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Manoj Bajpayee Birthday Special: भीखू म्हात्रे के किरदार में जान फूंकने वाले मनोज ने हताशा में खुद की जान देने तीन बार की कोशिश, सेट पर आने-जाने के लिए मिलने वाले 150 रुपये में से कुछ बचा लेने के भिड़ाते थे जुगत, पढ़िए खास किस्से...

Manoj Bajpayee Birthday Special: भीखू म्हात्रे के किरदार में जान फूंकने वाले मनोज ने हताशा में खुद की जान देने तीन बार की कोशिश, सेट पर आने-जाने के लिए मिलने वाले 150 रुपये में से कुछ बचा लेने के भिड़ाते थे जुगत, पढ़िए खास किस्से...

Manoj Bajpayee Birthday Special: भीखू म्हात्रे के किरदार में जान फूंकने वाले मनोज ने हताशा में खुद की जान देने तीन बार की कोशिश, सेट पर आने-जाने के लिए मिलने वाले 150 रुपये में से कुछ बचा लेने के भिड़ाते थे जुगत, पढ़िए खास किस्से...
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By Divya Singh

Manoj Bajpai Birthday Special: मुंबई। 'भाई' वाली फिल्मों की बात हो और सत्या फिल्म में 'भीखू म्हात्रे' का ज़िक्र न निकले, ये हो ही नहीं सकता। तब स्ट्रगलिंग एक्टर मनोज बाजपेयी ने भीखू के रोल में ऐसा ज़बरदस्त अभिनय किया था कि घर-घर में उनका ज़िक्र था। पर क्या आप मानेंगे कि इतने ज़बरदस्त काॅन्फिडेंस के साथ पर्दे पर आने वाला एवरेज लुक्स वाला ये इंसान उस दरमियाँ अंदर से बेहद टूटा हुआ था। इस हद तक कि पिछले दो साल के बीच तीन बार आत्महत्या की कोशिश तक कर चुका था। पर मनोज ने वापसी की। सत्या के ही एक फाइटिंग सीन में भीखू सत्या से कहता है " तू मेरी बीवी के सामने मत पड़ जाना, वो मुझे छोड़के तेरे साथ भाग जाएगी..." उनके एवरेज लुक्स के कारण इस सीन पर दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान फैली थी। बात यह कि मनोज मानते थे कि उनके पास बाॅलीवुड के हीरो जैसा चाॅकलेटी लुक नहीं है लेकिन हां वे ये भी जानते थे कि अगर एक अच्छा मौका मिला तो वे बाॅलीवुड में जम जाने की काबिलियत रखते हैं। उन्हें मौका मिला और वे अंगद के पांव की तरह जमे भी। तो मनोज बाजपेयी के बर्थडे के मौके पर इस खास पेशकश में उनसे जुड़े कुछ खास किस्से।

अग्निपथ था अभिनय पथ

'द फैमिली मैन' मनोज बाजपेयी जिस फैमिली से आएं हैं वह बिहार में बसती है। मनोज का जन्म बिहार के एक गांव बेलवा में 23 अप्रैल 1969 को एक किसान परिवार में हुआ। उस समय जब उनकी जन्म कुंडली बनवाई गई तब ज्योतिषी ने कहा था कि यह बच्चा या तो नेता बनेगा या अभिनेता। नवजात बालक भी लगता है कि ईश्वरीय इच्छा को समझ गया था। बिना सहारे सिर्फ अपने अंदर की आवाज़ सुनकर इसलिए शायद मनोज ने अपने घर, अपने प्रदेश से बाहर पांव बढ़ाए और महज 17 साल की उम्र में वे दिल्ली पहुंच गए। दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया इसी दौरान वे नाटकों में भी रोल अदा करने लगे थे।

इसके बाद मनोज मुंबई आ गए और एक चाॅल किराए पर ली। इसके किराए को 10 दोस्त शेयर कर रहे थे। और उतना हिस्सा देने के लिए भी मनोज के पास कई बार पैसे नहीं हुआ करते थे। लेकिन उनके दोस्त बहुत अच्छे थे। एक्टिंग के शौक के चलते मनोज ने एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ) में अप्लाई किया। वह भी एक बार नहीं, तीन-तीन बार और तीनों बार रिजेक्ट कर दिए गए। निश्चित रूप से इससे मनोज बुरी तरह टूट गए और उन्होंने तीन बार सुसाइड करने की कोशिश भी की। उसके बाद तो उनके दोस्त बिल्कुल परछाई की तरह उनके साथ रहने लगे। वे उन्हें कतई अकेला ना छोड़ते। कोई ना कोई उनके साथ बना ही रहता। इसके बाद उन्होंने खुद को मजबूत किया। अपने दोस्तों के ही कहने पर जॉन बेरी की एक्टिंग क्लास जाॅइन की। जिन्होंने मनोज की अभिनय क्षमता को बारीकी से निखारा।

मनोज बताते हैं कि करीब चार साल तक उन्होंने रोल पाने के लिए यहां-वहां चक्कर काटे। यह वह दौर था जब वड़ा पाव खाने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं हुआ करते थे। इसी दौरान एक बार एक असिस्टेंट डायरेक्टर ने उनके सामने ही उनका फोटो फाड़ कर डस्टबिन में फेंक दिया।तो दूसरे डायरेक्टर ने पहले शॉट के बाद ही उन्हें 'गेटआउट' कह दिया था। इस तरह लाइन से फिर उनकी तीन उम्मीदें टूटीं लेकिन अब वे मैच्योर हो गए थे और ऐसे हर रिजेक्शन के बाद घर आकर किसी भी किरदार को उठाकर एक्टिंग की रिहर्सल जरूर करते थे।

'स्वाभिमान' धारावाहिक से मिला अभिनय का मौका,फिल्म 'सत्या' से पहचान

महेश भट्ट के टीवी सीरियल 'स्वाभिमान' से मनोज ने एक्टिंग की दुनिया में विधिवत कदम रखा। टीवी के दर्शकों ने उनकी एक्टिंग को खूब पसंद किया। घर-घर में वे जाना-पहचाना चेहरा हो गए। स्वाभिमान सीरियल उस दौर के पसंदीदा सीरियलों में से एक हुआ करता था। इस शो के एक एपिसोड के मनोज को पंद्रह सौ रुपये मिलते थे। इस टीवी सीरियल के बाद मनोज को शेखर कपूर जैसे बड़े डायरेक्टर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' मिली। फिल्म को काफी तारीफ मिली लेकिन मनोज को उतना फायदा नहीं हुआ। मनोज को असल पहचान 1997 में आई फिल्म 'सत्या' से मिली। इस फिल्म में भीकू म्हात्रे के कैरेक्टर को उन्होंने इतनी संजीदगी से जिया कि वे दर्शकों के दिलों पर छा गए। इसके बाद फिल्म दर फिल्म मनोज सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले गए और आज उनकी 100 वीं फिल्म 'भैयाजी' प्रदर्शन के लिए तैयार है।

मनोज ने बताई थी 150 रुपये की अहमियत

मनोज बताते हैं कि जब उन्होंने अभिनय पारी की शुरुआत की थी उस दौर में सेट तक आने-जाने के लिए 150 रुपये मिलते थे। तब सब स्ट्रगलिंग एक्टर्स के बीच उन 150 रुपये के खर्च को लेकर बड़ी प्लानिंग चलती थी कि कितना और कैसे खर्च किया जाए और कैसे कुछ बचा लिया जाए।

अभिनेत्री नेहा के साथ जी रहे खुशहाल ज़िन्दगी

मनोज ने एक्ट्रेस नेहा से शादी रचाई। उनकी नेहा ( असल नाम शबाना रजा) से मुलाकात एक पार्टी के दौरान हुई थी। अगर आपको याद हो तो नेहा विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म करीब में बॉबी देओल के साथ नजर आई थीं। फिल्म अच्छी चली थी और उसका गाना 'चुरा लो ना दिल मेरा' बहुत हिट हुआ था। फिल्म में नेहा की मासूमियत ने दर्शकों का दिल जीत लिया था। यही मासूमियत पार्टी के दौरान मनोज के दिल में उतर गई। और आठ साल एक दूसरे को डेट करने के बाद दोनों ने 2006 में शादी कर ली। उन्होंने मुंबई के अंधेरी में एक अपार्टमेंट खरीदा है, जिसमें वो पत्नी नेहा और बेटी के साथ रहते हैं।

मनोज की चर्चित फिल्में

मनोज की फिल्मों के खजाने में एक से बढ़कर एक फिल्में हैं जिसमें सत्या, फिजा, एलओसी कारगिल, राजनीति ,आरक्षण, सत्याग्रह, सत्यमेव जयते, वीर ज़ारा, शूल , गैंग्स ऑफ वासेपुर, पिंजर, बागी जैसी फिल्में शामिल हैं।

वेब सीरीज़ में बजता है नाम का डंका

वेब सीरीज ‘द फैमिली मैन’ के साथ मनोज ने ओटीटी डेब्यू किया, जो बेहद पसंद की गई। उसके बाद उन्होंने ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’, ‘किलर सूप’, ‘गुलमोहर’ के साथ ज़बरदस्त पॉपुलैरिटी पाई।

कभी भूखे सोते थे, आज हैं 15 मिलियन डॉलर से अधिक की नेट वर्थ

एक दौर में आधा पेट खाने में दिन गुजारने वाले मनोज की आज 15 मिलियन डॉलर से अधिक की नेट वर्थ है। उनके पास मर्सिडीज बैंज़, लैंड क्रूज़र, बीएमडब्ल्यू 5 सीरीज जैसी कारें हैं। बावजूद इसके मनोज ने अपनी सरलता नहीं छोड़ी है। वे परिवार के साथ सहज ज़िन्दगी जीते हैं। मनोज बाजपेयी को उनके जन्मदिन पर npg.news की ओर से शुभकामनाएं।

Divya Singh

दिव्या सिंह। समाजशास्त्र में एमफिल करने के बाद दैनिक भास्कर पत्रकारिता अकादमी, भोपाल से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहण की। दैनिक भास्कर एवं जनसत्ता के साथ विभिन्न प्रकाशन संस्थानों में कार्य का अनुभव। देश के कई समाचार पत्रों में स्वतंत्र लेखन। कहानी और कविताएं लिखने का शौक है। विगत डेढ़ साल से NPG न्यूज में कार्यरत।

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