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IPS मुकेश गुप्ता, उनके पिता और एमजीएम हास्पिटल की डायरेक्टर के खिलाफ ईओडब्लू ने धोखाधड़ी का मुकदमा किया दर्ज

IPS मुकेश गुप्ता, उनके पिता और एमजीएम हास्पिटल की डायरेक्टर के खिलाफ ईओडब्लू ने धोखाधड़ी का मुकदमा किया दर्ज
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By NPG News

NPG.NEWS
रायपुर, 6 मई 2020। छत्तीसगढ़ के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने एमजीएम आई हास्पिटल मामले में आईपीएस मुकेश गुप्ता, उनके पिता जयदीप गुप्ता और अस्पताल की डायरेक्टर डॉ0 दीपशिखा अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। तीनों पर आरोप है कि राज्य सरकार के तीन करोड़ अनुदान लेकर उन्होंने इस पैसे से अस्पताल का कर्जा चुकाया। एमजीएम ट्रस्टी ने बैंकों का भी लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाया।
आवेदक मानिक मेहता, द्वारका नई दिल्ली द्वारा प्रेषित शिकायत की जांच पर उपरोक्त तथ्य पाये जाने पर मुकेश गुप्ता आईपीएस (निलंबित डीजी छ.ग.), जयदेव गुप्ता प्रधान ट्रस्टी मिकी मेमोरियल ट्रस्ट, विधानसभा रोड़ रायपुर, डॉ. श्रीमति दीपशिखा अग्रवाल, ट्रस्टी मिकी मेमोरियल ट्रस्ट रायपुर एवं डायरेक्टर एमजीएम आई इंस्टीट्यूट व अन्य के विरूद्ध राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।

EOW के हवाले से आई जानकारी के अनुसार 14 जनवरी 2002 को मुकेश गुप्ता के पिता जयदेव गुप्ता द्वारा अपने व मुकेश गुप्ता के अभिन्न परिचितों को ट्रस्टी बनाते हुये मिकी मेमोरियल ट्रस्ट रायपुर का पंजीयन सार्वजनिक न्यास रायपुर से कराया। पंजीयन क्रमांक 247 पर ट्रस्ट का पंजीयन हुआ। मिकी मेमोरियल ट्रस्ट के प्रमुख ट्रस्टी जयदेव गुप्ता स्वयं थे और ट्रस्ट डीड की शर्तो के अनुसार ट्रस्ट का कानूनी उत्तराधिकारी नियुक्त करने का अधिकार केवल ट्रस्ट के प्रमुख ट्रस्टी के अधिकार में था। अन्य ट्रस्टी या बोर्ड को कोई अधिकार नहीं था। इस प्रकार ट्रस्ट एवं ट्रस्ट की संपत्ति को निजी नियंत्रण में रखने एवं ट्रस्ट पर एक निजी परिवार को एकाधिकार रखने व वर्चस्व बनाये रखने की पूर्व नियोजित योजना थी। ट्रस्ट डीड के अनुसार ट्रस्ट के अगले कानूनी उत्तराधिकारी जयदेव गुप्ता के परिवार के ही सदस्य मुकेश गुप्ता को ही रहना था।
ट्रस्ट पंजीयन होने के बाद ट्रस्ट को आयकर अधिनियम की धारा 12(ए) एवं 80(जी) की छूट एवं विदेशों से अनुदान व विनिमय के लिये एफसीआरए की मान्यता प्राप्त हो गई थी।
ट्रस्ट के पंजीयन के बाद प्रधान ट्रस्टी द्वारा सार्वजनिक लोक न्यास अधिनियम 1951 के प्रावधानों का वर्षानुवर्ष खुला उल्लंघन करते हुये ट्रस्ट के ट्रस्टी परिवर्तन की सूचना आय-व्यय का लेखा-जोखा पंजीयक/शासन को न देकर व अन्य आज्ञात्मक प्रावधानों का जानबूझकर खुला उल्लंघन किया गया ताकि ट्रस्ट के गोरख धंधे की जानकारी शासन से छिपी रहे। पंजीयक लोक न्यास द्वारा ट्रस्ट से दान-दाताओं की सूची, आय के स्त्रोत, आय-व्यय की जानकारी मांगे जाने पर भी मिकी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा उपलब्ध नहीं करायी गयी थी।
मिकी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा विधानसभा रोड़ सड्डू रायपुर में ट्रस्ट के पैसे से भूमि खरीदकर एमजीएम आई हास्पीटल का निर्माण किया गया, इस भवन निर्माण में विभिन्न नियमों व नगर पालिका अधिनियम की धज्जियां उड़ायी गयी। एमजीएम आई इंस्टीट्यूट के भवन निर्माण के अनुज्ञा की कार्यवाही के दौरान प्रधान ट्रस्टी द्वारा निगम के समक्ष झूठे शपथ पत्र व दस्तावेज प्रस्तुत किये गये। शासन से तथ्य छुपाकर अनुज्ञा प्राप्त की गई तथा बिना भवन पूर्णतः प्रमाण पत्र के अवैध रूप से ट्रस्ट द्वारा एमजीएम आई इंस्टीट्यूट का संचालन प्रारंभ कर दिया गया।
ट्रस्ट द्वारा वर्ष 2004 से एमजीएम आई इंस्टीट्यूट का संचालन प्रारंभ कर दिया गया था। नेत्र संस्थान भवन को एसबीआई बैरन बाजार रायपुर में बंधक रखकर अस्पताल हेतु चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिये 3 करोड़ रूपये का टर्म लोन तथा 10 लाख रूपये का कैश क्रेडिट लोन ट्रस्ट द्वारा लिया गया था। 13 सितंबर 2004 को लोन लेने के उपरांत अल्प अवधि में अप्रैल 2005 में ट्रस्ट का लोन एकाउण्ट अनियमित हो गया। बैंक को न तो समय पर लोन की राशि का ब्याज मिल पा रहा था और न ही लोन की किस्त अदा हो रही थी। अंततोगत्वा बैंक अधिकारियों ने कहा कि- ’’यदि दिसम्बर 2006 तक ऋण/ब्याज की अदायगी प्रारंभ नहीं हुई तो ट्रस्ट के विरूद्ध वसूली की कार्यवाही प्रारंभ कर दी जाएगी।’’
वर्ष 2005-06 में जब मिकी मेमोरियल ट्रस्ट की माली हालत खस्ता थी, ट्रस्ट एनपीए के दौर से गुजर रहा था, उसी दौरान एमजीएम आई इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर श्रीमति डॉ. दीपशिखा अग्रवाल के कंसलटेंसी फीस में अप्रत्याशित रूप से कई गुना वृद्धि हो रही थी। यह भी आश्चर्यजनक तथ्य है। इस पर प्रधान ट्रस्टी जयदेव गुप्ता एमजीएम की डायरेक्टर डॉ. श्रीमति दीपशिखा अग्रवाल के साथ मुकेश गुप्ता ने पूर्व नियोजित योजना के तहत् राज्य शासन से गरीब जनता को निःशुल्क मोतियाबिंद के ऑपरेशन की सुविधा आमजनों व शासकीय कर्मचारियों की रियायत दर पर चिकित्सा, मेडिकल स्टाफ को विशिष्ट चिकित्सा हेतु प्रशिक्षण देने के नाम पर 3 करोड़ रूपये का अनुदान लिया।
एक ओर तो शासन से ट्रस्ट ने आमजन को विशिष्ट चिकित्सा सुविधा देने के नाम पर राज्य शासन से 3 करोड़ रूपये की राशि का अनुदान प्राप्त किया, वहीं दूसरी ओर मुकेश गुप्ता बैंक के अधिकारियों को पद का प्रभाव दिखाकर ट्रस्ट की संपत्ति की कुर्की की कार्यवाही को रूकवाया तथा मुकेश गुप्ता के पद के प्रभाव के कारण ट्रस्ट का कर्ज सेटलमेंट प्रकरण 18 दिसंबर 2007 में अस्वीकृत होने के बाद भी बैंक अधिकारियों ने पुनः समझौता प्रकरण को प्रक्रिया में लाया एवं सामान्य प्रक्रिया से भिन्न युनिक (विशेष) लोन सेटलमेंट प्रकरण की श्रेणी में लाकर बैंक के 24 लाख रूपये शुद्ध घाटे में मिकी मेमोरियल ट्रस्ट के लोन प्रकरण का समझौता के तहत् निपटारा किया गया।
मुकेश गुप्ता के प्रभाव के कारण मिकी मेमोरियल ट्रस्ट को बैंक से 24 लाख रूपये का लाभ पहुचा तथा शासन के विश्वास से छलकर ट्रस्ट ने गरीबों का निःशुल्क मोतियाबिंद, कार्निया, रेटिना, ग्लूकोमा आदि इलाज न कर एवं आमजन को विशिष्ट नेत्र चिकित्सा रियायती दर पर उपलब्ध न कराकर अनुदान की राशि 3 करोड़ रूपये का उपयोग निजी कर्ज चुकाने में ट्रस्ट द्वारा किया गया है।

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