Madhubala Birth Anniversary (14 February): 'प्रेम दिवस' के दिन जन्मी मधुबाला अपने हिस्से का प्यार पाने के लिए ताउम्र तरसीं, भले ही चाहनेवालों में शामिल थीं ये ख्यात हस्तियां...
Madhubala Birth Anniversary (14 February): मधुबाला का सौंदर्य ऐसा था कि पहली नज़र में ही देखने वाला अपनी सुध-बुध खो बैठता था। फिर क्या इंडस्ट्री से भीतर, क्या बाहर। उनके चाहने वालों की गिनती करना यूं तो असंभव होगा लेकिन जिनके चर्चे अखबारों की सुर्खियों में रहे, उनकी बात यहां करते हैं।
Madhubala Birth Anniversary (14 February): मुंबई। इंडियन सिनेमा की 'वीनस' और बेपनाह खूबसूरत अदाकारा मधुबाला ने जैसा स्टारडम पाया, उसका कोई मुकाबला नहीं। उनकी बड़ी-बड़ी आँखें, कातिल अदाएं और हल्की सी तिरछी मुस्कान सीधे दिल को भेदती थी... और रंगत तो ऐसी दूध सी थी कि कहा जाता था कि मधुबाला पान खातीं हैं तो उसका रस गले से नीचे सरकता साफ नज़र आता है गोया कि बदन शीशे सा हो। मधुबाला के चाहने वालों की फेहरिस्त बहुत लंबी थी।उनके दीवानों में ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार से लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो तक शामिल थे। लेकिन 'प्रेम दिवस' के दिन ही जन्मी सुंदरता और टैलेंट की ऐसी जीती जागती मिसाल ताउम्र सच्चा प्यार पाने के तरसती रही और आखिर में एकाकी सी हालत में मोहब्बत की भूख लिए इस दुनिया से रुखसत हो गईं।
यूं तो मधुबाला पर पूरी की पूरी एक पीढ़ी फिदा थी लेकिन जैसा कि स्वाभाविक था तो वे किशोरों से लेकर बुजुर्गो तक के ज़ेहन में समाई हुई थीं। लेकिन वे कौन सी प्रख्यात हस्तियां थीं जो मधुबाला को पाने के लिए बेताब थीं,आइए देखते हैं। पर पहले उनकी शुरुआती कठिन जिंदगी के बारे में संक्षेप में जान लेते हैं।
11 संतानों में थीं पांचवीं, माँ की डिलीवरी के लिए भी पैसे कमाकर की मदद
मधुबाला का जन्म 14 फरवरी साल 1933 में दिल्ली में हुआ। उनका असली नाम 'मुमताज़ बेगम जहां देहलवी' था और वे अपने माता-पिता की 11 संतानों में पांचवे क्रम पर जन्मी थीं। मधुबाला के पिता एक अफ़ग़ानी पश्तून अताउल्लाह खान थे और मां थीं आयशा बेगम। मधुबाला के पिता पेशावर स्थित एक तम्बाकू फैक्ट्री में काम करते थे। बदकिस्मती से एक विवाद के चलते उन्होंने अपनी नौकरी गवां दी और परिवार आर्थिक संकट में आ गया। कुछ अर्से बाद परिवार दिल्ली में बस गया। मधुबाला के रूढ़िवादी पिता अपनी बेटियों को स्कूल न भेजकर घर पर ही पढ़ाते थे। मधुबाला ने उन्हीं से पढ़कर उर्दू, हिंदी के साथ पश्तो में महारत हासिल की। उनका लहजा इतना खूबसूरत था कि महज सात वर्ष की उम्र में वे ऑल इंडिया रेडियो में खुर्शीद अनवर की रचनाएं गाने के लिए चुन ली गईं। एक वक्त तो ऐसा भी आया कि अपनी माँ की डिलीवरी कराने के लिए भी उन्होंने पैसे कमाकर मदद की।
रेडियो स्टेशन में काम के दौरान संपर्क बनते-बनते उन्हें बाल कलाकार के रुप में हिंदी फिल्मों में काम मिलने की शुरुआत हुई।उन्होंने महज़ 9 साल की उम्र में साल 1942 में आई फिल्म बसंत में छोटे से रोल से फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा और बहुत से उतार-चढ़ाव देखने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हुईं। उन्होंने मुगल-ए-आज़म, महल, तराना, हावड़ा ब्रिज, हाफ टिकट, चलती का नाम गाड़ी, काला पानी, मिस्टर एंड मिसेज 55, अमर जैसी शानदार फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता और भारतीय सिनेमा की 'वीनस' कहलाईं। उनकी जीवनी, "द मिस्ट्री एंड मिस्टिक ऑफ मधुबाला" के लेखक, मोहन दीप के शब्दों में "वह पहली भारतीय अभिनेत्री थीं जिन्होंने हॉलीवुड का ध्यान अपनी ओर खींचा। 1952 में, थिएटर आर्ट्स नामक एक अमेरिकी पत्रिका ने मधुबाला की सुंदरता और अभिनय कौशल की प्रशंसा में लिखा... 'दुनिया का सबसे बड़ा सितारा.... वह बेवर्ली हिल्स में नहीं है"
० प्रेम दिवस पर पढ़िए मधुबाला के प्रेमियों की कितनी लंबी थी फेहरिस्त
मधुबाला का सौंदर्य ऐसा था कि पहली नज़र में ही देखने वाला अपनी सुध-बुध खो बैठता था। फिर क्या इंडस्ट्री से भीतर, क्या बाहर। उनके चाहने वालों की गिनती करना यूं तो असंभव होगा लेकिन जिनके चर्चे अखबारों की सुर्खियों में रहे, उनकी बात यहां करते हैं।
० वे जिन्होंने मधुबाला को चाहा
लतीफ
मधुबाला का बचपन दिल्ली में बीता। बाद में वह फिर वह हिंदी फिल्मों में अभिनेत्री बनने के लिए मुंबई चली गईं। उनके दिल्ली से चले जाने पर उनके बचपन के दोस्त लतीफ बहुत उदास थे। यही लतीफ आगे चलकर आईएएस अधिकारी बने। बचपन में मधुबाला ने उन्हें एक लाल गुलाब दिया था जिसे लतीफ ने अपने पास संभालकर रखा और जब 23 फरवरी को मधुबाला की मृत्यु हुई तो उन्होंने वही गुलाब ले जाकर उनकी कब्र पर रख दिया। हर साल वे इस दिन मधुबाला की कब्र पर जाते रहे।
किदार शर्मा
मधुबाला को फिल्मों में पहला ब्रेक डायरेक्टर किदार शर्मा ने दिया। बताया जाता है कि जब किदार ने मधुबाला को पहली बार देखा तो वे हक्के-बक्के से उन्हें देखते रह गए। हालाँकि, युवा मधुबाला उनके लिए ऐसा कुछ महसूस नहीं करती थीं।
कमाल अमरोही
'महल' जैसी सुपरहिट मूवी के निर्देशक कमाल अमरोही मधुबाला के प्यार में पागल थे। वे घंटों उनके साथ बिताते थे। बताया जाता है कि मधुबाला के तेजतर्रार पिता भी उनके रिश्ते से खुश थे। उसने कहा भी था कि आगे चलकर एक दिन इनकी शादी हो जाए तो मुझे कोई एतराज़ नहीं है।" आप जानते ही होंगे कि कमाल प्रख्यात अभिनेत्री मीना कुमारी के पति थे। धीरे-धीरे मधुबाला भी कमाल को पसंद करने लगी थीं लेकिन वे उनकी दूसरी पत्नी नहीं बनना चाहती थीं और कमाल यह नहीं कर सके थे।
जुल्फिकार अली भुट्टो
ये भी कहा जाता है कि प्रख्यात बैरिस्टर और बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे जुल्फिकार अली भुट्टो भी मधुबाला की एक झलक के लिए घंटों इंतज़ार करते थे। वे अक्सर सेट पर आते थे और एकाध बार उन्हें मधुबाला के साथ चाय की चुस्कियां लेते हुए देखा गया। कहा तो यह भी जाता है कि ऐसे ही एक मौके पर उन्होंने अपने प्रेम का इज़हार भी किया और मधुबाला ने अपने चिर-परिचित ठहाके के साथ बात को हवा में उड़ा दिया।
शम्मी कपूर
मधुबाला से एकतरफा मोहब्बत करने वालों में शम्मी कपूर भी शामिल थे। शम्मी कपूर ने अपनी ऑटोबोयोग्राफी 'शम्मी कपूर - द गेम चेंजर' के एक चैप्टर 'फेल मेडली इन लव विद मधुबाला' में लिखा है- " मैं ये जानता था कि मधु किसी और के प्यार में हैं, लेकिन इसके बाद भी मैं ये स्वीकार करना चाहता हूं कि मैं उनसे पागलों की तरह प्यार करने लगा था। इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता था, क्योंकि मैंने उनसे ख़ूबसूरत औरत कभी नहीं देखी।"
० वे जिन्हें मधुबाला ने चाहा
प्रेमनाथ
मधुबाला की बहन बताती हैं कि मधुबाला को सबसे पहले अपनी फिल्म 'बादल' के एक्टर प्रेमनाथ से प्यार हुआ। प्रेमनाथ भी उनके प्यार में डूब गए थे। यह रिश्ता छह महीने तक चला। मधुबाला इस रिश्ते को शादी में बदलना तो चाहती थीं लेकिन वे प्रेमनाथ के कहे मुताबिक धर्म बदलना नहीं चाहती थीं। अंततः यह रिश्ता धर्म के आधार पर टूट ही गया।
दिलीप कुमार
इसके बाद मधुबाला की ज़िदगी में आए दिलीप कुमार। मधुबाला और दिलीप कुमार (मूल नाम - मुहम्मद यूसुफ़ ख़ान) की प्रेम कहानी बाॅलीवुड की सबसे चर्चित प्रेम कहानियों में से एक है। बताते हैं कि दिलीप कुमार केवल मधुबाला को देखने के लिए मुंबई से पूना तक कार चला कर आया करते थे और दूर खड़े होकर मधुबाला को देखा करते थे। दोनों की पहली मुलाकात तराना के सेट पर हुई। धीर-धीरे ये रिश्ता परवान चढ़ा जो नौ साल तक चला। दिलीप कुमार और मधुबाला साथ में बहुत खुश थे। उन दोनों के बीच धर्म की भी दीवार नहीं थी। उनकी सगाई भी हो गई थी लेकिन कहा जाता है कि मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान इस रिश्ते के टूटने की वजह बने।
इस बारे में तरह-तरह की बातें होती हैं। कहीं कहा जाता है कि मधुबाला के पिता अपनी बेटी को नया दौर फिल्म की शूटिंग के लिए बाहर नहीं भेजना चाहते थे वहीं दूसरी ओर यह भी बताया जाता है कि उनके पिता चाहते थे कि दिलीप कुमार उनके प्रोडक्शन कंपनी के लिए ही काम करें जो कि दिलीप कुमार नहीं चाहते थे।
बहरहाल विवाद बढ़ा एक कोर्ट केस के चलते। दरअसल नया दौर फिल्म की शूटिंग के लिए मधुबाला को आउटडोर शूटिंग में भेजने से जब उनके पिता ने इनकार कर दिया तो निर्देशक बीआर चोपड़ा ने मधुबाला को फिल्म से हटा दिया। इसके खिलाफ मधुबाला के पिता कोर्ट गए। बदले में निर्देशक भी कोर्ट गए और आखिरकार इस कोर्ट केस के दौरान दिलीप कुमार और मधुबाला के बीच भी दरार आ गई ।
मधुबाला चाहती थीं कि दिलीप कुमार उनके पिता से माफी मांगे वहीं दिलीप कुमार चाहते थे की मधुबाला उनसे शादी के लिए अपने पिता को छोड़ दें। दिलीप कुमार ने कहा भी कि अगर आज तुम मेरे साथ नहीं चली तो मैं तुम्हारे पास लौटकर नहीं आऊंगा। मधुबाला जवाब में सिर्फ रोती रहीं। आखिरकार अहम की दीवार दोनों के बीच आ गई और 9 साल पुराना रिश्ता देखते ही देखते टूट गया। हालात यह थे कि हिंदी सिनेमा की क्लासिक मूवी "मुगल ए आज़म" के दौरान दोनों के बीच बातचीत तक नहीं होती थी।
आखिर वो दिन भी आया जब दिलीप कुमार की ज़िंदगी में सायरा बानो आ गईं। बताते हैं कि जब मधुबाला को इस बारे में पता चला तब उन्होंने दिलीप कुमार को बुलाया और कहा कि वे उनके लिए बहुत खुश हैं। आखिर शहज़ादे को अपनी शहज़ादी मिल गई। हालांकि अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मधुबाला पर उस समय क्या बीत रही होगी।वे दिलीप कुमार के अपनी ज़िन्दगी से जाने के बाद पूरी तरह टूट गई थीं।
किशोर कुमार
आगे चलकर दिलीप कुमार से ज़ुदा हो चुकीं मधुबाला और अपनी पत्नी से अलग हो चुके किशोर कुमार एक दूसरे के करीब आए। बीबीसी ने इस बारे में लिखा है कि 1960 में हुई यह शादी कि मधुबाला के लिए दिलीप कुमार से रिश्ता टूटने से भी कहीं ज्यादा घातक साबित हुई। मधुबाला के दिल में छेद था। यह बात किशोर कुमार जानते थे। वे उन्हें बेहतर इलाज के लिए लंदन ले गए। लेकिन डॉक्टरों ने जवाब दे दिया कि अब मधुबाला के पास एक- दो साल से ज्यादा समय नहीं है।
बता दें कि मधुबाला को खुद अपनी बीमारी की गंभीरता के बारे में पहले से पता था। वे सैट पर कई बार बीमार भी हो चुकी थीं। यहां तक कि उन्हें खून की उल्टियां भी होती थी लेकिन वे अपनी फिल्मों में इस कदर फंसी हुई थी कि उनके पास इलाज के लिए समय ही नहीं था। और वे नहीं चाहती थी कि उनके इलाज के चक्कर में फिल्मों को कोई नुकसान हो इसलिए वह फिल्म दर फिल्म शूटिंग करती चली गईं। इसने उनकी तबीयत को और खराब ही किया।
बताते हैं कि किशोर कुमार जब लंदन से लौटे तो उन्होंने मधुबाला को उनके घरवालों के पास छोड़ दिया और कहा कि वे इतने व्यस्त रहते हैं कि मधुबाला की देखभाल नहीं कर पाऐेंगे। वे कभी-कभार मधुबाला से मिलने के लिए आते रहते थे लेकिन अपने जीवन के अंतिम वर्षों में जब मधुबाला को प्यार और अपनेपन की सबसे ज्यादा ज़रूरत थी, किशोर कुमार उनके पास नहीं थे।
आखिरकार महज 36 साल की आयु में 23 फरवरी, 1969 को मधुबाला का निधन हो गया। और एक बेहतरीन अदाकारा, एक बेइंतहा खूबसूरत अभिनेत्री एकाकीपन की पीड़ा झेलती इस दुनिया से विदा हो गई।