नक्सलियों के आईडी ब्लास्ट से सिविलियन वाहन भी सुरक्षित नहीं, 22 ब्लास्टों में अब तक 75 लोगों की मौत

जगदलपुर, 7 अगस्त 2021। माओवादी क्रांति और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष से लहूलूहान बस्तर की धरती पर लाल रक्त केवल माओवादियों या कि सशस्त्र बलों का ही नहीं है, इनमें बड़ी संख्या ग्रामीणों की भी है, या कि उन निर्दोष नागरिकों की जो माओवादी आधार इलाक़ों से होकर गुजरने की भूल कर गए और आईईडी ब्लास्ट के शिकार हो गए।
सत्रह साल आठ महीने और नवमां दिन याने आज जबकि सात अगस्त है, छत्तीसगढ़ निर्माण से लेकर अब तक के आँकड़े यह बताते हैं कि इन सत्रह सालों में 22 ऐसे IED ब्लास्ट के मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें 75 नागरिकों की मौत हुई है।
राज्य बनने के बाद पहला मामला 29 नवंबर 2003 को दर्ज किया गया था, यह कोंगूपल्ली मद्देड़ बीजापुर में दर्ज किया गया था।इसमें एक नागरिक ने जान गँवाई थी, यह व्यक्ति जीप चला रहा था, और इसके आगे तत्कालीन विधायक राजेंद्र पामभोई का क़ाफ़िला चल रहा था।
आईईडी ब्लास्ट से नागरिकों के मारे जाने का सबसे बड़ा आँकड़ा जिस घटना में मिलता है वह 28 फरवरी 2006 की तारीख पर दर्ज है। दरभागुड़ा के पास एर्राबोर सुकमा में माओवादियों ने सलवा जुडूम सभा के बाद ग्रामीणों को दोरनापाल से कोंटा ले जा रहे ट्रक पर आईईडी ब्लास्ट किया था। इस हमले में 22 ग्रामीणों की मौत हो गई थी।
इसके ठीक एक महीने के भीतर माओवादियों ने ग्राम पी व्ही 44 के पास,संगम रोड पखांजुर कांकेर में आईईडी ब्लास्ट किया था, जिसमें तेरह नागरिकों की मौत हुई थी। ये ग्रामीण संगम बाज़ार से लौट रहे थे।
तीसरी बड़ी घटना 17 मई 2010 को मिलती है जबकि चिंगावरम पुलिया के पास गादीरास में एक बस पर आईईडी ब्लास्ट किया गया और पंद्रह नागरिकों की मौत हो गई।
आँकड़ों को देखें तो स्पष्ट होता है कि माओवादियों के आईईडी ब्लास्ट में अब तक 75 नागरिकों की जान जा चुकी है, जबकि 22 घटनाएँ दर्ज की गई हैं। इन घटनाओं में 87 नागरिक गंभीर घायल हुए हैं।