16 बोलियों में किताबें: सीएम बोले- तीन साल में नक्सल समस्या कम हुई, अब छत्तीसगढ़ की पहचान यहां की समृद्ध संस्कृति से
पद्मश्री लोकनायक हलधर नाग, साकीनी रामचंद्रा और अर्जुन सिंह धुर्वे का सम्मान
रायपुर, 19 अप्रैल 2022। छत्तीसगढ़ में पहली बार आयोजित हो रहे राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का सीएम भूपेश बघेल ने उद्घाटन किया। उन्होंने पद्मश्री लोकनायक हलधर नाग, साकीनी रामचंद्रा और अर्जुन सिंह धुर्वे को शॉल और नारियल भेंट कर सम्मानित किया। सीएम ने प्रख्यात कवि पद्मश्री हलधर नाग को सम्मानित करते हुए आत्मीयता से गले लगा लिया। उन्होंने समारोह में देशभर से पहुंचे विख्यात साहित्यकारों, रचनाकारों, विश्वविद्यालयों के अध्येताओं, शोधर्थियों, विषय-विशेषज्ञों, नृतक दलों, चित्रकारों का स्वागत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में सरगुजा से बस्तर तक अनेक जनजातियां निवास करती हैं। उनकी भाषा-शैली भी अलग-अलग है। छत्तीसगढ़ में पिछले तीन वर्षों में नक्सली समस्या कम हुई है। अब छत्तीसगढ़ की चर्चा देश-दुनिया में यहां की समृद्ध संस्कृति के लिए हो रही है। उन्होंने कहा कि चिंता का विषय है कि विश्व में बहुत सी जनजातियों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है, जिससे उनकी संस्कृति विलुप्त हो रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के लिए स्कूली स्तर भी पहल की है। इसके लिए प्रदेश में 16 प्रकार की बोली में पाठ्यपुस्तक तैयार की गई है।
राज्य सरकार आदिवासियों के हितों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध
सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी हितों के संरक्षण के प्रतिबद्ध है। आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए वन अधिकार पत्र प्रदान करना सरकार की इसी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनके रोजगार के लिए वन क्षेत्रों में फलदार वृक्ष लगाने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है। इससे वनों में वृक्षों के संरक्षण के साथ ही वनवासियों को उनकी जरूरत की चीज उपलब्ध होगी।
आदिवासी करते हैं जंगल का संरक्षण
अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि जंगल का संरक्षण आदिवासी करते हैं। देश में 80 प्रतिशत वनोपज की खरीदी छत्तीसगढ़ राज्य से होती है। सीएम बघेल ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 171 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए हैं, जिसका लाभ जनजातीय समाज के बच्चों को भी मिल रहा है। समारोह को पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केशरी लाल वर्मा ने संबोधित किया। अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयुक्त शम्मी आबिदी ने स्वागत भाषण दिया। इस दौरान संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया, पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुजूर, राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष सरजियस मिंज, अनुसूचित जाति व जनजाति सचिव डीडी सिंह भी मौजूद थे।