Chandu Champion (Murlikant Petkar) Real Story Hindi: फिल्म चंदू चैंपियन के रियल हीरो Murlikant Petkar की रियल स्टोरी
Film Chandu Champion Real Story In Hindi: क्या आप जानते हैं कि इन दिनों बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन एक युद्ध नायक और भारत के पहले पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर की जीवनी पर आधारित बायोपिक फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं?

Film Chandu Champion Real Story In Hindi: क्या आप जानते हैं कि बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन की एक युद्ध नायक और भारत के पहले पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर की जीवनी पर आधारित बायोपिक फिल्म रिलीज हो गई है। कबीर खान द्वारा निर्देशित यह बहुप्रतीक्षित फिल्म मुरलीकांत पेटकर के जीवन से प्रेरित है, जो 9 गोलियों की चोट से बच गए थे।
मुरलीकांत पेटकर का प्रारंभिक जीवन
मुरलीकांत पेटकर का जन्म 1 नवंबर 1947 को महाराष्ट्र के सांगली जिले के पेठ इस्लामपुर में हुआ था। बचपन से ही खेलों में रुचि रखने वाले मुरलीकांत ने अपने गांव के ग्राम प्रधान के बेटे को कुश्ती में हराकर गांववालों को नाराज कर दिया था, जिसके चलते उन्हें पुणे जाना पड़ा। पुणे में उन्होंने इंडियन आर्मी की लड़कों की बटालियन में दाखिला लिया और खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन किया। वे एक टैलेंटेड मुक्केबाज बन गए थे।
सेना में सेवा
1965 में, मुरलीकांत ने इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) कोर में शिल्पकार रैंक के एक सैनिक के रूप में भारतीय सेना में सेवाएं दीं। 1964 में टोक्यो, जापान में अंतर्राष्ट्रीय सेवा खेल प्रतियोगिता में पदक जीतकर उन्होंने जम्मू और कश्मीर में तैनाती प्राप्त की। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनकी बटालियन पर हवाई हमला हुआ और उन्हें 9 गोलियां लगीं, जिससे वे जीवन भर के लिए अपाहिज हो गए।
संघर्ष
मुरलीकांत पेटकर को पहले जम्मू-कश्मीर के एक अस्पताल में और बाद में मुंबई के नौसेना अस्पताल में ले जाया गया। वे 2 साल तक बिस्तर पर रहे और कुछ समय के लिए उनकी याददाश्त भी चली गई। इलाज के दौरान, डॉक्टरों ने उन्हें एक खेल अपनाने के लिए प्रेरित किया, और इस तरह खेल उनका उद्देश्य बन गया।
खेल में उत्कृष्टता
1965 में रक्षा पदक प्राप्त करने वाले मुरलीकांत पेटकर ने 1969 में रिटायरमेंट ले लिया। 1967 में उन्होंने महाराष्ट्र स्टेट एथलेटिक मीट में भाग लेकर शॉट पुट, भाला फेंक, डिस्कस थ्रो, टेबल टेनिस और तीरंदाजी में स्टेट चैंपियन बने। 1968 के समर पैरालंपिक गेम्स में टेबल टेनिस में भाग लिया और पहले राउंड को पार कर लिया, लेकिन अगले राउंड में बाहर हो गए। इसके बाद उन्होंने तैराकी पर ध्यान केंद्रित किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने गए। 1972 के समर पैरालंपिक गेम्स में उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने तैराकी में 4 पदक जीते और बाद में पुणे में TELCO में कार्यरत हो गए, जहां उन्होंने 30 साल तक काम किया।
सम्मान और पुरस्कार
2018 में, मुरलीकांत पेटकर को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया। यह उनके लिए एक विशेष क्षण था क्योंकि 1982 में सरकार ने अर्जुन पुरस्कार के लिए उनका नाम खारिज कर दिया था। पेटकर ने कहा, "मुझे खुशी है कि सरकार ने आखिरकार मेरी उपलब्धियों को मान्यता दी।"
मुरलीकांत पेटकर की जीवन यात्रा संघर्ष, दृढ़ता और जीत की कहानी है, जो हमें यह सिखाती है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। कार्तिक आर्यन और कबीर खान की 'चंदू चैंपियन' इस प्रेरणादायक कहानी को बड़े पर्दे पर जीवंत करेगी।
