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CG में DA पर छिड़ा रार: फेडरेशन ने शिखंडियों को ठहराया जिम्मेदार, शिक्षक संगठनों ने अफसरों पर बिचौलियागिरी करने का लगाया आरोप

CG में DA पर छिड़ा रार: फेडरेशन ने शिखंडियों को ठहराया जिम्मेदार, शिक्षक संगठनों ने अफसरों पर बिचौलियागिरी करने का लगाया आरोप
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By NPG News

रायपुर। राज्य सरकार राज्य द्वारा छह फीसदी डीए वृद्धि का आदेश जारी होने पर कर्मचारियों और शिक्षकों के सोशल मीडिया ग्रुपों में आरोप, प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है तो फेडरेशन और टीचर्स एसोसिएशन, शालेय शिक्षक संघ ने अलग, अलग प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोपों की झड़ी लगाई है। कर्मचारी, अधिकारी फेडरेशन ने कहा है कि सरकार ने 1 जुलाई 2019 के लंबित मंहगाई भत्ते की 5 % किश्त को 1 जुलाई 2021 से स्वीकृत कर कुल 17 % किया था। जिसमें देय तिथी 1 जुलाई 19 से लेकर 30 जून 21 तक के वेतन में अंतर की राशि का भुगतान नहीं किया था। सरकार ने फेडरेशन के आंदोलन के बाद डी ए में 5 % की वृद्धि कर 22 % 1 मई 22 से किया था। जिसके कारण कर्मचारियों को 1 जुलाई 21 से 30 अप्रैल 22 तक 17 % डी ए पर वेतन बना था।लेकिन सरकार ने वेतन में अंतर की राशि का भुगतान पुनः नहीं किया । गौरतलब है कि सरकार ने डी ए में 6 % की वृद्धि 1 अगस्त 22 से कर 28 % किया है। जबकि केंद्र में 28 % डी ए का देय तिथि 1 जुलाई 21 है। सरकार ने अपनी नीति को पुनः दोहराते हुए देय तिथि से डी ए स्वीकृत नहीं किया है।

फेडरेशन के संयोयक कमल वर्मा,वन राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मिश्रा, प्रांताध्यक्ष आर के रिछारिया,बी पी शर्मा, राजेश चटर्जी, अजय तिवारी, चंद्रशेखर तिवारी, संजय सिंह एवं रोहित तिवारी का कहना है कि फेडरेशन के आंदोलन केंद्र के समान देय तिथि से 34 % डी ए तथा सातवे वेतन में एच आर ए के लिए था। उन्होंने बताया कि 30 मई 2022 को फेडरेशन के द्वारा मुख्य सचिव को जिला कलेक्टर एवं तहसीलदार के माध्यम से चार चरणों में आंदोलन करने का नोटिस दिया गया था। शासन को दिये गये नोटिश के अनुसार ही 29 जून 2022 को पूरे प्रदेश के अधिकारी एवं कर्मचारी एक दिन के सामूहिक अवकाश पर रहे। लेकिन शासन द्वारा सकारात्मक पहल नहीं होने के कारण 25 से 29 जुलाई 2022 तक 5 दिनों का निश्चित कालीन आंदोलन किया गया था। शासन द्वारा सकारात्मक पहल नही किये जाने से कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल की विधिवत सूचना मुख्य सचिव को दिया था। हड़ताल के सूचना के पश्चात् सामान्य प्रशासन द्वारा चर्चा हेतु दो बार आमंत्रित किया गया था। फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मंडल ने कर्मचारियों का पक्ष सचिव स्तर के अधिकारियों के समक्ष सुझाव सहित रखा था। जिसपर सहमति व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री से अंतिम चर्चा कराने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन साजिशपूर्ण तरीके से कर्मचारियों के हड़ताल को तोड़ने के नियत से चक्रव्यूह बनाकर 6 % डी ए कर्मचारियों को देने का प्लान बनाया गया। जिसमें शिखंडी के आड़ में कर्मचारियों के मुद्दों का वध किया गया है।

उन्होंने बताया कि केन्द्र के समान 34 % मंहगाई भत्ता एवं सातवे वेतन में गृहभाड़ा भत्ता की घोषणा नही किये जाने के कारण फेडरेशन की आपात बैठक में शासन को पूर्व सूचना अनुसार 22 अगस्त 2022 से अनिश्चित कालीन आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया जाकर शासन से मंहगाई भत्ते की घोषणा पर फेडरेशन की मांग अनुरूप पुर्नविचार करने की अपील की गई है। लेकिन शासन द्वारा फेडरेशन की अपील पर कोई कार्यवाही न करते हुए 16 अगस्त 2022 को 6 प्रतिशत् मंहगाई भत्ता 01 अगस्त 2022 से दिये जाने के आदेश जारी किया गया है। जोकि कर्मचारियों के अपेक्षा अनुसार नहीं है। साथ ही सातवे वेतन पर गृहभाड़ा भत्ता का आदेश जारी नहीं होने के कारण कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन द्वारा पूर्व सूचना अनुसार 22 अगस्त 2022 से अनिश्चित कालीन आंदोलन को यथावत रखने का निर्णय लिया है।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है शासन द्वारा 6% महंगाई भत्ता जारी किया गया है, जबकि कर्मचारियों का 12% महंगाई भत्ता लंबित है। जाहिर है, शासन ने 6% महंगाई भत्ता की डंडी मार ली है। शासन के अधिकारी बिचौलिये की तरह काम कर रहे हैं। यह काफी आपत्तिजनक है कि 6% की डी ए जारी की गई है। जिसे 1 अगस्त 2022 से लागू किया गया है। 6 प्रतिशत कम डीए जारी किया गया है। साथ ही देय तिथि से भी नही दिया गया है। यह दोहरी डंडी का मार कर्मचारियों को भारी पड़ रहा है। मुख्यमंत्री से भेंट के लिए टीचर्स एसोसिशन भी बुलाया गया था किंतु कम डीए के संकेत के कारण हमने मिलना उचित नही समझा। ऐसे में महासंघ व फेडरेशन का मुख्यमंत्री से भेंट करना 6% महंगाई भत्ता जारी होने के बाद बेमानी हो गया है। इससे कर्मचारियों का बड़ा नुकसान हुआ है।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन, शालेय शिक्षक संघ, नवीन शिक्षक संघ द्वारा 25 जुलाई से 2 सूत्रीय मांग देय तिथि से लंबित मंहगाई भत्ता व देय तिथि से HRA को सातवें वेतन के आधार पर पुनरीक्षित करने की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन आंदोलन किया गया था, इस समय कर्मचारियों का दबाव सरकार पर सर्वाधिक था, 4.50 लाख कर्मचारियों की इच्छा थी कि फेडरेशन भी अनिश्चितकालीन हड़ताल करे किन्तु फेडरेशन ने 29 जुलाई को अपनी हड़ताल बन्द कर दी, यह फेडरेशन की बड़ी चूक थी, इस समय महासंघ हड़ताल फ्रेम से बाहर ही थे, तब उन्हें कोई अवसर भी नही मिलता।

फेडरेशन के वापसी से मांग कमजोर हो गया और हमे भी शिक्षक हित के विषय को भी साथ रखने की भावना के साथ हड़ताल बन्द करना पड़ा। शासन तो तभी 6% महंगाई भत्ता के संबंध में विचार कर चुकी थी।

30 जुलाई को बूढ़ा तालाब रायपुर में जंगी प्रदर्शन व आक्रोश रैली निकालकर हजारो शिक्षको ने मंहगाई भत्ता व HRA की मांग को सरकार तक पहुंचाने में सफल थे।

संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत ने कहा कि 30 जुलाई को बूढ़ा तालाब रायपुर में जंगी प्रदर्शन व आक्रोश रैली का व्यापक असर हुआ जिसके कारण मुख्यमंत्री के निर्देश पर जीएडी द्वारा सूचना देकर छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन, शालेय शिक्षक संघ, नवीन शिक्षक संघ के प्रतिनिधि मंडल को मंत्रालय में चर्चा हेतु आमंत्रित किया गया।

अधिकारियों के साथ बैठक में पक्ष रखते हुए छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने देय तिथि से 12 % मंहगाई भत्ता एकमुस्त देने व HRA पुनरीक्षित करने मांग पुरजोर तरीके से रखने के साथ ही नियम विरुद्ध वेतन कटौती आदेश को निरस्त करने कहा था, संजय शर्मा ने स्पष्ट कहा था कि 12% से कम DA मंजूर नही होगा।

ज्ञात हो कि संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत द्वारा 2012 -13 व 2018 की तरह अन्य प्रमुख शिक्षक संगठनों से समान भूमिका में एकजुट होने के लिए पहल किया जा रहा है।

कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन द्वारा 22 अगस्त से घोषित अनिश्चितकालीन आंदोलन में एल बी संवर्ग के मांगो को रखते हुए निष्पक्ष बैनर, सामूहिक नेतृत्व व समान भूमिका वाली टीम में हड़ताल को सफल बनाने समीक्षा बैठक शीघ्र आयोजित कर रणनीतिक निर्णय लिया जाएगा।

वहीँ, छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने आज जारी हुए 6%DA के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कर्मचारी उपेक्षा की पराकाष्ठा है। एक ओर प्रदेश के समस्त कर्मचारियों को विगत 3 साल से लंबित 12%DA की वजह से सालाना 1 से 3 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में देय तिथि से न देकर इसी अगस्त माह से 12%के स्थान पर 6 %DA देने की घोषणा की गई है जो कि अपर्याप्त है। इससे स्पष्ट होता है कि कर्मचारियों के प्रति सरकार की नीति ठीक नहीं है इसलिए लगातार नजरअंदाज कर रही है। अपनी उपेक्षा से त्रस्त प्रदेश के समस्त कर्मचारी आक्रोशित हैं। सरकार को केंद्र के बराबर DA देय तिथि से और सातवें वेतनमान के अनुरूप HRA प्रदान करना चाहिए। प्रदेश कर्मचारियों की उपेक्षा को देखते हुए आगामी रणनीति तय की जावेगी।

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