जीरो बनही हीरो : एक्टर मन कुरैशी ने कहा - पहली महिला डायरेक्टर के साथ काम करने का बहुत अच्छा अनुभव रहा
रायपुर. जब कोई फ्रेशर्स आपके साथ हो, आप उन्हें कुछ सजेश कर सकते हैं, डिस्कस कर सकते हैं, जबकि मंझे हुए या पुराने निर्देशक को कुछ कहने से पहले सोचना होता है कि उन्हें बुरा न लग जाए। मैं पहली बार महिला डायरेक्टर भारती वर्माजी के साथ काम किया हूं। वे फिल्म की राइटर और प्रोड्यूसर भी हैं। उनके साथ काम करने का अनुभव न सिर्फ मेरा बल्कि पूरी यूनिट के साथ काफी अच्छा रहा। इन-आउट एंट्री-एग्जिट समेत हर सीन पर चर्चा होती थी। इसका फायदा ये हुआ कि फिल्म खुशनुमा माहौल में बनकर तैयार हो गई। यह कहा, छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सुपरस्टार मन कुरैशी ने। उन्होंने 30 जून को आने वाली बहुप्रतीक्षित फिल्म जीरो बनही हीरो को लेकर बातचीत की।
फिल्म के गाने काफी पॉपुलर हो गए हैं, क्या कहेंगे.
हमें लग रहा था कि हमारा गोल्डन ड्रीम प्रोडक्शन यूट्यूब चैनल नया है, रिस्पॉन्स कैसा मिलेगा। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि दर्शक हमें खूब प्यार दे रहे हैं। फिल्म के ट्रेलर ने तो इतिहास ही रच दिया। 24 घंटे में एक मिलियन व्यू आ गए थे। दरअसल, गाने चलने से ज्यादा मायने रखता है लोगों को पसंद आना। हमारे चैनल के कॉमेंट बॉक्स में अच्छे अच्छे कॉमेंट देखकर हमें लगता है कि मेहनत सफल हो रही है।
किसी छत्तीसगढ़िया कलाकर को शहर में पहचान बनाना कितना कठिन होता है?
मुझे लगता है कि किसी भी आर्टिस्ट को शहर में जगह बनाने में बहुत वक्त लगता है। गांव के दर्शक तो हमें पहली ही फिल्म में प्यार बरसाने लगते हैं। जब तक आपके करियर में कोई ब्लॉकबस्टर फिल्म न आ जाए तब तक आपको शहर की पब्लिक नहीं पहचानती। जब फिल्म चल निकलती है तो उन्हें भी लगता है कि इनकी फलां फिल्म हमने देखी है। उनका बेहतर रिस्पॉन्स मिलता है।
फिल्मों के नहीं चलने से आर्टिस्ट पर किस तरह दबाव रहता है?
मैं कभी प्रेशर जोन में रहने वाला आर्टिस्ट नहीं हूं। क्योंकि एक कलाकर को हमेशा आगे क्या बेहतर हो सकता है, इस पर सोचना होता है। जो हो चुका उसे बदल पाना तो संभव ही नहीं है। उसके बारे में सोच सोचकर रात की नींद और सिर के बाल झड़ाने से कोई मतलब नहीं। इसलिए बेहतर है कि कुछ नए कॉन्सेप्ट पर काम किया जाए। नए लोगों से मिला जाए और नया सीखा जाए।