मुंबई 9 मार्च 2022 I सुष्मिता सेन 1994 में मिस यूनिवर्स का खिताब अपने नाम करने वाली पहली भारतीय महिला हैं. सुष्मिता के बाद युक्ता मुखी, लारा दत्ता और हाल ही में हरनाज संधू ने इस टाइटल को जीत भारत का नाम दुनिया भर में रोशन किया. इस खिताब को हासिल कर दुनिया भर में इंडिया के नाम का डंका बजाने के बाद सुष्मिता ने बॉलीवुड में कदम रखा और सफल एक्ट्रेस बन गईं. बरसों बाद सुष्मिता सेन ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है.
सुष्मिता ने बताया कि फाइनल राउंड में उनसे पूछा गया था कि उनके मुताबिक, एक महिला होने का एसेंस (सार) क्या है? जवाब में सुष्मिता ने कहा, 'एक महिला होना ही अपने आप में भगवान का उपहार है, जिसकी हम सभी को सराहना करनी चाहिए। बच्चे का जन्म मां से ही होता है, जो एक महिला होती हे। वह पुरुषों को यह दिखाती और समझाती है कि देखभाल करना, शेयर करना और प्यार करना क्या है। मेरे लिए एक महिला होने का यही मतलब है।' सुष्मिता ने यह इंटरव्यू अपनी बेटी अलीषा के स्कूल मैगजीन के लिए दिया है। इसमें उनसे पूछा गया कि अब इतने साल बाद है, उनके जवाब में कुछ ऐसी बात है, जिसे वह बदलना चाहेंगी? सुष्मिता कहती हैं, 'उस सवाल के की सबसे बड़ी खूबी या उस जवाब की अच्छी बात यह है कि उसमें मुझसे यह नहीं पूछा गया कि एक महिला के क्या गुण हैं, बल्कि मुझसे यह पूछा गया कि एक महिला होने का क्या मतलब है, उसका क्या सार है।'
सुष्मिता इसी सवाल के जवाब में आगे कहती हैं, 'मैं एक हिंदी मीडयम स्कूल की बच्ची हूं, इसलिए उन दिनों मुझे बहुत ज्यादा अंग्रेजी भी नहीं आती थी। मुझे नहीं पता कि मैंने तब सवाल में पूछे गए 'एसेंस ऑफ वुमन' का मतलब कैसे समझा, और उसका इतना स्पष्ट जवाब कैसे दिया। मुझे लगता है कि उस वक्त मेरी जीभ पर सरस्वती विराजमान थीं, उन्हीं ने मुझसे यह कहने को कहा, क्योंकि यही वह बात थी, जिसके आधार पर मैंने अपनी जिंदगी जीने के तरीके का चुनाव किया है। मैं आज भी अपने जवाब पर कायम हूं। तब से अब में कुछ नहीं बदला है।' दो बेटियों रेने और अलीषा की सिंगल मदर सुष्मिता कहती हैं, 'तब मैंने यह कहा था कि महिला वह है जो पुरुषों को और दुनिया को प्यार करना, शेयर करना, केयर करना समझाती है। यह रोमांटिक लाइन नहीं थी। मेरे कहने का मतलब यह था कि एक मां, महिलाओं और पुरुषों की एक पीढ़ी को जन्म देती है। हम जिस तरह के बेटे पैदा करते हैं, वह भी हमारे एसेंस यानी सार का हिस्सा हैं। अब अगर मैं पीछे पलटकर अपने जवाब को याद करती हूं तो सोचती हूं, कि हे भगवान, सच में एक महिला होना अपने आप में कितना शक्तिशाली है। आज 28 साल बाद, क्या मैं इसमें कुछ जोड़ना चाहूंगी? अगर ऐसा होता है, तो यह खुद की खोज होगी, एक महिला को सिर्फ बाहरी दुनिया की यात्रा नहीं करनी चाहिए, उसके खुद के अंदर की भी जर्नी करनी चाहिए, यह समझना चाहिए, पता करना चाहिए कि वह खुद में क्या है। यही एक महिला होने का मतलब है, उसका सार है।'