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यंगेस्ट डीजीपी

Youngest DGP...Tarkash, a popular weekly column by senior journalist Sanjay Dixit, focused on the bureaucracy and politics of Chhattisgarh.

यंगेस्ट डीजीपी
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By NPG News

संजय के. दीक्षित

तरकश, 29 मई 2022

केवीआरएन रेड्डी यानी काशी विश्वनाथ राजेंद्र नाथ रेड्डी आंध्र प्रदेश के नए डीजीपी बनाए गए हैं। उन्हें 10 आईपीएस अधिकारियों की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर पुलिस महकमे की कमान सौंपी गई है। रेड्डी 92 बैच के आईपीएस हैं। देश में 90 बैच से नीचे वाले दो ही डीजीपी हैं। एक काशी विश्वनाथ और दूसरे नागालैंड के डीजीपी लांग कुमेर। कुमेर छत्तीसगढ़ कैडर के 91 बैच के आईपीएस हैं। वे डेपुटशन पर गृह प्रदेश गए और वहां की सरकार ने उन्हें पुलिस विभाग का मुखिया अपाइंट कर दिया। बहरहाल, इसमें खबर ये है कि देश के यंगेस्ट डीजीपी के बैच के दो आईपीएस छत्तीसगढ़ में भी हैं। पवनदेव और अरुणदेव गौतम। ये दोनों अभी एडीजी हैं। अगले बरस डीएम अवस्थी और संजय पिल्ले के रिटायरमेंट के बाद दोनों डीजी बन पाएंगे। इनमें से डीजीपी कब और कौन बनेगा, ये वक्त बताएगा।

स्मार्ट आईपीएस

लांग कुमेर की बात चली तो बता दें वे बेहद स्मार्ट निकले। लंबे समय तक वे बस्तर में डीआईजी, आईजी रहे, उसके बाद सरगुजा आईजी। एडीजी प्रमोट होने पर सरकार ने उन्हें पीएचक्यू बुलाया तो सही समय पर डेपुटेशन पर गृह प्रदेष नागालैंड चले गए और वहां डीजीपी बन गए। छत्तीसगढ़ में होते तो उन्हें एडीजी से ही रिटायर होना पड़ता। क्योंकि, वे 91 बैच के आईपीएस हैं। फिलवक्त 89 बैच के अशोक जुनेजा डीजी पुलिस हैं। जुनेजा से पहले लांग कुमेर इस साल अगस्त में रिटायर हो जाएंगे। दरअसल, छत्तीसगढ़ में डीजी के कैडर पोस्ट दो ही हैं। दो कैडर के साथ दो एक्स कैडर। याने चार। अभी डीएम अवस्थी, संजय पिल्ले, अशोक जुनेजा और राजेश मिश्रा स्पेशल डीजी हैं। छत्तीसगढ़ में आईपीएस अधिकारी आपस में टांग खिंचाई में लगे रहे। इसका नतीजा यह हुआ के कैडर की बेहतरी के लिए कोई काम नहीं हुआ।

एक अनार, सौ बीमार-1

जाहिर है, राज्यसभा की दो सीटों के लिए होने जा रहे चुनाव में बीजेपी के लिए कोई स्कोप नहीं है। निश्चित तौर पर दोनों सीटें कांग्रेस की झोली में जानी है। इसलिए, टिकिट के लिए जो भी एक्सरसाइज चलेगा, वह कांग्रेस में ही चलेगा। वैसे प्रत्याशी को लेकर कई तरह की अटकलें और कयासों का दौर चल रहा है। लेकिन, खुलकर कोई बोल नहीं रहा...अजीब तरह की खामोषी पसरी हुई है। स्पीकर चरणदास जरूर पहले मुखर थे। लेकिन, उन्होंने भी मौन साध लिया है। टिकिट फायनल करने के संदर्भ में हो सकता है बस्तर दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली जाएं। मगर राजनीतिक पंडितों की मानें तो कांग्रेस के लिए सब कुछ आसान नहीं है। ओबीसी और आदिवासी वर्ग से लोकसभा में एक-एक सदस्य हैं। लिहाजा, अजा नेता अपने समाज के लिए जोर लगा रहे तो साहू समाज भी शांत नहीं है। उधर, दिल्ली में छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक और वर्तमान प्रभारी पीएल पुनिया भी छत्तीसगढ़ से उम्मीद लगाए बैठे हैं। विनोद वर्मा, गिरीश देवांगन और अटल श्रीवास्तव का नाम भी चर्चा में है तो आईएमए ने डॉ0 राकेश गुप्ता का नाम आगे बढ़ाया है। अभी तक फार्मूला यही है कि दो सीटों में से एक पर पार्टी के किसी राष्ट्रीय नेता को राज्यसभा भेजा जाएगा और एक पर लोकल नेता को।

एक अनार सौ बीमार-2

विधानसभा चुनाव में अभी करीब सवा साल का वक्त बचा है। लेकिन, सियासी पार्टियों के दावेदार विधानसभा सीटों की बिसात पर अपनी गोटियां बिठाने लगे हैं। अभी बात रायपुर की...रायपुर में चार सीटें हैं। रायपुर दक्षिण में बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल जैसे दमदार नेता हैं। सो, उधर कोई देखता नहीं। रायपुर पष्चिम जोखिम वाली सीट है। राजेश मूणत ने अपने तरफ से वहां कोई कसर नहीं छोड़ा, उसके बाद भी मतदाताओं ने विकास उपध्याय को विधायक बना दिया। रायपुर ग्रामीण में साहू वोटरों का दबदबा है। सत्तू भैया जानते हैं कि उन्हें दूसरी बार जीतने में कितनी मशक्कत करनी पड़ी। ऐसे में, सत्ताधारी पार्टी हो या भाजपा, दोनों पार्टियों की दावेदारों की पहली प्राथमिकता रायपुर उत्तर है। उत्तर से कांग्रेस से कुलदीप जुनेजा विधायक हैं। महापौर एजाज ढेबर की नजर भी उत्तर पर है। उत्तर में नगर निगम का सौंदर्यीकरण अभियान भी तेज हो रहा है। तो बीजेपी में भी लोग पीछे नहीं। कलेक्ट्रेट के घेराव के दिन इसका नजारा दिखा...एक दावेदार कलेक्टर की घेराव कर रहा था तो दूसरा पहुंच गया एसपी का घेराव करने। कुल मिलाकर टिकिटों की मारामारी उत्तर में ही होगी।

देर आए मगर...

गृह विभाग ने प्रवीण सोमानी अपहरण कांड की गुत्थी सुलझाने वाले पुलिस टीम को एक इंक्रिमेंट देने का आदेश जारी कर दिया है। हालांकि, इसमें लंबा वक्त लगा। मुख्यमंत्री ने ढाई साल पहले इसकी घोषणा की थी। छह महीने पहिले पुलिस रिव्यू में इसको लेकर वे नाराज भी हुए थे। मगर चलिए अब आदेष जारी हो गया। हालांकि, इससे उस समय के आईजी डॉ0 आनंद छाबड़ा और कप्तान आरिफ शेख को फिलहाल इंक्रिमेंट का लाभ नहीं मिल पाएगा। उनका मामला एमएचए को भेजा जाएगा। वहां से एप्रूवल मिलने के बाद उन्हें इंक्रिमेंट का लाभ मिलेगा।

दुआ करें...

97 बैच की आईएएस एम गीता दिल्ली के बीएम कपूर हास्पिटल में क्रीटिकल स्थिति में हैं। कल से वे वेंटीलेटर पर हैं। उनके ब्रेन में क्लॉट है। कोमा में होने की वजह से ब्रेन की सर्जरी नहीं हो पा रही। डॉक्टर उनके होश में आने का प्रतीक्षा कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में एग्रीकल्चर सिकरेट्री और एपीसी रही गीता पिछले साल भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर गईं थी। छत्तीसगढ़ में वे ओडीएफ की फर्स्ट मिशन डायरेक्टर रहीं और एसीएस एमके राउत के साथ उन्होंने काफी काम किया। महिला बाल विकास सिकरेट्री के तौर पर भी उन्होंने छत्तीसगढ़ को कई पुरस्कार दिलवाये। दुआ करें...वे जल्दी स्वस्थ्य हो जाएं।

मई और कलेक्टर

मई महीने में कलेक्टरों की बड़ी लिस्ट निकलती थी। बीजेपी 15 साल शासन में रही, उसमें आठ से दस साल मई में कलेक्टरों का ट्रांसफर हुआ। भूपेश बघेल सरकार में तो तीनों साल याने 2019, 20 और 21 के मई लास्ट में कलेक्टरों और आईएएस अधिकारियों की जंबो लिस्ट निकली। कांग्रेस सरकार का यह पहला मई है, जिसमें इस बार कलेक्टरों का तबादला नहीं हो रहा। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र के दौरों की वजह से इस बार मई का ट्रांसफर टल गया है। अब जून लास्ट के पहले कोई उम्मीद नजर नहीं आती।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक आईजी का नाम बताइये, जिन्हें जमीन के सौदे में बड़ा घोखा खा गए है?

2. राज्यसभा चुनाव के बाद भूपेश बघेल मंत्रिमंडल में सर्जरी होगी, इस खबर में कितनी सत्यता है?

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