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Movie Review: गोविंदा नाम मेरा,इस काॅमेडी में पंच कम हैं प्रपंच ज़्यादा और थ्रिल है कि हिलाता नहीं, विक्की कौशल की फिल्म लेकिन कियारा-रेणुका ने बचाई लाज

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Movie Review: गोविंदा नाम मेरा,इस काॅमेडी में पंच कम हैं प्रपंच ज़्यादा और थ्रिल है कि हिलाता नहीं, विक्की कौशल की फिल्म लेकिन कियारा-रेणुका ने बचाई लाज
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By NPG News

फिल्म -गोविंदा नाम मेरा

निर्माता -धर्मा प्रोडक्शन

निर्देशक -शशांक खेतान

कलाकार -विक्की कौशल, कियारा आडवाणी, भूमि पेड़नेकर, अमेय, रेणुका शाहणे , दयानन्द शेट्टी और रणबीर कपूर

प्लेटफार्म - डिज्नी प्लस हॉटस्टार

आपने राज़ी वाले सीरियस विक्की कौशल को देखा और उरी वाले उत्साही आर्मी ऑफिसर को भी लेकिन अब आपके सामने विक्की एकदम ज़ुदा अंदाज़ में आए हैं "गोविंदा नाम मेरा" लेकर। फिल्म का बेस काॅमेडी ज़रूर है लेकिन साथ में इसमें थ्रिल भी है, मर्डर भी है, रोमांस भी और सरप्राइज़ के लिए रनबीर कपूर का शानदार कैमियो भी है। शशांक खेतान ने पिक्चर में एंटरटेनमेंट का बूस्टर डोस देने की कोशिश की है लेकिन ये वही वाला एंटरटेनमेंट है जिसमें बीच-बीच में दिमाग का दही हो जाता है। तो सबसे पहले शाॅर्ट में पिक्चर की कहानी जान लीजिए।

कहानी

ये कहानी है गोविंदा यानि विक्की कौशल की जो एक डांसर है। उसकी पत्नी गौरी यानि भूमि पेडनेकर बेहद नकचढ़ी है। पति-पत्नी की एक-दूसरे से बिल्कुल नहीं बनती। गोविंदा की एक गर्लफ्रेंड भी है सुकू यानि कियारा आडवाणी। गोविंदा अपनी पत्नी से तलाक चाहता है लेकिन उसकी पत्नी उसे टका सा जवाब देती है कि "दो करोड़ दो और तलाक लो।"

पति- पत्नी और प्रियतमा की यह खींचतान कहानी का मुख्य प्लाॅट नहीं है। पिक्चर में गोविंदा और उनके सौतेले भाई के बीच बंगले को लेकर चल रहा झगड़ा मैन ट्रैक है। दोनों को 150 करोड़ का यह बंगला अपने लिए चाहिए। साथ ही गोविंदा को अपनी बीमार माँ यानि रेणुका शहाणे को भी संभालना है जो खुद भी हद दर्ज़े की "पिक्चर" हैं। पैसे की कमी,बंगले की कानूनी लड़ाई, माँ,गुस्सैल बीवी और अपने प्यार को पाने की अधूरी चाहत के बीच पिसता गोविंदा एक दिन घर लौटता है तो देखता है कि उसकी बीवी मरी पड़ी है। किसने किया ये मर्डर? किसे मिलेगा बंगला? क्या गोविंदा की लाइफ़ में कोई पाॅज़िटिव बदलाव आएगा या वह जेल की हवा खाएगा? इसे जानने के लिए आप हॉटस्टार पर ये फिल्म देख सकते हैं।

एक्टिंग

विक्की ने अपने अभिनय से आपको हंसाने की पुरज़ोर कोशिश तो की है और कई बार अपनी नकचढ़ी पत्नी द्वारा दुत्कारे जाते हुए एकदम बेचारे भी नज़र आए हैं। लेकिन अब तक ज़्यादातर सीरियस किरदारों में अपने अभिनय से तारीफ़ें बटोरते आ रहे विक्की इस रोल में खास जमे नहीं। भूमि के हिस्से जितने भी दृश्य हैं, उनमें वे ओवर एक्टिंग करती ही नज़र आईं हैं। उन्हें बाॅलीवुड में लंबी पारी खेलनी हो तो खुद पर और मेहनत करनी होगी। कियारा ने विक्की की गर्लफ्रेंड का किरदार अच्छे से प्ले किया है। उनके किरदार में नेगेटिव शेड्स भी आते हैं। और उनमें भी वे जमी हैं। उनके दम पर ही पिक्चर में कोई बात भी आती है। बंगला हासिल करने के लिए सालों से लकवाग्रस्त होने का नाटक करती आ रहीं रेणुका ने माँ का किरदार दमदारी से निभाया है। उनके लिए भी ये एकदम अलग किस्म का रोल था। जिसके साथ उन्होंने न्याय किया है। छोटे से रोल में आकर रणबीर महफिल लूट ले गए हैं।

निर्देशन

हंप्टी शर्मा की दुल्हनियाँ, धड़क जैसी फिल्में पेश कर चुके शशांक ने फिल्म के लिए दो सबसे ज़रूरी काम किए। एक तो लेखन और दूसरा निर्देशन... और यही दोनों पिक्चर की सबसे कमज़ोर कड़ी हैं। काॅमेडी से शुरू हुई फिल्म फर्स्ट हाफ में ही थका देती है। सेकंड हाफ में मर्डर के साथ थ्रिल, ट्विस्ट और टर्न आते हैं। जिनसे दर्शक थोड़ा बंधता है पर आखिर तक फिर मामला बिगड़ने लगता है। कुल मिलाकर हटकर करने के चक्कर में शशांक भटक'र बन गए हैं।

फिल्म में और भी कई कमियां है। काॅमेडी फिल्म अपने डायलॉग से दर्शक लूटती है और यहां पंच कम है, प्रपंच ज्यादा। अतीत और वर्तमान में चक्कर खाती फिल्म उलझाती है। कमज़ोर स्क्रीनप्ले किरदारों को निखरने का मौका नहीं देता है।

एक गाना "बिजली" और एक रैप टाइप साॅन्ग अच्छा बन पड़ा है। बाकी फिल्म उम्मीद से काफी कमजोर है।

कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि बात बनी नहीं। फिल्म इंडस्ट्री के एक जाने-माने फाइट मास्टर की निजी ज़िन्दगी से मिलती-जुलती कहानी शशांक ने परोसी है, सारे स्पाइस भी ऐड किए, हुस्न का तड़का भी लगाया पर हाथ का जादू भी कोई चीज़ है और इस पेशकश में वही मिसिंग है। टाइम पास के लिए और एक बार नए रंग में विक्की कौशल का अभिनय देखना हो तो एक बार फिल्म देखी जा सकती है।

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