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शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए जारी 5 सूत्रीय गाइडलाइंस से भ्रम की स्थिति, पारदर्शिता के प्रयास में पलीता की आशंका

शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए जारी 5 सूत्रीय गाइडलाइंस से भ्रम की स्थिति, पारदर्शिता के प्रयास में पलीता की आशंका
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By NPG News

रायपुर, 24 फरवरी 2022. छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने तबादलों और पोस्टिंग में अनियमितता को लेकर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की है। हालांकि अभी तबादलों पर प्रतिबंध है। इस बीच 5 बिंदुओं का एक और आदेश विभाग की तरफ से जारी किया गया है। इसमें बिंदु क्रमांक 1 और 2 से स्पष्ट है कि सीएम के आदेश पर ही तबादलों के प्रकरण प्रस्तुत किये जायेंगे। वहीं आदेश के बिंदु क्रमांक 2 में यह बताया गया है कि तबादलों में डीईओ के विकल्प पर जैसे ऑप्शन के साथ तबादले नहीं किये जायेंगे। बावजूद इसके यदि सीएम का आदेश हो तो पहले से पदस्थ व्यक्ति के स्थान पर उसे अन्यत्र हटा नए व्यक्ति को स्थानांतरण पश्चात पदस्थापना दी जाएगी।

गौरतलब है कि शिक्षकों के प्रथम नियुक्ति, स्थानांतरण और संविलियन को लेकर सेवा की गणना का विवाद पहले ही चल रहा है। एचएम पदोन्नति की प्रक्रिया इसी लिए कोर्ट में उलझ कर रह गयी है। ऐसे में अब अटेचमेंट के बाद अतिशेष को परिभाषित करने में जिले के शिक्षा अधिकारी आदेश की व्याख्या अपने मन मुताबिक करेंगे। अर्थात प्रतिबंधित समय में होने वाले ज्यादातर तबादले सीएम की अनुशंसा, अनुमोदन या उनकी प्रत्याशा पर ही होते है। पूर्वमें हुए कई तबादलों के आदेश में माननीय सीएम के अनुमोदन का जिक्र है। ऐसे में वह प्राचार्यों और डीईओ के द्वारा मंगाई जा रही जानकारियों में इतनी जल्दी कैसे अतिशेष में आ जाएंगे। फिर जब इन्हें नई पदस्थापना दी गई है तब पुराने पदस्थ व्यक्ति को उस समय क्यों नहीं हटाया गया?

इस नए दिशा निर्देश के बाद असमन्जस की स्थिति भी बनती दिख रही है। वर्तमान में शिक्षकों की सीनियरिटी संविलियन की तिथि से की जा रही है। अर्थात जिसका संविलियन पहले हुआ वह सीनियर जिसका बाद में हुआ वह जूनियर। लेकिन जो प्रस्ताव तबादले के लिये बनाये जा रहे है उनमें इसको दरकिनार कर स्कूल में जॉइनिंग के हिसाब से बनाये जा रहे है। अर्थात स्कूल में जो पहले से है भले ही संविलियन बाद में हुआ हो उसको अतिशेष नहीं माना जा रहा है, जबकि पदोन्नति में प्रथम नियुक्ति को ही दरकिनार किया गया है याने ट्रांसफर से आने के बाद से उनकी सेवा की गणना की जा रही है।

कुल मिलाकर तबादलों में पारदर्शिता लाने का विभागीय प्रयास ठीक है लेकिन मैदानी इलाकों में तैनात अफसर इसकी व्याख्या अपने अपने हिसाब से करके पलीता लगाने की इसमें पूरी गुंजाइश है.

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