बड़ी खबर: अमिताभ बच्चन की जान को खतरा! Diljit Dosanjh ने दी ये सीक्रेट जानकारी, अलर्ट मोड़ पर सेंट्रल जांच एजेंसियां..
Amitabh Bachchan News: बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की जान पर खतरा मंडरा रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसियों को ऐसी आशंका है कि, अभिताभ बच्चन पर कभी भी हमला हो सकता है।

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Amitabh Bachchan News: बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की जान पर खतरा मंडरा रहा है। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी आशंका है कि, अमिताभ बच्चन पर कभी भी हमला हो सकता है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह बात सामने आई है कि, सदी के महानायक पर खालिस्तानी संगठन की नज़र है। यह पूरा मामला दिलजीत दोसांझ से भी जुड़ा हुआ है।
जानकारी के अनुसार, यह पूरा मामला दिलजीत दोसांझ द्वारा 'कौन बनेगा करोड़पति' (KBC) के एक एपिसोड में अमिताभ बच्चन के पैर छूने से है, जिसके बाद से इस पर बवाल मचा हुआ है। दिलजीत दोसांझ और अमिताभ बच्चन को मिल रही धमकियों के पीछे अलगाववादी संगठन का कहना है कि, दिलजीत ने अमिताभ के पैर छूकर 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों का अपमान किया है।
संगठन का ऐसा दावा है कि, अमिताभ बच्चन ने दंगों के दौरान भीड़ को भड़काने वाले नारे लगाए थे। कथित तौर पर जिसमें 'खून का बदला खून' नारा भी शामिल था। संगठन का दावा है कि, इस तरह के भड़काऊ नारों की वजह से भीड़ भड़क उठी थी और दंगों में पूरे भारत में 30 हज़ार से ज़्यादा सिख पुरुष, महिलाओं और बच्चों की मौत हुई थी।
सूत्रों के अनुसार, दिलजीत को अमिताभ बच्चन के पैर छूने पर खालिस्तानी संगठन 'सिख्स फॉर जस्टिस' (Sikhs for Justice) से धमकी मिली थी। एपिसोड प्रसारित होने के तुरंत बाद खालिस्तानी संगठन 'सिख्स फॉर जस्टिस' ने दिलजीत को धमकियाँ देनी शुरू कर दी थीं। इस धमकी में कहा गया था कि ऑस्ट्रेलिया में होने वाले दिलजीत के 1 नवंबर के कॉन्सर्ट को बंद करा दिया जाएगा। हालांकि, पंजाबी एक्टर या अमिताभ बच्चन ने धमकियों को लेकर किसी तरह की कोई बात नहीं की है।
1984 के सिख विरोधी दंगा क्या है?
आपको बता दें कि, 1984 के सिख विरोधी दंगे भारत के इतिहास का एक बहुत दर्दनाक अध्याय हैं। इसकी शुरुआत 31 अक्टूबर 1984 को हुई थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके ही दो सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। बता दें कि, यह हत्या जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सेना द्वारा की गई 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' की कार्रवाई का बदला लेने के लिए की गई थी। जिसके बाद देश में हिंसा भड़क उठी थी। इंदिरा गांधी की मौत के बाद भीड़ ने सिखों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया था। ये हिंसा लगभग चार दिनों तक लगातार चली थी, जिसमें देश में हज़ारों सिख मारे गए थे।
