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आपके काम की खबर: जमीन या मकान की रजिस्ट्री में अगर कोई चूक हुई हो तो घबराइये मत, पढ़िये इस विशेषज्ञ अफसर के इस लेख को...

जमीन या संपत्ति की कई बार रजिस्ट्री के दस्तावेज में लिखित त्रुटियां हो जाती है। कई बार नाम छूट जाता है या नाम का स्पेलिंग मिस्टेक हो जाता है। इसके लिए रजिस्ट्री आफिस जाएंगे तो कई बार बड़ा मोटा खर्च बताया जाता है। पढ़िये पंजीयन विभाग से जुडे विशेषज्ञ इसको लेकर क्या कहते हैं.....

आपके काम की खबर: जमीन या मकान की रजिस्ट्री में अगर कोई चूक हुई हो तो घबराइये मत, पढ़िये इस विशेषज्ञ अफसर के इस लेख को...
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By Gopal Rao

विरेंद्र कुमार श्रीवास

अक्सर ऐसा होता है ,कि हम रजिस्ट्री ऑफिस में कोई दस्तावेज की रजिस्ट्री कराते हैं। बाद में पता चलता है कि उस में कुछ त्रुटि हो गई है। त्रुटिया बहुत प्रकार की हो सकती है। नाम गलत हो गया है। चेक नंबर गलत हो गया है। खसरा नंबर गलत हो गया है। दस्तावेज में कोई अवांछित अंतर्वस्तु लिख गया है। टाइपिंग संबंधी कोई त्रुटि हो गई है। क्षेत्रफल सही है,पर चौहद्दी का नाप गड़बड़ है।आदि आदि। जैसे ही त्रुटि हमारे संज्ञान में आती है, हम चिंतित हो जाते हैं। अब क्या होगा, कैसे होगा, क्या इन त्रुटियों को सुधारा जा सकता है , कितना समय लगेगा, कितना खर्चा आएगा, आदि आदि तरह-तरह के सवाल हमारे मन में पैदा होते हैं। ऐसे भी घटनाएं होती हैं, जब सुधार पत्र में आने वाले खर्चों को बढ़ा चढ़ा कर गुमराह किया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं।

सुधार विलेख क्या है?

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सुधार विलेख वह दस्तावेज है, जिसके माध्यम से पूर्व में निष्पादित किए गए किसी भी विलेख में हुई त्रुटि या त्रुटियों का सुधार किया जाता है।इसे दुरुस्तीनामा, संशोधन विलेख,सुधार पत्र, पुष्टिकरण विलेख आदि नामो से भी जाना जाता है।

सुधार विलेख के संबंध में कानूनी प्रावधान

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विर्निदिष्ट अनुतोष अधिनियम 1963 धारा 26

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इसके अनुसार जब पक्षकारों के कपट या पारस्परिक भूल के कारण किसी लिखत या संविदा में कोई त्रुटि हो गया हो, तो उसके सुधार के लिए न्यायालय से अनुतोष प्राप्त किया जा सकता है।

भारतीय स्टांप अधिनियम अनुसूची एक क

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भारतीय स्टांप अधिनियम की अनुसूची एक क के अनुच्छेद 27 ख में प्रावधान है कि कोई दस्तावेज, जो पूर्व में रजिस्ट्रीकृत किसी दस्तावेज को संशोधित करती हो, लेकिन वह संशोधन सारवान ना हो ,में ₹1000 का स्टांप देय है। कौन से संशोधन सारवान होते है,इस पर हम आगे चर्चा करेंगे।

भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908 धारा 17

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इस विधि में उन दस्तावेजों की सूची दी गई है ,जिनका रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य है। ऐसे दस्तावेज अगर रजिस्ट्रीकृत नहीं किए जाते, तो कानूनी रूप से प्रवर्तनीय नहीं होते। इस अनुच्छेद के तहत कोई भी निर्वसीयत्ती लिखत, जो ₹100 से अधिक मूल्य का कोई अधिकार, हक या हित, चाहे वह निहित हो,चाहे समाश्रित, चाहे वह वर्तमान में हो, चाहे भविष्य में, सृष्ट ,घोषित,समनुदेशित, परिसीमित, निर्वापित करती है, उनका पंजीयन अनिवार्य है।

सुधार विलेख के लिए शर्तें

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सुधार विलेख के लिए कुछ शर्तें इस प्रकार हैंः

त्रुटि वास्तविक होनी चाहिए।

यह जानबूझकर नही, बल्कि अनजाने में होना चाहिए।

मूल विलेख के सभी पक्षों, अर्थात निष्पादको और दावेदारों को इसमें सुधार के लिए सहमत होना होगा।सुधार विलेख, मूल विलेख के सभी पक्षकारों द्वारा दो गवाहों के उपस्थिति में निष्पादित होना चाहिए।

अगर मूल विलेख, पंजीकृत है,तो सुधार विलेख भी निष्पादन तिथि से चार माह के भीतर पंजीकृत होना चाहिए।

त्रुटियाँ जिन्हें सुधार विलेख के माध्यम से ठीक नही किया जा सकता है.

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सुधार विलेख के माध्यम से, दस्तावेजों में केवल तथ्यात्मक त्रुटियों को सुधारा/निरस्त किया जा सकता है। कानूनी त्रुटियाँ को सुधार विलेख के माध्यम से ठीक नहीं किया जा सकता। किसी सुधार विलेख का उपयोग मूल दस्तावेज़ की कानूनी या मूल प्रकृति को बदलने के लिए नहीं किया जा सकता है। क्षेत्राधिकार संबंधी त्रुटियाँ और स्टाम्प ड्यूटी त्रुटियाँ भी सुधार विलेख के माध्यम से ठीक नहीं की जा सकतीं।

मूल अभिलेख के कुछ ही पक्षकारो द्वारा सुधार विलेख निष्पादन नहीं किया जा सकता। सुधार उल्लेख में मूल विलेख के सभी पक्षकारों का निष्पादन आवश्यक है।

सुधार विलेख में कानूनी प्रतिबंधों का सुधार नहीं किया जा सकता। कोई खसरा प्रतिबंधित है। पहले अलग खसरे का रजिस्ट्री करानी है ,बाद में सुधार पत्र के द्वारा प्रतिबंधित खसरे का उल्लेख कर दिए। ऐसा नहीं किया जा सकता।

निम्नलिखित शर्तें हैं जिनके तहत सुधार विलेख बनाया जाता हैः

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त्रुटि वास्तविक होनी चाहिए।

त्रुटि सद्भाविक होना चाहिए।

यह अनजाने में होना चाहिए, जानबूझकर नहीं।

मूल विलेख के सभी पक्षों को इसमें सुधार के लिए सहमत होना होगा।

सुधार विलेख की विषय-वस्तु क्या हो?

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सुधार लेख में पक्षकारों के विवरण के पश्चात मूल विलेख के अंश तथा संशोधन पश्चात पढ़े जाने वाले प्रतिस्थापित अंश का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। भविष्य की जटिलताओं से बचने के लिए यह भाषा में स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए। इसे मूल दस्तावेज़ के दायरे में बदलाव नहीं करना चाहिए या किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। साथ ही, यह सुनिश्चित करने का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि सुधार किसी भी पक्ष को उनके अधिकारों से वंचित न कर दे।

सुधार विलेख बनाने की प्रक्रिया क्या है?

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पक्षकारों के संज्ञान में त्रुटि आने के पश्चात उनके बीच इस पर किए जाने वाले संशोधन के संबंध में राय मशविरा व सहमति किया जाना चाहिए ,तथा इसके पश्चात इसे सुधार /संशोधन अभिलेख के रूप में तैयार कराया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ में तत्समय प्रचलित कानून के अनुसार स्टांप शुल्क अदा किया जाना चाहिए, तथा दो गवाहों के समक्ष सुधार विलेख को विधिवत निष्पादित किया जाना चाहिए।

वर्तमान में गैर सारवान प्रकृति के संशोधन अभिलेख के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में ₹1000 का स्टांप शुल्क निर्धारित है। सारवान प्रकृति के संशोधन विलेख के मामले में मूल विलेख के समान स्टांप शुल्क देय होता है।

सारवान संशोधन क्या है?

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स्टांप अनुसूची 1 क के अनुच्छेद 27 ख के प्रयोजन से सारवान परिवर्तन वह है, जो लिखत के मूल अवस्था द्वारा अभीनिश्चित पक्षकारो के अधिकारों, दायित्वों या विधिक स्थिति में परिवर्तन करता हो, या अन्यथा मूल रूप से निष्पादित लिखत के विधिक प्रभाव में परिवर्तन करता हो।

सरल शब्दों में

कोई सुधार विलेख सारवान श्रेणी का होता है,

अगर,

जिसमें नया पक्षकार जुड़ रहा हो। मूल विलेख में क्रेता ए था। सुधार विलेख में क्रेता ए और बी हो गए।

कोई पक्षकार हट रहा हो। मूल विलेख में क्रेता ए ,बी और सी थे।नए विलेख में क्रेता ए और बी बस रह गए।

पक्षकार की विधिक स्थिति में परिवर्तन हो रहा हो। मूल विलेख में विक्रेता ए था , नए विलेख में विक्रेता फर्म ए हो गया, या एचयूएफ ए हो गया।

प्रतिफल की राशि बदल रहा हो।

संपत्ति बदल रहा हो।

संशोधन से दस्तावेज का वर्गीकरण स्वरूप बदल रहा हो।

संशोधन से मूल विलेख तथा संशोधित विलेख में प्रभार्य स्टांप शुल्क,पंजीयन शुल्क बदल जा रहा हो।

उपरोक्त सूची मात्र उदाहरणात्मक ,वर्णनात्मक है , तथा सारवान परिवर्तन के आशय को समझने के लिए है।

संशोधन अभिलेख की रजिस्ट्री कैसे कराएंगे?

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संशोधन विलेख का पंजीयन भी अन्य विलेख की तरह उप पंजीयक कार्यालय में किया जाता है। वर्तमान कंप्यूटर की पंजीयन प्रणाली में वेबसाइट में जाकर आवश्यक प्रविष्टि दर्ज कर अपॉइंटमेंट लिया जाता है, तथा निर्धारित टाइम स्लॉट में उप पंजीयक के समक्ष भौतिक रूप से दस्तावेज पेश करना होता है, जहां पक्षकारों के फोटो, बायोमेट्रिक ,शिनाख्ती तथा पंजीयन शुल्क वसूल करने के पश्चात उप पंजीयक ,पंजीयन की कार्यवाही पूरा करता है तथा विलेख में ऑनलाइन पृष्ठांकन कर पंजीकृत दस्तावेज वापस लौटा देता है।

अगर उप पंजीयक को यह लगता है, कि इस संशोधन के द्वारा सारवान परिवर्तन हो रहा है, तो वह सारवान श्रेणी का प्रभार्य स्टांप शुल्क जमा करने बोल सकता है,तथा पक्षकार के सहमत नही होने पर स्टांप शुल्क की वसूली के लिए दस्तावेज को परिबद्ध कर वसूली के लिए जिला पंजीयक अर्थात कलेक्टर आफ स्टांप को भेज सकता है।

क्या करें जब सुधार अभिलेख में भी कुछ त्रुटि हो जाए?

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यदि सुधार विलेख में भी कोई त्रुटि हो जाए, तो एक पूरक सुधार विलेख निष्पादित किया जा सकता है। तथा पूर्वोक्त रीति से उसका पंजीयन कराया जा सकता है।

यदि कोई पक्ष सुधारों से सहमत नहीं है तो क्या उपाय उपलब्ध है?

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ऐसे मामलों में जहां किसी विलेख के कोई पक्षकर ऐसे संशोधन या निष्पादित दस्तावेजों के सुधार के लिए सहमत नहीं हैं, तो दूसरा पक्ष विशिष्ट राहत अधिनियम 1963 की धारा 26 के तहत सक्षम सिविल न्यायालय के समक्ष वाद दायर कर सकता है।

न्यायालय किसी लिखत में सुधार का निर्देश दे सकती है, यदि वह संतुष्ट है कि विलेख पक्षों के वास्तविक इरादे को व्यक्त नहीं करता है।

क्या सुधार विलेख में कोई समय सीमा है?

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सुधार विलेख निष्पादित करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है। किसी भी समय, यदि कोई गलती पता चलती है, तो सुधार विलेख निष्पादित किया जा सकता है। हालाँकि, पार्टियों को गलती का पता चलते ही उसे सुधारने की कोशिश करना चाहिए । भविष्य में, उस विशेष त्रुटि को सुधारने की आवश्यकता उत्पन्न होगी और समय के अनुपात में उसे ठीक करना उतना ही कठिन होता जाएगा।

सुधार विलेख के निष्पादन के चार मास के भीतर उप पंजीयक के समक्ष पंजीयन के लिए प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य है।

विरेन्द्र कुमार श्रीवास

(लेखक, रायपुर पंजीयन आफिस में सीनियर डिप्टी रजिस्ट्रार हैं।)

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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