Begin typing your search above and press return to search.

Bio Toilet in Train Coach: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सभी 900 कोचों में बायो-टायलेट लगाये गए, जानिए इसके फायदे...

Bio Toilet in Train Coach: बायो टॉयलेट रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय रेलवे द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। बायो टॉयलेट्स में शौचालय के नीचे बायो डाइजेस्टर कंटेनर में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं जो मानव मल को पानी और गैसों में बदल देते हैं।

Bio Toilet in Train Coach: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सभी 900 कोचों में बायो-टायलेट लगाये गए, जानिए इसके फायदे...
X
By Gopal Rao

Bio Toilet in Train Coach: रायपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सभी लगभग 900 पारंपरिक शौचालययुक्त यात्री कोचों में बायोटायलेट लगाए गए है। स्टेशन परिसर, प्लेटफार्म, गाडी तथा रेलवे ट्रैक को गंदगी से मुक्त रखने व वातावरण को साफ-सुथरा रखने एवं हरित विकास को बढ़ावा देने हेतु रेलवे द्वारा यह पहल की गई है। भारतीय रेलवे एवं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित बॉयो-टायलेट पर्यावरण के अनुकुल है इसमें मानव अवशिष्ट 6 से 8 घंटे में हानिरहित पानी और गैस में तब्दील होकर वातावरण में मिल जाता है । इसमें सीधे टैंक से किसी भी प्रकार के अवशिष्ट का डिस्चार्ज नही होता है, जिससे स्टेशन एवं पटरी के आस पास स्वच्छता बनाये रखने में आसानी होती है । बायोटॉयलेट लगाने के बाद ट्रैक पर होने वाली गंदगी में तकरीबन 80 से 90 फीसदी की कमी आई है ।

बायो टॉयलेट रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय रेलवे द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। बायो टॉयलेट्स में शौचालय के नीचे बायो डाइजेस्टर कंटेनर में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं जो मानव मल को पानी और गैसों में बदल देते हैं।

बायो टॉयलेट्स के फायदे

1. रेल पटरियों पर गंदगी और पटरियों की धातु को नुकसान से बचत ।

2. वैक्यूम आधारित बॉयो टॉयलेट में फ्लश से पानी की बचत ।

3. स्टेशनों पर बदबूरहित स्वच्छ वातवरण सहित कई बीमारियों की रोकथाम की दिशा में अच्छी पहल।

4. स्टेशनों पर मच्छर, कॉकरोच और चूहों की संख्या में कमी ।

5. पटरियों की साफ-सफाई में आसानी ।

यात्रियों से अपील

बायो-टैंक के सुचारू रूप से कार्य करते रहने के लिए रेल प्रशासन यात्रियों से अनुरोध करता है कि इस प्रकार के टायलेट में चाय के कप, पानी के बोतल, गुटका पाउच, पॉलीथीन, डायपर इत्यादि इनमें ना डाले। इनके डाले जाने से बॉयों-टायलेट जाम होकर यह सुचारू रूप से कार्य नहीं कर पाता है जिससे ओवर फ्लो होकर गंदगी बाहर आ जाती है, एवं यात्रियो को परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

Read MoreRead Less

Next Story