आखिर क्या है 1 प्रतिशत डीए के पीछे की सच्चाई....छत्तीसगढ़ के CM भूपेश के बयान के बाद गरमाया मामला!
रायपुर। कर्मचारी, अधिकारी फेडरेशन की बेमियादी हड़ताल आज से शुरू हो गई। राजधानी रायपुर से लेकर जिला मुख्यालयों तक में इसका असर दिखा। सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति क्षीण रही। हड़ताल को लेकर सरकार का अभी रुख स्पष्ट नहीं है। कल मुख्यमंत्री का जन्मदिन है, हो सकता है कल के बाद इस मामले में कोई पहल हो।
उधर, प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल से आज पत्रकारों ने सीधा सवाल पूछा कि कर्मचारी हड़ताल पर हैं इसे लेकर आपका कहना क्या है तो हमेशा की तरह उन्होंने सीधा और स्पष्ट जवाब दिया लेकिन उनके इस स्पष्ट जवाब के बावजूद मामला उलझ गया है । मुख्यमंत्री ने आज सीधे तौर पर कहा कि
" चर्चा करके 6 परसेंट की बढ़ोतरी की गई, जिसका आधे संगठनों ने स्वागत किया , इसके बाद दूसरे संगठन वाले भी आए और बोले हमारे लिए कम से कम 6 परसेंट में एक परसेंट और बढ़ोतरी कर दीजिए " ।
यह मुद्दा कुछ दिन पहले भी उठा था क्योंकि जैसे ही अनिल शुक्ला गुट ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद 6% डीए पर सहमति की बात वायरल की वैसे ही कमल वर्मा गुट ने अगले दिन ही आपातकालीन बैठक बुलाई और उसी दिन फेडरेशन के संरक्षक विजय झा का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा कि
यह फेडरेशन के आत्मसम्मान का विषय बन चुका है हमें कुछ नही तो कम से कम 6 परसेंट में आधे परसेंट की बढ़ोतरी करवानी होगी, अब यह लड़ाई 12 परसेंट की नहीं बल्कि आत्म सम्मान की लड़ाई है ।
इस वीडियो के बाहर आते ही यह सवाल खड़ा होने लगा था कि क्या अब यह लड़ाई दो गुटों के आत्म सम्मान की लड़ाई में बदल चुका है । फेडरेशन के मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद भी विश्वस्त सूत्रों से यह खबर निकल कर सामने आई थी की फेडरेशन की तरफ से 6% में कम से कम 1% और बढ़ोतरी की मांग की गई जिसे सीधे तौर पर मुख्यमंत्री ने ठुकरा दिया और इसके बाद फेडरेशन ने अनिश्चितकालीन आंदोलन को यथावत रखने की घोषणा कर दी। इसके बाद से ही बहुत से संगठनों ने यह आरोप लगाया कि यह लड़ाई दरअसल डीए और महंगाई भत्ता की नहीं बल्कि अपने साख को बरकरार रखने की हो चली है। आज मुख्यमंत्री के भी स्पष्ट बयान देने के बाद एक बार फिर इस बात ने जोर पकड़ लिया है कि आखिरकार यह लड़ाई 12% की है या 1% बढ़ोतरी की , हड़ताल से बाहर रहने वाले संगठन से जुड़े लोग अब सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री का वीडियो डालकर यह सवाल भी पूछ रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि यदि मुख्यमंत्री ने गलत बयान दिया है तो फिर फेडरेशन की तरफ से इसका स्पष्ट खंडन किया जाना चाहिए हालांकि अब तक फेडरेशन की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है ।