World animation day, 28 october: भारत में ऐसे शुरू हुआ एनिमेशन का सफर, बच्चों के साथ बड़ों को भी लुभाते हैं कार्टून
NPG DESK
World animation day, 28 october : हममें से शायद ही कोई ऐसा हो जिसने कार्टून नहीं देखे। कार्टून की चमकदार और जादुई दुनिया बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी लुभाती है।कागज़ या कंप्यूटर पर निर्जीव चित्रों में प्राण फूंकना, मूवमेंट कराना, खुशी-दुख, हैरानी-वात्सल्य, हार-जीत के भाव दिखाना या फिर इंसान या जानवरों को हवा में उड़ाना, गायब कराना, सुपरहीरो का काॅन्सेप्ट, सब एनिमेशन का ही तो कमाल है। अब तो हम चारों तरफ एनिमेशन से घिरे हैं। बच्चों के कार्टून के लेकर मोबाइल पर गेम्स खेलने और मूवीज़ तक में एनिमेशन तकनीक का इस्तेमाल होता है। हर साल 28 अक्टूबर को वर्ल्ड एनिमेशन डे मनाया जाता है। आज इस मौके पर हम जानते हैं कि भारत में कैसा रहा एनीमेशन का शुरुआती सफर। आइए एनिमेशन के साथ बचपन को फिर जीते हैं।
*एनिमेशन क्या है
एनीमेशन स्टोरीटेलिंग की एक तकनीक है। इसमें बहुत सी तस्वीरों को फ्रेम दर फ्रेम इस तरह प्रदर्शित करते है की हमें वह एक वीडियो के रूप में चलती हुई प्रतीत होती है | दरअसल हमारी आँखे 1 सेकंड में 10 इमेज तक देख सकती है अगर इससे ज्यादा इमेज दिखाई जाती है तो हमारा मस्तिष्क उन्हें एक चलती हुई तस्वीर के रूप में दिखा देता है। शुरुआत के जितने भी कार्टून फिल्म या एनीमेशन फिल्म बनाई गए उनमें हाथों से कुछ गति करते हुए इमेज बनाए जाते थे और उन्हें इस तेजी से दिखाया जाता था जिससे लगता था की कोई वीडियो चल रहा है |
लेकिन अब समय बदल गया है और नयी नयी तकनीक ने एनीमेशन को और ज्यादा आसान और प्रभावी बना दिया है | अब कम्प्यूटर पर ही सॉफ्टवेयर के द्वारा इमेज बनाई जाती है |और बेहतर और प्रभावी एनीमेशन के लिए बहुत तेज़ी से फ्रेम बदले जाते हैं।
* भारत में एनिमेशन फिल्म की शुरुआत
23 जून 1934 को गुनामोय बैनर्जी की "पी ब्रदर्स" के रूप में भारत में पहली एनिमेटेड फिल्म रिलीज हुई। गुनामोय बनर्जीऔर रघुनाथ के केलकर द्वारा जम्बू काका , सुपरमैन्स मिथ (1939) प्रसिद्ध एनिमेटर और फिल्म निर्माता द्वारा रंजीत मूवीटोन द्वारा जीके गोखले और जंबो द फॉक्स (1951) शुरुआती एनिमेटेड फिल्में हैं।
*पहली रंगीन फिल्म "द बनयान डियर" के निर्माण की रोचक है कहानी
भारत ने वर्ष 1957 में द बनयान डियर नामक 'रंग' में अपनी पहली एनिमेटेड फिल्म की रिलीज देखी ।"द बनयान डियर" रंग प्रारूप में एक पूर्ण एनिमेटेड फिल्म का निर्माण करने के लिए भारत के फिल्म प्रभाग ने बड़ी पहल की थी।
फिल्म प्रभाग को ऐसी एनिमेटेड फिल्में प्रस्तुत करने की उम्मीद थी जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों। संगठन ने भारत से गहरे संबंध रखने वाले डिज्नी एनिमेटर क्लेयर वीक्स की मदद मांगी। क्लेयर का जन्म भारत में एक मिशनरी पुजारी के परिवार में हुआ था, और उन्होंने बांबी और पीटर पैन जैसी प्रतिष्ठित डिज्नी फिल्मों पर करीब दो दशकों तक काम किया ।
एफडीआई के निमंत्रण पर 1956 में कार्टून यूनिट में कार्यरत लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए क्लेयर बॉम्बे पहुंचे। वह करीब 18 महीने तक रहे और उस टीम को प्रशिक्षण दिया, जिसने आज विश्व स्तरीय, रंगीन एनिमेशन में भारत के पहले गंभीर प्रयास के रूप में पहचाने जाने वाले निर्माण के लिए एक साथ काम किया।
ईस्टमैन कलर में निर्मित "द बनयान डियर" बौद्ध जातकों की एक लोकप्रिय कहानी पर आधारित था।जातक प्राचीन कथाएँ हैं, जिन्हें गौतम बुद्ध की शिक्षाओं को सरल तरीके से प्रस्तुत करने के लिए वर्णित किया गया है।
महिला कलाकारों सहित फिल्म पेशेवरों और एनिमेटरों की एक टीम ने फिल्म की अवधारणा, स्टोरीबोर्डिंग और एनिमेट करने का विशाल कार्य किया।एफडीआई ने फिल्म की इस विशेष कहानी को शायद कहानी में निहित नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते चुना, इस फिल्म की रिलीज़ ने भारतीय सिनेमा में एनीमेशन के लिए एक नए युग की शुरुआत की।
*क्या है बरगद हिरण की कहानी
संक्षेप में इस विशेष कहानी में, बरगद हिरण एक सुनहरा हिरण है और अपने झुंड का नेता है। वह एक शिकारी राजा से एक हिरण मां और उसके नवजात बच्चे को बचाने के लिए खुद बलिवेदी में कदम रखता है। उसकी करुणा राजा को प्रसन्न करती है, जो न केवल बरगद हिरण को जाने देता है, बल्कि सभी हिरणों के जीवन को बख्श देता है।
*आगे का सफर
1957 में द बरगद हिरण के रिलीज़ होने के बाद से , भारत में 130 से अधिक एनिमेटेड फिल्मों का निर्माण किया गया है। द लीजेंड आफ रामा, मीना: द गर्ल चाइल्ड, मैट्रिक सिस्टम, माई वाइज़ लेडी आदि ने बहुत तारीफ पाई।
*कार्टून शोज़
2000 के दशक की शुरुआत से, कई भारतीय कार्टून चैनलों ने पूरी तरह से अमेरिकी और जापानी एनिमेटेड शो पर निर्भर होने के बजाय अपने स्वयं के एनिमेटेड शो का निर्माण शुरू कर दिया।
*छोटा भीम ने पाई अपार सफलता
भारतीय राजीव चिलका निर्मित श्रृंखला छोटा भीम न केवल भारत में प्रसिद्ध है, बल्कि श्रीलंका और पाकिस्तान में भी प्रसारित होती रही है । पेशे से इंजीनियर राजीव ने एनिमेशन के पैशन के लिए नौकरी छोड़कर सैन फ्रांसिस्को में कोर्स किया। फिर "ग्रीन गोल्ड एनिमेशन कंपनी" बनाई। इनके बनाए शो छोटा भीम, माइटी राजू, कृष्णा, विक्रम बेताल को बच्चों ने बहुत पसंद किया।
इनके अलावा मोटू-पतलू, सैल्फी विद बजरंगी आदि काफी सफल रहे।
अब तो एनिमेशन बहुत सी हिन्दी फिल्मों का हिस्सा है।मोबाइल गेमिंग में भी एनिमेशन का बोलबाला है। इस कारण एनीमेशन में करियर की भी बहुत संभावनाएं हो गई हैं। युवा वर्ग तेजी से इसकी ओर आकर्षित हो रहा है।