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हर दिन 31 बच्चे किये सुसाइड, लड़कियों की संख्या अधिक, कोविड के कारण बच्चों के आत्महत्या के मामले 18 फीसदी बढ़े

हर दिन 31 बच्चे किये सुसाइड, लड़कियों की संख्या अधिक, कोविड के कारण बच्चों के आत्महत्या के मामले 18 फीसदी बढ़े
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By NPG News

नई दिल्ली, 9 नवंबर 2021। पिछले साल याने 2020 में बच्चों में बढ़े आत्महत्या के मामले ने विशेषज्ञों को भी चौंका दिया है। पिछले साल बच्चों की आत्महत्या के मामलों में 18 फीसदी का इजाफा हुआ है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (National Crime Records Bureau -NCRB) के मुताबिक, साल 2020 में भारत में हर दिन औसतन 31 बच्चों ने आत्महत्या (suicide) की है। एक्सपर्ट्स ने इसके पीछे कोरोना महामारी को एक बड़ी वजह माना है। कोविड से बच्चों के मेंटल हेल्थ पर गहरा असर पड़ा है।

NCRB के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2020 में 11,396 बच्चों की आत्महत्या से मौत हुई है, जो कि साल 2019 के मुकाबले 18 फीसदी अधिक है। इनमें 5,392 लड़के और 6,004 लड़कियां थीं। यानी पिछले साल हर दिन 31 और हर घंटे 1 बच्चे ने खुदकुशी की। साल 2019 में 9,613, जबकि साल 2018 में 9,413 बच्चों ने आत्महत्या की थी।

आंकड़ों के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्चों की आत्महतया करने की मुख्य वजह पारिवारिक समस्याएं रही है। जिसकी वजह से 4,006 बच्चों ने आत्महत्या की है। वहीं लव अफेयर्स से 1,337 और बीमारी की वजह से 1,327 बच्चों ने आत्महत्या की है। कुछ बच्चों के आत्महत्या करने के पीछे बेरोज़गारी, दिवालियापन, नपुंसकता (impotency) और drug abuse का इस्तेमाल जैसे अन्य कारण थे।

बाल संरक्षण पर काम करने वाली संस्था सेव द चिल्ड्रन (Save the Children) के डिप्टी डायरेक्टर प्रभात कुमार (Prabhat Kumar) का कहना है कि कोविड महामारी और स्कूल बंद होने की वजह मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है। बच्चों में बढ़ते सुसाइड के मामले सिस्टमैटिक फेलियर को दिखाता है। कुमार ने आगे कहा कि ये माता- पिता, परिवार, पड़ोसियों और सरकार सभी की जिम्मेदारी है कि हम बच्चों को एक ऐसा सिस्टम दें जहां बच्चे अपनी क्षमता पहचान सकें और अपने सपनों को पूरा करने करने के लिए तैयार हो सके।

वहीं, CRY-चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY-Child Rights and You) में पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी की डायरेक्टर प्रीति महारा (Priti Mahara) ने कहा कि शुरुआत से ही ये सबसे बड़ा डर था कि इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है और NCRB के आंकड़े इस डर को बयां करते हैं कि महामारी ने बच्चों के साइकोलॉजिकल ट्रॉमा को काफी हद तक बढ़ा दिया है।

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