Kawardha Assembly Election: कवर्धा का धार्मिक कनेक्शन: आजादी के बाद करपात्री महाराज के प्रत्याशी से खिलाफ कांग्रेस से थे हमीदुल्ला खान...जानें क्या है कनेक्शन...
Chhattisgarh Assembly Election 2023: ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के शिष्य और नामी धर्माचार्य स्वामी करपात्री जी महाराज ने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद की स्थापना की थी. तीन चुनावों में छत्तीसगढ़ में प्रभाव रहा.
Chhattisgarh Assembly Election 2023 : रायपुर. छत्तीसगढ़ के कवर्धा में भाजपा विधानसभा की पूरी लड़ाई को हिंदू वर्सेस मुस्लिम के बीच चुनाव का रंग दे रही है. यही वजह है कि यहां उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और असम के सीएम हेमंत िबश्वसर्मा आ रहे हैं. क्या यह पहली बार है, जब ऐसी परिस्थिति बनी है, जब लड़ाई हिंदू वर्सेस मुस्लिम है, या पहले भी ऐसे मौके आए हैं. आपको बता दें कि आजादी के बाद पहले चुनाव में कवर्धा में अखिल भारतीय राम राज्य परिषद (RRP) के कैंडिडेट के मुकाबले कांग्रेस ने हमीदुल्ला खान को उतारा था. इसमें गंगा प्रसाद की जीत हुई थी.
आप कहेंगे कि राम राज्य परिषद क्या है? आपको बता दें कि राम राज्य परिषद की स्थापना ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के शिष्य और नामी संत स्वामी करपात्री जी महाराज ने 1948 में की थी. राम राज्य परिषद ने 1951, 1957 और 1962 के चुनावों में हिस्सा लिया. अविभाजित मध्यप्रदेश और राजस्थान में इसका प्रभाव िदखा. 1951 में राम राज्य परिषद के तीन प्रत्याशी जीते थे. इनमें जशपुर से राजा विजय भूषण सिंहदेव, पंडरिया से पद्मराज सिंह और कवर्धा से गंगा प्रसाद की जीत हुई थी.
1957 में राम राज्य परिषद के कुल 51 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. अविभाजित मध्यप्रदेश में इनमें से 5 की जीत हुई थी. इनमें वर्तमान छत्तीसगढ़ के हिस्से की सीट की बात करें तो कवर्धा, लोरमी और मुंगेली में राम राज्य परिषद के प्रत्याशी जीते थे. इनमें धरमराज सिंह कवर्धा से, गंगा प्रसाद लोरमी से और मुंगेली से दो कैंडिडेट रामलाल घसिया और अंबिका साव जीते थे.
1962 में राम राज्य परिषद ने 76 सीटों पर कैंडिडेट उतारे. इनमें 10 की जीत हुई. इनमें से भी वर्तमान छत्तीसगढ़ के हिस्से की सूरजपुर, जशपुर, बगीचा, लैलूंगा, पत्थलगांव, लोरमी और कवर्धा सीटें शामिल हैं. सूरजपुर से बंस रूप, जशपुर से शकुंतला देवी, बगीचा से नैऋत्य पाल, लैलूंगा से नरहरि प्रसाद, पत्थलगांव से लालजीत सिंह, लोरमी से यशवंत राज सिंह और कवर्धा से विश्वराज सिंह शािमल हैं.
कवर्धा रियासत से दो राजा चुनाव जीते थे. इनमें 1957 में धरमराज सिंह और 1962 में उनके बेटे विश्वराज सिंह जीते थे. दरअसल, राजा धरमराज सिंह ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के शिष्य थे. शंकराचार्य ब्रह्मानंद सरस्वती कवर्धा में धर्मोपदेश करने भी आए थे. उनके शिष्य स्वामी करपात्री जी भी कवर्धा आते रहे. उन्होंने 1948 में अखिल भारतीय राम राज्य परिषद का गठन किया था.
वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो यहां से कांग्रेस से मंत्री मोहम्मद अकबर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि भाजपा ने विजय शर्मा को प्रत्याशी बनाया है. विजय शर्मा मल्टीनेशनल कंपनी में जाॅब कर चुके हैं. फिलहाल राजनीति में सक्रिय हैं. कवर्धा में झंडा विवाद में उन्हे गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया गया था. इसके बाद से यहां हिंदू वर्सेस मुस्लिम की हवा है. इस मौके को भुनाने के लिए भाजपा योगी आदित्यनाथ जैसे संत और हिंदूवादी बयानों के लिए देश विदेश में चर्चित असम के मुख्यमंत्री को बुलाया गया है.