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Aranpur Naxal Attack अरनपुर थाने के पास बारूद का जखीरा : सुरक्षा बलों की निगरानी में बनी अरनपुर-जगरगुंडा सड़क, फिर 50 किलो विस्फोटक कब लगाया?

Aranpur Naxal Attack अरनपुर थाने के पास बारूद का जखीरा : सुरक्षा बलों की निगरानी में बनी अरनपुर-जगरगुंडा सड़क, फिर 50 किलो विस्फोटक कब लगाया?
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By Manoj Vyas

दंतेवाड़ा / रायपुर. छत्तीसगढ़ के अरनपुर में नक्सलियों की करतूत से 10 जवानों और एक ड्राइवर की शहादत हुई उसमें 50 किलो या उससे ज्यादा विस्फोटक का इस्तेमाल करने की जानकारी सामने आ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि 10 जवान और ड्राइवर का औसत वजन 60 किलो मानें तो 660 किलो के बाद गाड़ी का भी वजन था. विस्फोट में गाड़ी के परखच्चे उड़ गए. हालांकि कुछ अधिकारी 25-30 किलो के आसपास विस्फोटक होना भी बता रहे हैं, लेकिन यह सवाल उठ रहा है कि जिस सड़क का निर्माण सुरक्षा बलों की निगरानी में हुआ था, वहां नक्सलियों ने कब और कैसे इतने बड़े पैमाने पर विस्फोटक प्लांट किया? जानकारों का कहना है कि सड़क बनने से पहले ही यह बारूद लगाया गया था, क्योंकि इसके बाद सड़क पर कोई गड्ढा नहीं किया गया है.

जहां पर यह दुर्घटना हुई है, वहां से अरनपुर थाने की दूरी करीब तीन किलोमीटर है. नक्सलियों ने टार्गेट कर निजी वाहन को निशाना बनाया, जिसमें डीआरजी के जवान सवार थे, जबकि एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) में इसकी मनाही है. ऐसे कई सवाल हैं, जो उठ रहे हैं. थाने के करीब इतने बड़े पैमाने पर नक्सलियों ने बम तैयार रखा था, जिसकी अनुभवी जवानों, आधुनिक मशीनों और पुलिस के खोजी कुत्तों को भी खबर नहीं लगी. विस्फोटक की मात्रा का अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि मौके पर 5-7 फीट गहरा गड्ढा हो गया. जिस वाहन में जवान सवार थे, उसके परखच्चे उड़ गए. नक्सलियों के टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिंग कैंपेन) के दौरान भी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का ध्यान रखने पर जोर दिया जाता है. इसे ध्यान में रखकर पूरे बस्तर संभाग में पुलिस की टीमें अलर्ट पर हैं. एडीजी एंटी नक्सल ऑपरेशन विवेकानंद सिन्हा भी बस्तर पहुंचे हुए हैं. यहां तक कि डीआरजी के जवान भी अरनपुर-जगरगुंडा सड़क पर सर्चिंग के लिए निकले थे और लौट रहे थे, तब यह हादसा हुआ.

पुलिस मुख्यालय में आपात बैठक

नक्सली हमले में जवानों के शहीद होने के बाद डीजीपी अशोक जुनेजा ने पीएचक्यू में आपात बैठक बुलाई है. उच्च स्तरीय बैठक में पुलिस व नक्सल ऑपरेशन के आला अधिकारी मौजूद हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, सीएम भूपेश बघेल ने शहीदों को नमन किया है. सीएम ने कर्नाटक दौरा रद्द कर दिया है और वे गुरुवार को दंतेवाड़ा जाएंगे. घटना में शामिल दो संदिग्ध नक्सलियों को भी गिरफ्तार करने की जानकारी सामने आ रही है. आसपास बड़े पैमाने पर सर्चिंग अभियान चलाया जा रहा है.


एक गाड़ी आगे निकली, दूसरी रुकी

ऑपरेशन से लौट रहे जवानों को जो गाड़ी ब्लास्ट के चपेट में आई, उससे पहले गुजरने वाली गाड़ी को पहले कुछ लोगों ने रुकने के लिए हाथ दिखाया था. वह गाड़ी तेजी से आगे निकल गई, लेकिन दूसरी गाड़ी की रफ्तार धीमी हुई. कहा जा रहा है कि चंदा लेने के लिए उन्हें रोका गया था. जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ी, तब रफ्तार धीमी थी. उन लोगों से 100 मीटर के आसपास आगे जाने के बाद ही ब्लास्ट हुआ. इससे यह माना जा रहा है कि नक्सलियों ने ही रणनीति के तहत उन्हें रोका और वारदात को अंजाम दिया.

मुठभेड़ के बाद भाग गए नक्सली

आईजी नक्सल ऑपरेशन ओपी पाल ने मीडिया को बताया कि जवान नक्सलियों की सूचना पर बताई जगह पहुंचे थे. वहां नक्सलियों के साथ उनकी मुठभेड़ भी हुई. गोलीबारी के बाद नक्सली पहाड़ों व जंगलों का फायदा उठा कर फरार हो गए. वापसी के दौरान यह हमला हो गया, जिसमें दस डीआरजी जवान और एक ड्राइवर की मौत हो गई है. आईजी नक्सल ऑपरेशन ने बताया कि दो संदिग्ध नक्सलियों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे घटना के संबंध में पूछताछ की जा रही है. आशंका है कि वे संतरी हैं.

Manoj Vyas

मनोज व्यास : छत्तीसगढ़ में 18 साल से पत्रकारिता में सक्रिय, सभी प्रमुख संस्थाओं में दी सेवाएं, इसी दौरान हरिभूमि समाचार पत्र से जुड़े। इसके बाद दैनिक भास्कर में सिटी रिपोर्टर के रूप में जॉइन किया। नौकरी के साथ-साथ गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय से एमएमसीजे की पढ़ाई पूरी की। न्यायधानी के बाद राजधानी का रुख किया। यहां फिर हरिभूमि से शुरुआत की और नेशनल लुक, पत्रिका, नवभारत, फिर दैनिक भास्कर होते हुए भविष्य की पत्रकारिता का हिस्सा बनने के लिए NPG.News में बतौर न्यूज एडिटर जॉइन किया। इस बीच नवभारत के भुवनेश्वर, ओडिशा एडिशन में एडिटोरियल इंचार्ज के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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