BJP's Strategy: सीजी से 18 राज्यों के आदिवासियों को भाजपा ने दिया बड़ा संदेश, जानिए... विष्णुदेव साय को ही भाजपा ने क्यों बनाया छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री
BJP's Strategy: आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को भाजपा ने छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है। इस फैसले को मोदी-शाह की बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इसके जरिये पार्टी ने देश के 18 राज्यों में एक स्पष्ट संदेश दिया है।
BJP's Strategy: रायपुर। छत्तीसगढ़ के बड़े आदिवासी नेताओं में शामिल विष्णुदेव साय छत्तीगसढ़ के अगले मुख्यमंत्री होंगे। भाजपा ने 15 वर्ष तक लगातार मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह, प्रदेश में भाजपा को जीत दिलाने वाले ओबीसी नेता अरुण साव सहित कई दिग्गज नेताओं को किनारे करके साय को मुख्यमंत्री बनाया है। राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा की बड़ी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं। इस एक फैसले से भाजपा ने देश के 18 राज्यों की बड़ी आबादी को एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है। पार्टी ने यह फैसला तीन महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया है।
भाजपा की रणनीति को करीब से समझने वाले राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार सीएम के रुप में साय का चयन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। भाजपा इस बार 400 पार के टारगेट के साथ लोकसभा के चुनाव मैदान में उतरेगी। साय इसी बड़े लक्ष्य को हासिल करने की बड़ी रणनीति का हिस्सा हैं। साय के जरिये भाजपा ने देश की आदिवासी आरक्षित सीटों के वोटरों को बड़ा संदेश दिया है। भाजपा इससे पहले आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बना चुकी है। पार्टी आदिवासियों के बीच हर बार यह बताती है कि भाजपा ही आदिवासियों की सच्ची हितैषी पार्टी है।
इसी वजह से माना जा रहा है कि साय को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने आदिवासी आरक्षित और आदिवासियों के प्रभाव वाली लोकसभा की करीब 100 से ज्यादा सीटों प्रभावित करने का प्रयास किया है। लोकसभा की 47 सीटे सीधे तौर पर आदिवासी आरक्षित है, जबकि 60 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार आदिवासियों के प्रभाव वाले राज्यों में अब भाजपा जनता को बताएगी कि भाजपा ही आदिवासियों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है।
समझिए... साय और आदिवासी सीटों का गणित
साय को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया गया है। यहां की 11 में से लोकसभा की 4 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है। छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 6 लोकसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है। ओडिशा और झारखंड में 5-5 एक और पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में 4 और तेलंगाना में 2 सीटे हैं। आदिवासियों के लिए आरिक्षत पड़ोसी राज्यों की ये सभी सीटें छत्तीसगढ़ की सीमा से लगी हुई हैं। साय को सीएम बनाए जाने का सीधा प्रभाव इन सीटों पर पड़ेगा। इसके साथ ही भाजपा इसके जरिये उन सीटों के आदिवासी वोटरों को भी प्रभावित करने का प्रयास करेगी।
समझिए... आदिवासी वोट बैंक का गणित
लोकसभा की कुल 543 सीटे हैं। इनमें 412 सामान्य, 84 अनुसूचित जाति और 47 अनुसूचित जनजाति के लिए आरिक्षत है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार एसटी सीटों की संख्या भले ही 47 है, लेकिन 100 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर आदिवासी वोटर प्रभावि भूमिका में हैं। मसलन छत्तीसगढ़ की केवल 4 सीटे आदिवासियों के लिए आरक्षित है, लेकिन बाकी 6 सीटों पर भी आदिवासियों का अच्छा प्रभाव है। महासमुंद लोकसभा सीट सामान्य है। महासमुंद संसदीय क्षेत्र में शामिल बिंद्रानवागढ़ और सिहावा विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित है। इसी तरह डौंडी-लोहरा और मोहला-मानुपर आदिवासी आरक्षित विधानसभा सीट हैं। कोरबा संसदीय क्षेत्र में मरवाही आदिवासी आरक्षित सीट है। जानकारों के अनुसार यही स्थिति बाकी आदिवासी आबादी वाले राज्यों की भी है।
आदिवासी आरक्षित लोकसभा सीटों का विवरण
सीटों की संख्या | राज्य |
6 | मध्य प्रदेश |
5 | ओडिशा व झारखंड |
4 | छत्तीगसढ़, महाराष्ट्र व गुजरात |
3 | राजस्थान |
2 | बंगाल, तेलंगाना, मेघालय, कर्नाटक व असम |
1 | लक्ष्यद्वीप, दादर-नगर हेवली, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, आंध्रप्रदेश |