BJP's world wide politics: CG से भाजपा की वर्ल्ड वाइड पॉलिटिक्स! इन 2 प्रत्याशियों के जरिये पार्टी ने केरल और वर्ल्ड को दिया बड़ा मैसेज
BJP's world wide politics: छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण से लेकर घोषणा पत्र तक में भाजपा ने इस बार कई धारणाओं को तोड़ने का प्रयास किया। इन सबके बीच यहां के अपने 2 प्रत्याशियों के जरिये पार्टी ने परसेप्शन को भी बदलने का प्रयास किया है। इसका असर आने वाले समय में केरल विधानसभा चुनाव से लेकर मोदी की वर्ल्ड वाइड पॉलिटिक्स पर भी पड़ सकता है।
BJP's world wide politics: रायपुर। छत्तीसगढ़ में 5 साल पहले हाथ से निकली 15 साल पुरानी सत्ता को वापस पाने के लिए भाजपा ने इस बार पूरी ताकत झोंकी है। केंद्रीय मंत्रियों से लेकर राष्ट्रीय नेताओं के ताबड़तोड़ दौरे हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का रिकार्ड दौरा और कार्यक्रम हुआ। सत्ता में वापसी की जद्दोजहद में पार्टी ने अपने कई नियम- कायदों को भी किनारे रख दिया। इसका असर प्रत्याशी चयन और घोषणा पत्र में भी नजर आया।
छत्तीसगढ़ में भाजपा के 90 प्रत्याशियों की सूची में 2 नाम ऐसे हैं जो पार्टी की राजनीति को करीब से समझने वालों के लिए भी बेहद चौकाने वाला था। पार्टी लाइन से अलग जाकर घोषित इन प्रत्याशियों का विरोध भी हुआ, लेकिन कार्यकर्ताओं को समझा बुझाकर शांत कर दिया गया है। पार्टी के बेहद भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि दरअसल इन दोनों प्रत्याशी के जरिये पार्टी ने अपना परसेप्शन (धारणा) बदलने का प्रयास किया है। इसके जरिये भाजपा एक तरफ केरल जैसे बड़े राज्य में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करना चाह रही है, तो दूसरी तरफ इसे पीएम मोदी की वर्ल्ड वाइड पॉलिटिक्स के लिए पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की सोची समझी रणनीति बताई जा रही है।
छत्तीसगढ़ के जिन दो प्रत्याशियों को भाजपा की केरल और वर्ल्ड वाइड पॉलिक्टिस की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है, उनका नाम प्रबोध मिंज और रामकुमार टोप्पो है। मिंज लुंड्रा विधानसभा सीट और टोप्पो सीतापुर सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े हैं। मिंज और टोप्पो दोनों का बैक ग्राउंड अलग है। मिंज राजनीति से हैं। अंबिकापुर के महापौर रह चुके हैं, जबकि टोप्पो भारतीय सेना से वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेकर राजनीति में आए हैं।
भाजपा के इन दोनों प्रत्याशियों मिंज और टोप्पो में केवल एक बात कॉमन है। वह यह है कि दोनों ईसाई हैं। सरगुजा और बस्तर संभाग से लेकर देशभर में भाजपा लगातार धर्म परिवर्तन और मिशनरियों के खिलाफ हमलावर रही है। इन क्षेत्रों में भाजपा की राजनीति का एक बड़ा आधार यही है। यही वजह है कि मिंज को प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध करते हुए बड़ी संख्या में कार्यकर्ता रायपुर में प्रदेश मुख्यालय तक पहुंच गए थे। वर्ल्ड पॉलिटिक्स में भी भाजपा को लेकर परसेप्शन ईसाई विरोधी की ही है।
भाजपा की राजनीति को करीब से जानने वाले और राजनीतिक विश्लेषक इसे पार्टी की सोची समझी रणनीति मान रहे हैं। पार्टी के कुछ नेता भी दबी चुबान में स्वीकार कर रहे हैं कि इन 2 प्रत्याशियों के जरिये भाजपा ने देश ही नहीं विश्व को बड़ा मैसेज देने का प्रयास किया है। यह मैसेज उस केरल के लिए भी है जहां ईशाई वाटरों की संख्या ज्यादा है। जानकारों के अनुसार भाजपा दक्षिण के ज्यादातर राज्यों में पहुंच चुकी है, लेकिन केरल अब भी उसकी पहुंच से दूर है। इन दोनों प्रत्याशियों के जरिये भाजपा ने ईसाई वर्ग के बीच अपना परसेप्शन बदलने का प्रयास किया है। यह बताने का प्रयास किया गया है कि भाजपा ईसाई विरोधी नहीं है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार पार्टी अगर देश के ईसाइयों के बीच यह मैसेज पहुंचाने में सफल हो जाती है तो इसका सीधा असर पीएम मोदी की वैश्वीक राजनीति पर पड़ेगा, क्योंकि विश्व के ज्यादार देश ईसाई बाहुल हैं। वर्ल्ड लेवल पर अगर भाजपा का ईसाई विरोध परसेप्शन बदलता है तो जाहिर बात है कि इसका असर मोदी की वर्ल्ड पॉलिटिक्स पर भी पड़ेगा।