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CG ब्रेकिंग खबर: SP समेत 3 IPS हाईकोर्ट में पेश, एक आईपीएस इसलिए नहीं पहुंचे...

CG ब्रेकिंग खबर: SP समेत 3 IPS हाईकोर्ट में पेश, एक आईपीएस इसलिए नहीं पहुंचे...
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By NPG News

बिलासपुर। एनडीपीएस के एक मामले में ट्रायल में विवेचना अधिकारी गवाही देने नही पहुँच रहे। जिसके चलते युवक की जमानत नही हो पा रही। मामले में नोटिस भेज कर हाईकोर्ट ने 2019से लेकर अब तक सरगुजा में एसपी रहे सभी आईपीएस अफसरों से जवाब मांगा था। नोटिस के परिपालन में तीन आईपीएस आज हाईकोर्ट में उपस्थित हुए तो वही एक ने अपना शपथ पत्र पेश किया।

मामला 23 जुलाई 2018 का है। सरगुजा पुलिस ने नशीला समान बेचने के आरोप में देवेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया था। उसने निचली अदालत में जमानत याचिका लगाई थी जो निरस्त हो गई फिर उच्च न्यायालय में याचिका लगाई उसमे भी उच्च न्यायालय ने उसकी जमानत अर्जी निरस्त कर दी। तब से देवेंद्र सिंह जेल में हैं और ट्रायल में दोष मुक्त होने का इंतजार कर रहा है। ट्रायल कोर्ट ने विवेचना अधिकारी और तत्कालीन सब इंस्पेक्टर चेतन सिंह चंद्राकर को गवाही के लिए नोटिस जारी किया पर वह उपस्थित नही हुए। ट्रायल कोर्ट में चार्ज लगने के बाद मामला 2019 से शुरू हुआ है। 2019 से 20 तक मामले में सब इंस्पेक्टर के नाम से समंस जारी किया जाता रहा पर एसआई उपस्थित नही हुए। उसके बाद 2020 से लेकर अब तक एसआई के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया जा रहा है पर फिर भी एसआई को अदालत में पुलिस नही पेश कर सकी। मामले में अब तक 45 बार पेशी हो चुकी है जिसमे से 30 बार समंस व 15 बार गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है पर सब इंस्पेक्टर चेतन सिंह चंद्राकर न खुद पेश हुए न उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस ने पेश किया जिससे ट्रायल अटका हुआ है व आरोपी देवेंद्र सिंह अब तक जेल में रहने को मजबूर हैं।

देवेंद्र सिंह के अधिवक्ता रोहिताश्व सिंह ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर बताया कि विवेचना अधिकारी के प्रस्तुत न होने से उनका मुवक्किल चार सालों से जेल में है जो आर्टिकल 21 का उल्लंघन हैं। अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 2019 से अब तक मामले में 45 पेशी हो चुकी है। जिसमे 30 बार समंस विवेचना अधिकारी को भेजा जा चुका है और उनके तब भी पेश न होने पर 15 बार उनके खिलाफ गैर जमानतीय वारंट जारी किया जा चुका है। अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि गैर जमानतीय वारंट जारी होने के बाद भी अफसर विवेचना अधिकारी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश करना छोड़ मोबाइल के माध्यम से वारंट तामीली करवा देते हैं। तथा रेडियो के माध्यम से नोटिस सर्व करवाने की बात कहते है। तब भी एसआई प्रस्तुत नही होते। लिहाजा उनके मुव्वकिल को जमानत दी जाए। जिस पर कोर्ट ने भारी नाराजगी जाहिर की।

रेडियो द्वारा नोटिस सर्व करवाने के जवाब पर कोर्ट असंतुष्ट:-

मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच में हुई। 11 जुलाई को हुई सुनवाई में एसपी सरगुजा को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा गया। 13 जुलाई को एसपी सरगुजा ने जवाब पेश किया और विभिन्न एफिडेविट के साथ अपना पक्ष रखा। जिसमे उन्होंने पैरा 13 में बताया कि विभिन्न तारीखों को रेडियो मैसेज के द्वारा नोटिस सर्व करवाया गया है। जिससे कोर्ट संतुष्ट नही हुई और 2019 से लेकर अब तक जो भी एसपी सरगुजा में पदस्थ रहें हैं उन्हें आज व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया।

आज अदालत में उक्त टाइम पीरियड में तत्कालीन एसपी रहे अमित तुकाराम कांबले, आशुतोष सिंह, व वर्तमान एसपी भावना गुप्ता उपस्थित हुईं। कांबले वर्तमान में रायपुर के चौथी बटालियन में पदस्थ हैं। आशुतोष सिंह 13 वी बटालियन बांगो के कमांडेंट हैं। एक आईपीएस टीआर कोशिमा फिलहाल अवकाश पर चल रहे हैं लिहाजा उन्होंने अपना शपथ पत्र भिजवाया।

सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि उक्त पुलिस अधिकारी खुद के ही अधीनस्थ अधिकारी को अदालत में पेश नही करवा पा रहे हैं। अधिवक्ता रोहिताश्व ने कई उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि दूसरे जिले में ट्रांसफर के बाद विवेचना अधिकारी केस के ट्रायल व गवाही में ध्यान नही देते हैं। अधिकारियों ने अपना जवाब प्रस्तुत कर बताया कि बीच मे कोविड की वजह से वारंट तामीली में दिक्कत हुई लिहाजा मोबाइल व रेडियो से नोटिस सर्व करवाया गया। कोविड कि वजह से बीच मे वारंट तामीली में देर की बात अधिकारियों ने कहि। इसके अतिरिक्त अधिकारियों ने बताया कि उक्त सब इंस्पेक्टर फिलहाल राजनांदगांव जिले में पदस्थ हैं इसलिए उन पर कार्यवाही के लिए राजनांदगांव के एसपी को पत्र लिखा गया है। मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने अगली सुनवाई 22 जुलाई को रखी है।

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