संजय के. दीक्षित
तरकश, 3 अप्रैल 2022
छत्तीसगढ़ में फिलवक्त 28 जिले हैं और चार नए प्रॉसेज में हैं। पिछले साल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मनेंद्रगढ़, सक्ती, सारंगढ़ और मोहला-मानपुर को नए जिले बनाने का ऐलान किया था। याने 28 प्लस चार 32। खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने खैरागढ़ को भी जिला बनाने का वादा किया है। कांग्रेस की जीत के 24 घंटे के भीतर खैरागढ़-गंडई-छुईखदान नाम से नए जिले की घोषणा हो जाएगी। इस तरह छत्तीसगढ़ में जिलों की संख्या बढ़कर अब 33 हो जाएगी। उधर, जिला के लिए पत्थलगांव का दावा काफी पुराना है। जशपुर राजपरिवार के फेर में पत्थलगांव की मांग पूरी नहीं हो पाई। अंतागढ़ में भी जिले के लिए लंबे समय से आंदोलन चल रहा है। लिहाजा, अगले विधानसभा चुनाव के पहले तक छत्तीसगढ़ में जिलों की संख्या बढ़कर 36 हो जाए, तो अचरज नहीं।
जिले का क्रेज!
खैरागढ़ में अगर सत्ताधारी पार्टी की जीत होगी तो राजनांदगांव जिला तीन हिस्सों में बंट जाएगा। मानपुर-मोहला नए जिले की घोषणा पहले हो गई है और दूसरा खैरागढ़। कलेक्टर, एसपी के दावेदार इससे बेहद खुश होंगे। पांच नए जिले में पांच कलेक्टर एडजस्ट हो जाएंगे, पांच एसपी भी। सीनियर कलेक्टरों को जरूर धक्का लगेगा क्योंकि, नौ ब्लॉक का राजनांदगांव शांत और साफ-सुथरा जिला माना जाता है। मलाईदार जिलों में कलेक्टरी करने के बाद अधिकांश आईएएस की इच्छा होती है कि राजनांदगांव जिला भी जाए। मगर अब तीन हिस्सों में बंटने के बाद राजनांदगांव की रेटिंग नीचे आ जाएगी। अब नौ से घटकर पांच ब्लॉक का जिला हो जाएगा। अभी सूबे में नौ ब्लॉक वाले तीन जिले हैं। रायगढ़, जांजगीर और राजनांदगांव। नए जिलों के गठन के बाद जांजगीर में छह, राजनांदगांव में पांच और रायगढ़ में सात ब्लॉक बचेंगे। यानी रायगढ़ जिला नंबर वन हो जाएगा।
सीधा मुकाबला
खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में सत्ताधारी पार्टी और मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी में सीधी भिड़ंत है। इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। मगर यह भी सही है कि खैरागढ़ शुरू से कांग्रेस का गढ़ रहा है। बीजेपी सिर्फ दो बार इस सीट से जीत पाई है। 2007 का उपचुनाव और 2008 का आम चुनाव। दोनों ही बार कोमल जंघेल जीते। इस बार भी बीजेपी ने जंघेल को चुनाव मैदान में उतारा है। कोमल जंघेल जमीनी नेता हैं। लोधी वोटरों में उनका प्रभाव भी है। मगर दोनों ही चुनाव तब निकाले, जब भिड़ंत त्रिकोणीय रही। पिछले बार भी जोगी कांग्रेस की वजह से मुकाबला त्रिकोणीय रहा। इसमें कोमल जंघेल ने कड़ा टक्कर दिया था...वे दिवंगत विधायक देवव्रत सिंह से मात्र 850 वोटों से हार गए। मगर इस बार मुकाबला सीधा है। इसलिए, बीजेपी नेता भी स्थिति को लेकर नावाकिफ नहीं हैं।
आईएएस कॉन्क्लेव
आईएएस कॉन्क्लेव अबकी कई मायनों में खास रहेगा। तीन दिन का कॉन्क्लेव 14 से शुरू होकर 16 अप्रैल तक चलेगा। इसमें लेक्चर देने देश के जाने माने पूर्व नौकरशाहों को बुलाया जा रहा है। 15 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शिरकत करेंगे। बाकी, आईएएस परिवार के लिए सेलिब्रेशन का तगड़ा इंतजाम रहेगा।
अब डीए चाहिए
सरकार ने कर्मचारियों को फाइव डे वीक दिया। इसके बाद अप्रत्याशित रूप से पेंशन की मांग पूरी की। अब सुनने में आ रहा महंगाई भत्ते याने डीए बढ़ाने को लेकर कर्मचारियों के बीच कुछ-कुछ चल रहा। ठीक है, कर्मचारियों की मांगे वाजिब हो सकती हैं, पर सिस्टम को वर्किंग कल्चर बनाने पर जोर देना चाहिए, जो कि 21 साल में हुआ नहीं। फाइव डे वीक होने के बाद भी आफिसों में 11 बजे से पहले कोई पहुंच नहीं रहा।
अंत में दो सवाल आपसे?
1. क्या मंत्रिमंडल में फेरबदल का कोई फार्मूला तैयार हो रहा है?
2. खैरागढ़ चुनाव के बाद लाल बत्ती की छोटी लिस्ट निकलेगी?