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Rajesh Khanna's Death Anniversary today Rajesh Khanna: आनंद मरा नहीं… आनंद मरते नहीं... राजेश खन्ना की पुण्यतिथि पर उनकी कुछ यादें

Rajesh Khannas Death Anniversary today Rajesh Khanna: आनंद मरा नहीं… आनंद मरते नहीं... राजेश खन्ना की पुण्यतिथि पर उनकी कुछ यादें
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By Gopal Rao

Rajesh Khanna's Death Anniversary today Rajesh Khanna: मुंबई I हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की आज पुण्यतिथि है। उनसे पहले एक से एक सितारे, लोगों को अपनी अभिनय कला का मुरीद बनाकर गए लेकिन स्टार कब 'सुपरस्टार' बन जाता है, यह राजेश खन्ना के बाॅलीवुड पर छा जाने के बाद ही पता चला। वैसी दीवानगी (खासकर लड़कियों में ) हैरत में डालती है। अमिताभ की गहरी और प्रभावशाली आवाज़ में आनंद फिल्म का डायलॉग ' आनंद मरा नहीं... आनंद मरते नहीं' राजेश खन्ना की शख्सियत पर बिल्कुल फिट बैठता है। वे आज भी अपनी यादगाग फिल्मों के साथ लोगों के ज़ेहन में ज़िन्दा हैं।

जानिये उनसे जुड़ी कुछ खास बातें...

किस्मत के 'अमीर'

किस्मत का लिखा कोई नहीं बदल सकता, सच है। राजेश खन्ना का जन्म यूं तो एक गरीब परिवार में हुआ था लेकिन उन्हें उनके एक सम्पन्न रिश्तेदार ने गोद ले लिया था। किस्मत का खेल देखिए, गरीबी के दंश से जूझना जिस बच्चे की किस्मत में था, उसी बालक के पहनने के लिए अब कपड़े विदेश से मंगवाए जाने लगे। राजेश खन्ना सुख-संपन्नता के बीच बड़े हुए। बताया जाता है कि फिल्मों में रोल मांगने के लिए भी वे बेहद महंगी कार से निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाया करते थे। ये किस्मत का खेल नहीं तो और क्या है!

बने सुपर स्टार, देखी खुद के लिए गज़ब की दीवानगी

आगे चलकर राजेश खन्ना फिल्मों की सफलता की गारंटी बन गए। उनकी अदायगी कमाल की थी। वे आँखों को झुकाकर, गर्दन ज़रा सी तिरछी करते थे, और लाखों लड़कियां आहें भर दिल हार बैठती थीं। कहते हैं जिस दिन उनकी फिल्म रिलीज़ होनी होती थीं, लड़कियां थोक में काॅलेज से बंक मारती थीं। कइयों ने उनकी तस्वीर से शादी की, तो कई एक उनकी तस्वीर को सीने से लगा कर सोती थीं। हद तो तब हो जाती थी जब उनकी सफेद कार घर लौटते- लौटते लिपस्टिक के निशानों से रंगीन हो जाती थी। और सुनियेगा, उनकी कार से उड़ती धूल से कई लड़कियों ने अपनी मांग तक भरी। यही नहीं लड़कियों के बोरा भर- भरकर आने वाले खतों को पढ़ने के लिए उन्होंने स्टाफ में उन्होंने अलग से एक नियुक्ति तक की थी। ऐसी दीवानगी कहीं देखी है क्या?

'ऊपर आका-नीचे काका' ये रुतबा हासिल किया था राजेश खन्ना ने

राजेश खन्ना को प्यार से काका कहा जाता था। काका ने एक के बाद एक ऐसी हिट फिल्में दी कि उनके नाम का डंका बजने लगा। आराधना, बंधन, ख़ामोशी, डोली, आन मिलो सजना, सच्चा और झूठा, आनंद, मेहबूब की मेहंदी, दुश्मन जैसी बैक टू बैक हिट फिल्में देकर वे लिविंग लीजेंड बन गए। मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ उन्होंने बहुत सारी यादगार फिल्में दीं। यही वो दौर था जब कहा जाने लगा कि ऊपर आका (भगनान), नीचे काका। बताते हैं कि एक बार जब काका हाॅस्पिटल में एडमिट हुए तो उनके आसपास के सभी रूम फिल्म निर्माताओं ने बुक करवा लिए और वहां जाकर टिक गए कि कहीं राजेश खन्ना से बात करने का मौका मिल जाए तो उन्हें अपनी फिल्म के लिए साइन कर लिया जाए। सुनकर भी हैरत होती है न।

यही किस्मत प्यार के मामले में धोखेबाज निकली

राजेश खन्ना की किस्मत ने उनपर जम कर प्यार बरसाया, लेकिन प्यार के ही मामले में दग़ा दे गई। राजेश खन्ना 'बाॅबी' फेम 15 बरस की हीरोइन डिंपल कपाड़िया पर दिल हार बैठे थे। डिंंपल से पहले वे अंजू महेंद्रू के साथ रिलेशनशिप में थे लेकिन यह रिश्ता मुकाम पर नहीं पहुंच पाया। राजेश खन्ना तब 31 साल के थे। डिंपल और उनकी शादी की खबर दर्शकों के लिए चौंकाने वाली थी। इतनी कम उम्र में और बाॅबी की अपार सफलता के बाद भी डिंपल ने बाॅलीवुड को अलविदा कह दिया क्योंकि राजेश नहीं चाहते थे कि अब वे फिल्मों में काम करें। डिंपल ने दो बेटियों को जन्म दिया। लेकिन कुछ सालों बाद दोनों के रिश्ते में खटास आने लगी और डिंपल अपने मायके में जाकर रहने लगीं। हालांकि डिंपल ने उनसे आखिर तक तलाक नहीं लिया था। कहते हैं यह राजेश खन्ना की ज़िन्दगी का इतना बुरा दौर था कि वे डिप्रेशन में चले गए थे। कहा जाता है कि उन्होंने आत्महत्या करने का भी प्रयास किया था।

सैंकड़ों फैन्स से घिरे रहने वाले राजेश खन्ना बाद में हो गए थे इतने अकेले

वही राजेश खन्ना जिनके लिए ऐसी गज़ब की दीवानगी हुआ करती थी, आखिर में इतने अकेले हो गए थे कि जब उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला तो एक्स्ट्रा पास होने के बावजूद वे अवार्ड लेने के लिए अकेले पहुंचे थे। उनका साथ देने उनके साथ कोई भी नहीं आया था। यह पल, समारोह देखने वालों के लिए भी काफी दिल तोड़ने वाला था।

कैंसर ने जकड़ा, दवाएं हो गई थीं बेअसर

राजेश खन्ना कैंसर की गिरफ्त में आ गए थे। उन्हें इस बारे में पता चल गया था कि अब उनकी ज़िन्दगी ज्यादा नहीं बची है। करीब डेढ़ साल तक चले इलाज के बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं आया। दवाइयों ने असर करना छोड़ दिया था। राजेश नहीं चाहते थे कि उनके चाहनेवालों तक यह खबर पहुंचे। वे चुपचाप चले जाना चाहते थे। उनके आखिरी शब्द थे… टाइम हो गया… पैक अप! आँखों की ज़ुबान बोलने वाला यह अनोखा जादूगर 18 जुलाई 2012 को दुनिया को अलविदा कह गया।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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