Bhanupratappur assembly seat: भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर अब तक 13 बार हुए चुनाव, निर्दलीय ने खोला था खाता, गंगा पोटाई बनी थीं पहली महिला विधायक
Bhanupratappur assembly seat: 1962 में पहली बार भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के लिए चुनाव हुए थे। पहले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रामप्रसाद ने जीत दर्ज की थी।
मनोज व्यास
Bhanupratappur assembly seat: रायपुर। छत्तीसगढ़ की आदिवासी बहुल भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर चुनाव के ऐलान के साथ राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रहे मनोज मंडावी के निधन के बाद यह सीट खाली हुई है। इस पर मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी की तगड़ी दावेदारी है। सावित्री ने व्याख्याता के पद से इस्तीफा दे दिया है। अब कांग्रेस पार्टी की ओर से उनके नाम की औपचारिक घोषणा बाकी है। दूसरी तरफ भाजपा से कई दावेदार हैं। इनमें से प्रत्याशी का चयन करने के लिए चार सदस्यीय पर्यवेक्षकों की टीम बनाई गई है। जल्द ही भाजपा के पर्यवेक्षक बैठेंगे और प्रत्याशी का नाम तय कर पार्टी को देंगे।
भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर अब तक 13 चुनाव हो चुके हैं। NPG.News ने इन चुनावों का ब्योरा जुटाया है। कई रोचक जानकारियां भी सामने आई हैं। आगे पढ़ें, कैसा रहा चुनावी सफर...
नई सीट पर निर्दलीय ने खोला था खाता
अविभाजित मध्यप्रदेश में 1962 में भानुप्रतापपुर सीट के गठन के बाद पहला चुनाव हुआ था। उस समय इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या मात्र 47771 थी। पहली बार हुए चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रामप्रसाद जीते थे। उन्हें 8314 वोट मिले थे। वहीं, दूसरे नंबर पर 6981 वोटों के साथ कांग्रेस के PATLA थे।
इसके बाद दूसरी बार 1967 में चुनाव हुए, तब प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के J. Hatoi जीते। इस बार भी कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। J. Hatoi को 6813 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के एल. चंदन सिंह को 5631 वोट मिले। इस चुनाव में वोटरों की संख्या बढ़कर 55902 हो गई थी।
1972 में पहली बार कांग्रेस की जीत
1972 में हुए चुनाव में कांग्रेस के सत्यनारायण सिंह ने खाता खोला। प्यारेलाल सिंह ने भारतीय जनसंघ के लक्ष्यण सिंह को हराया था। इसके बाद 1977 में फिर बाजी पलट गई। इस बार जनता पार्टी के प्यारेलाल सुखलाल सिंह ने कांग्रेस के झाड़ूराम रावटे का हराया।
गंगा पोटाई बनी पहली महिला विधायक
भानुप्रतापपुर सीट से गंगा पोटाई पहली और अब तक इकलौती महिला विधायक हैं। 1980 के चुनाव में गंगा पोटाई ने कांग्रेस के बागी झाड़ूराम रावटे को हराया। झाड़ूराम ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इसके बाद 1985 के चुनाव में फिर यही जोड़ी आमने-सामने हुई। इस बार भी गंगा पोटाई जीतीं। लेकिन दो हार के बाद भी झाड़ूराम ने संघर्ष किया और 1990 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गंगा पोटाई को हराया।
1993 में हुई पहली बार हुई भाजपा की एंट्री
1990 में विधायक बने झाड़ूराम रावटे ने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इस बाद 1993 में ही चुनाव हुए। इस चुनाव में भाजपा से देवलाल दुग्गा थे तो कांग्रेस से गंगा पोटाई ही थीं। गंगा पोटाई की हार हुई और दुग्गा विधायक बने।
मनोज मंडावी बने गंगा पोटाई के रीप्लेसमेंट, जीते भी
गंगा पोटाई ने लगातार दो बार जीत दर्ज की थी। अविभाजित मध्यप्रदेश में राज्यमंत्री भी रहीं। इसके बाद लगातार दो हार हुई। 1998 में पार्टी ने मनोज मंडावी को मौका दिया। मंडावी ने देवलाल दुग्गा को हराया। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना। अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। उनके मंत्रिमंडल में मंडावी सबसे बड़े प्रोफाइल वाले मंत्री रहे।
मंत्री बनने के बाद दो बार हारे मंडावी
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद तीन साल की कांग्रेस सरकार का कामकाज लोगों को पसंद नहीं आया। तीन साल में ही सरकार बदल गई। 2003 में हुए चुनाव में मनोज मंडावी हार गए। उन्हें देवलाल दुग्गा ने हराया। इसके बाद 2008 में ब्रह्मानंद नेताम ने हराया। हालांकि 2013 में मनोज मंडावी ने पहले सतीश लाटिया, फिर 2018 में देवलाल दुग्गा को हराया।
भानुप्रतापपुर के अब तक के विधायक
1962 – रामप्रसाद – निर्दलीय
1967 – J. Hatoi – प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1972 – सत्यनारायण सिंह – कांग्रेस
1977 – प्यारेलाल सुखलाल सिंह – जनता पार्टी
1980 – गंगा पोटाई – कांग्रेस
1985 - गंगा पोटाई – कांग्रेस
1990 – झाड़ूराम रावटे – निर्दलीय
1993 – देवलाल दुग्गा – भाजपा
1998 – मनोज मंडावी – कांग्रेस
2003 – देवलाल दुग्गा – भाजपा
2008 – ब्रह्मानंद नेताम – भाजपा
2013 – मनोज मंडावी – कांग्रेस
2018 – मनोज मंडावी – कांग्रेस
चुनाव दर चुनाव वोटरों की संख्या
1962 – 47771
1967 – 55902
1972 – 60903
1977 – 68316
1980 – 74740
1985 – 89508
1990 – 112658
1993 – 119551
1998 – 131302
2003 – 147694
2008 – 163593
2013 – 178055
2018 – 190499
2022 - 197535