ षड्यंत्र है, इस वजह से विरोध में फैसला आया।

विक्रम उसेंडी ने कहा कि 2011-12 में आदिवासियों का आरक्षण बढ़ाकर 32 प्रतिशत किया गया। वर्तमान सरकार की निष्क्रियता के कारण 12 प्रतिशत कम हो गया है। इसके लिए कांग्रेस की सरकार जिम्मेदार है। इसके खिलाफ भाजपा और आदिवासी समाज आंदोलन करेगा।

महेश गागड़ा ने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार अपना पक्ष रखने में नाकाम रही है। ऐसी स्थिति में हमारा कहना है कि सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए।

केदार कश्यप ने कहा कि डॉॅ. रमन सिंह की सरकार में सभी आदिवासी नेताओं ने कोशिश की थी, जिसे नाकाम करने का काम कांग्रेस की सरकार ने किया है। सरकार को यह बताना चाहिए कि सीएम ने आदिवासियों के संबंध में कितनी बार, किन-किन वकीलों के साथ बैठक की है। अब सरकार कह रही है कि सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे, फिर हाईकोर्ट में क्यों पक्ष नहीं रखा। सरकार की प्राथमिकता क्या है, यह तय करना चाहिए। सरकार आदिवासी विरोधी है। इनके मंत्रीगण चाहते हैं। उनका जवाब आया है कि वे आदिवासी समाज को पंचर बनाते देखना चाहते हैं। ऐसे लोग शासन कर रहे हैं। इसके लिए सीएम को माफी मांगनी चाहिए। राज्य सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता उजागर हो गई है।

Next Story