Teacher News, Lecturer Promotion: शिक्षक प्रमोशन: आसान नहीं है नियमित शिक्षकों को छोड़कर शिक्षक एलबी का व्याख्याता प्रमोशन! शिक्षक नेताओं ने बताई इसके पीछे की यह वजह
Teacher News, Lecturer Promotion: प्रदेश में शिक्षक एलबी एक लंबे संघर्ष के बाद व्याख्याता बनने की दहलीज पर पहुंच चुके हैं, लेकिन इस मामले में सियासी उठापटक अभी बाकी है। यदि ध्यान से पूरे मामले को समझा जाए तो यह स्पष्ट है कि विभाग भले ही लाख दावे कर रहा हो पर इसका हाल भी प्राचार्य प्रमोशन जैसा ही हो जाएगा, जिसमें दिखावे के लिए तो आदेश जारी कर दिया गया था पर क्रियान्वयन करने में विभाग के पसीने छूट गए और न्यायालय से फटकार लगी वह अलग। प्राचार्य पद पर प्रमोशन तभी हो सका जब न्यायालय से हरी झंडी मिली।

Vyakhyan Promotion: रायपुर। प्रदेश में शिक्षक एलबी एक लंबे संघर्ष के बाद व्याख्याता बनने की दहलीज पर पहुंच चुके हैं, लेकिन इस मामले में सियासी उठापटक अभी बाकी है। यदि ध्यान से पूरे मामले को समझा जाए तो यह स्पष्ट है कि विभाग भले ही लाख दावे कर रहा हो पर इसका हाल भी प्राचार्य प्रमोशन जैसा ही हो जाएगा, जिसमें दिखावे के लिए तो आदेश जारी कर दिया गया था पर क्रियान्वयन करने में विभाग के पसीने छूट गए और न्यायालय से फटकार लगी वह अलग। प्राचार्य पद पर प्रमोशन तभी हो सका जब न्यायालय से हरी झंडी मिली।
स्कूल शिक्षा विभाग रेगुलर शिक्षकों को छोड़कर शिक्षक एलबी को व्याख्याता पद पर प्रमोशन देने डीपीसी की तैयारी कर रहा है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि विभाग के अफसरों को नियमों और राज्य शासन के दिशा निर्देशों व मापदंडों की जानकारी देने के बाद भी वे अपने जिद पर अड़े हैं। अगर विभाग के अफसर अपनी जिद पर अड़े रहकर डीपीसी कराते हैं तो मामला एक बार फिर अदालत की राह पकड़ लेगा। नियमों में साफ लिखा है कि रेगुलर शिक्षक और शिक्षक एलबी का साथ-साथ डीपीसी करानी होगी और पदोन्नति देना होगा। साझा डीपीसी और पदोन्नति का प्रावधान है। इस प्रावधान के विपरीत शिक्षक एलबी को पदोन्नति देने के लिए डीपीसी कराने की स्थिति में मामला एक बार फिर हाई कोर्ट पहुंचेगा। जैसा कि प्रिंसिपल पद पर पदोन्नति के दौरान देखने को मिला था।
क्या है पूरा मामला और क्यों खतरा रहे हैं संकट के बादल
दरअसल डीपीआई के सूत्रों से यह खबर निकलकर सामने आई कि शिक्षक एलबी का व्याख्याता पद पर प्रमोशन होने जा रहा है और इसके लिए विभाग डीपीसी कर चुका है , इसके साथ ही शिक्षक एलबी संगठन के कई संगठनों ने यह दावा किया कि उनकी वजह से यह प्रक्रिया हुई है और अब शिक्षक एलबी व्याख्याता बन जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि जहां अड़चन थी उस भाग को याने नियमित शिक्षकों को डीपीसी से फिलहाल बाहर रखा गया है और जब उनका मामला निपटा जाएगा तब विभाग उनका प्रमोशन करेगा । जैसे ही यह खबरें बाहर हुई वैसे ही नियमित शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने हर स्तर पर इसका विरोध शुरू कर दिया है ।
क्यों मुश्किल है ऐसा होना और क्या है इसके पीछे की असली वजह
दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग में ई और टी दो कैडर प्रभावशील हैं, जिसके अंतर्गत नियमित और शिक्षक एलबी कार्य करते हैं। शिक्षक एलबी वह कर्मचारी है जो पहले शिक्षाकर्मी के नाम से जाने जाते थे और बाद में संविलियन के तौर पर वह स्कूल शिक्षा विभाग में आ चुके हैं। अब यदि जैसा दावा किया जा रहा है, उस तरीके से शिक्षक एलबी को व्याख्याता बना दिया जाए और नियमित शिक्षकों को छोड़ दिया जाए और उनका बाद में प्रमोशन किया जाए तो स्वाभाविक रूप से नियमित शिक्षक जो अभी सीनियर है वह व्याख्याता के पद पर शिक्षक एलबी से जूनियर हो जाएंगे। साथ ही उनकी मनचाही जगह भी उनके हाथ से निकल जाएगी । नियमित शिक्षकों की तरफ से कुछ शिक्षकों ने वरिष्ठता के मुद्दे को लेकर न्यायालय में केस दायर कर रखा है। उस मुद्दे को सुलझाए बिना शासन पदोन्नति करने की स्थिति में नहीं है, अचानक से डीपीसी की बात निकाल कर सामने आई तो नियमित शिक्षक हतप्रभ रह गए हैं।
प्राचार्य प्रमोशन में भी हुआ था ऐसा ही खेला, कोर्ट की लगी थी फटकार
प्राचार्य प्रमोशन पर भी एक समय में ऐसे ही कोर्ट की रोक थी पर आनन फानन में विभाग के अधिकारियों ने प्रमोशन आदेश जारी कर दिया था। उसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों को न्यायालय से जोरदार फटकार लगी थी और पूरी प्रक्रिया ठंडे बस्ती में चली गई थी । बाद में जब न्यायालय से पूरे मामले का निराकरण हुआ तब जाकर प्राचार्य प्रमोशन की प्रक्रिया संपन्न हो पाई । इसलिए यह भी कहा जा रहा है कि फिर एक बार विभाग ने उसी प्रकार से हवा हवाई काम करना शुरू कर दिया है जिसे लेकर नियमित शिक्षकों के नेता भड़के हुए हैं।
क्या कहते हैं कर्मचारी नेता
छत्तीसगढ़ प्राचार्य पदोन्नत फोरम के अनिल शुक्ला का कहना है कि पदोन्नति से पहले डीपीसी के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने नियम व मापदंड तय कर रखा है। नियमानुसार नियमित शिक्षक व शिक्षक एलबी का साझा डीपीसी करना होगा। इसके बाद ही पदोन्नति सूची जारी किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर अपने ही बनाए नियम व कायदे को दरकिनार कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो प्राचार्य पदोन्नति की तरह मामला एक बार फिर अदालत में पहुंचेगा। नियमो के विपरीत पदोन्नति के लिए डीपीसी कराना विभागीय अफसरों की स्वेच्छारिता ही कहा जाएगा।
छत्तीसगढ़ विद्यालय शिक्षक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजय तिवारी का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी हाई कोर्ट के साथ ही महाधिवक्ता कार्यालय के लॉ अफसरों और राज्य शासन को गुमराह कर रहे हैं। नियमित शिक्षकों व शिक्षक एलबी दोनों का डीपीसी कराना होगा। एक घटक को छोड़कर एक का डीपीसी नहीं कर सकते हैं। नियमों के विपरीत अगर पदोन्नति दी जाती है तो हमें विवश होकर अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
