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बड़ा खुलासाः लाफार्ज ने बिना रजिस्ट्री सीमेंट प्लांट को नुवोको कंपनी के हवाले कर दिया, सरकार के खजाने को लगा 600 करोड़ का झटका

बड़ा खुलासाः लाफार्ज ने बिना रजिस्ट्री सीमेंट प्लांट को नुवोको कंपनी के हवाले कर दिया, सरकार के खजाने को लगा 600 करोड़ का झटका
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By NPG News

0 डिप्टी रजिस्ट्रार ने बिना रजिस्ट्री पेपर देखे एक हजार रुपए के स्टाम्प पर माईनिंग लीज ट्रांसफर कर दिया

जांजगीर, रायपुर, 10 दिसंबर 2021। सिस्टम का मजाक उड़ाना किसे कहते हैं, ये छत्तीसगढ़ के रजिस्ट्री विभाग और प्रायवेट कंपनियों से कोई पूछे। जांजगीर के अकलतरा स्थित सीमेंट प्लांट को पहले रेमंड ने 774 की जगह 42 करोड़ में बेच कर सरकार को बड़ा चूना लगाया और अब लाफार्ज कंपनी ने बिना रजिस्ट्री प्लांट को निरमा ग्रुप के नुवोको कंपनी के हवाले कर दिया। रजिस्ट्री नहीं होने से नुवोको कंपनी को फायदा ये हुआ कि उसे अनुमानित करीब 600 करोड़ की राषि बच गई। लाफार्ज से नुवाको के बीच जून 2018 में ये खेला हुआ। इस हिसाब से तीन साल में कंपनी ने कई करोड़ का ब्याज बच गया। मालिकाना हक बदलने के बाद भी प्लांट की रजिस्ट्री क्यों नही हुई, इसका जवाब अनुत्तरित है।

आष्चर्य तो यह है कि तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार उषा गुप्ता ने बिना मूल दस्तावेज देेखे याने प्लांट की सेल रजिस्ट्री का पेपर देखे 164 हेक्टेयर की माईनिंग लीज मात्र एक हजार के स्टांप में नुवोको कंपनी के हवाले कर दी। उन्होंने चूकि ये काम गलत ढंग से किया, इसलिए जांजगीर रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों द्वारा ही बिलासपुर कमिष्नर संजय अलंग की कोर्ट में इसे चुनौती दी गई।

बताते हैं, रेमंड से 2001 में प्लांट और उसका माईनिंग लीज खरीदने वाली लाफार्ज कंपनी ने 2018 में उसे निरमा ग्रुप की नुवोको कंपनी को बेच दिया। चूकि लाफार्ज बड़ी कंपनी हो गई थी और इसका माईनिंग लीज की बिक्री का खर्च करोड़ों में आता, लिहाजा प्लांट वालों ने रजिस्ट्री अधिकारियों से संपर्क किया। रजिस्ट्री अधिकारियों ने सुधारनामा के तहत मात्र एक हजार रुपए के स्टाम्प पर पूरा खेला कर दिया।

सरकार को 600 करोड़ से अधिक का फटका लगा। वो कैसे हम बताते हैं। 2001 में रेमंड ने जब लाफार्ज को सीमेंट प्लांट बेचा था, तब उसका 42 करोड़ कीमत बता रजिस्ट्री किया था। जबकि, उसी साल इंकम टैक्स में उसने 782 करोड़ की कीमत बताया था। इस आधार पर राजस्व बोर्ड ने रेमंड पर 200 करोड़ का जुर्माना ठोका है। इस तरह अगर 2001 में रेमंड ने अकलतरा प्लांट की कीमत 774 करोड़ दिखाया था, तो 17 साल बाद उसकी कीमत आठ-से-नौ गुना बढ़ गई होगी। इस हिसाब से प्लांट की अनुमानित मूल्य लगभग 6000 करोड़ के आसपास हो गया होगा। अगर लाफार्ज कंपनी से नुओको कंपनी को विधिवत रजिस्ट्री होती तो 10 प्रतिषत पंजीयन चार्ज के हिसाब से अनुमानित लगभग 600 करोड़ चुकाना पड़ता। वो भी सिर्फ प्लांट...माईनिंग लीज का मामला अलग है। जब 2001 में लाफार्ज ने रेमंड से प्लांट खरीदते समय 23 लाख का पंजीयन शुल्क जमा किया था, तो 17 साल बाद इसका रेट भी बढ़ ही गया होगा।

खबर है, जांजगीर की तरह बलौदा बाजार में भी यही खेल हुआ। नुओको ने बलौदा बाजार की लाफार्ज प्लांट को भी खरीदा है। मगर वहां के रजिस्ट्री अधिकारियों ने एक हजार के स्टांप पर माईनिंग लीज की बिक्रीनामा बनाने तैयार नहीं हुए। पता चला है, कंपनी ने फिर राजस्व बोर्ड में अपील की। और जांजगीर में चूकि इस तरह हुआ है, इसी आधार पर आष्चर्यजनक तौर पर राजस्व बोर्ड ने कंपनी के पक्ष में फैसला दे दिया। याने सरकार को डबल नुकसान हुआ। अगर जांजगीर में सुधारनामा का खेल नहंी हुआ होता तो बलौदा बाजार में नहीं होता। इसमें बलौदा बाजार के अधिकारी तो बच जाएंगे कि जांजगीर के आधार पर फैसला लिया गया। लेकिन, जांजगीर के रजिस्ट्री अधिकारियों का क्या जवाब होगा?

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