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CG में स्कूल शिक्षा का अजब हाल: प्राचार्य समेत 3 व्याख्याता महीनों से गायब, अंकसूची तक नहीं बंट पा रही...कलेक्टर से लेकर जेडी तक फरियाद, कार्रवाई शून्य

CG में स्कूल शिक्षा का अजब हाल: प्राचार्य समेत 3 व्याख्याता महीनों से गायब, अंकसूची तक नहीं बंट पा रही...कलेक्टर से लेकर जेडी तक फरियाद, कार्रवाई शून्य
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By NPG News

CG News: बिलासपुर। यूं तो एकतरफ एक दिन के लिए लेट हुए शिक्षकों पर कार्रवाई के नाम पर आधा दिन का वेतन काट कर वाहवाही बटोरने का काम शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाता है और दूसरी तरफ महीनों से गायब प्राचार्य और व्याख्याता पर अधिकारी कार्रवाई नहीं करते। वह भी तब जब स्वयं विद्यालय की प्रभारी प्राचार्य और गांव के जनप्रतिनिधि कलेक्टर , जेडी से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक इसकी लिखित शिकायत कर चुके हैं।

यह मामला किसी बीहड़ जंगल क्षेत्र का नहीं है। बल्कि, बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक का है जहां के शासकीय हाई स्कूल बहतराई की प्राचार्य निशा तिवारी तथा उनके कृपापात्र दो व्याख्याता जेके ध्रुव और अल्का सिंह स्कूल खुलने के बाद से ही गायब हैं ।


क्या है पूरा मामला ???

स्कूल में अपनी मनमानी के लिए चर्चित प्राचार्य श्रीमती निशा तिवारी 16 जुलाई से शाला से अनुपस्थित है और उन्होंने रजिस्टर में मेडिकल अवकाश अंकित किया है। लेकिन शिकायत के अनुसार न तो किसी प्रकार का कोई आवेदन दिया है और न ही बीमार होने का कोई मेडिकल सर्टिफिकेट। जबकि, नियमानुसार यह भेजना अनिवार्य होता है । लगभग डेढ़ माह गुजर जाने के बाद भी उन्होंने कार्यालय को किसी प्रकार का कोई दस्तावेज नहीं भेजा है और मनमाने ढंग से अपना मेडिकल अवकाश बढ़ाने के लिए प्रभारी प्राचार्य को आदेशित किए जा रही हैं। यही नहीं उनके शह पर विद्यालय के दो व्याख्याता भी अरसे से स्कूल से गैर हाजिर हैं। विद्यालय की व्याख्याता श्रीमती अलका सिंह 18 जुलाई से संतान पालन अवकाश पर है जिनका न तो विधिवत संतान पालन अवकाश स्वीकृत किया गया है और न ही कोई आदेश जारी हुआ है। प्राचार्य की वे कितनी करीबी हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अलका सिंह ने अपने बच्चे को 12वीं कक्षा में होना बताकर 11 जुलाई को पत्र लिखकर 18 जुलाई से अवकाश मांगा और उसी दिन प्राचार्य ने अवकाश स्वीकृत कर दिया। जबकि, संतान पालन अवकाश नियमानुसार इसके लिए कम से कम 21 दिन पहले अवकाश का आवेदन देना होता है और विशेष परिस्थितियों में 10 दिन से कम समय के अवकाश के लिए ही रियायत देने का प्रावधान है। लेकिन सामान्य परिस्थिति होते हुए भी केवल बच्चे की पढ़ाई के नाम पर अवकाश मांगने वाली शिक्षिका के 1 माह के अवकाश के आवेदन को प्राचार्य निशा तिवारी ने उसी दिन स्वीकृत कर दिया और 18 जुलाई से उनके रजिस्टर में संतान पालन अवकाश अंकित हो गया। जबकि इसके लिए विधिवत आदेश जारी होना था। इसी प्रकार प्राचार्य के एक और सहयोगी जे के ध्रुव ने 18 जुलाई को व्हाट्सएप पर मैसेज के जरिए मेडिकल अवकाश चढ़ाने के लिए कहा और बिना किसी डॉक्यूमेंट के वह भी लगातार अवकाश पर हैं। प्रभारी प्राचार्य को नियमित प्राचार्य निशा तिवारी द्वारा लगातार उनके अवकाश को बढ़ाने के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से निर्देशित किया जा रहा है और इस प्रकार तीनों वरिष्ठ शिक्षक विद्यालय से लापता हैं। वह भी बिना किसी प्रमाणिक दस्तावेज और कारण के।

मात्र 6 शिक्षकों वाले इस विद्यालय से 3 शिक्षक गैर जिम्मेदार तरीके से लापता है। ऐसे में पूरे विद्यालय की जिम्मेदारी मात्र 3 व्याख्याताओं पर आ गई है ।

हमेशा से विवादित रही है प्राचार्य

प्राचार्य निशा तिवारी का कार्यकाल हमेशा से विवादित रहा है 2016 में छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग के पास भी उनकी शिकायत पहुंची थी और पूरे मामले की जांच करके डॉक्टर सियाराम साहू की अध्यक्षता वाले छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने विभाग के अधिकारियों को वहां की व्याख्याता संध्या साहू और प्राचार्य निशा तिवारी को अन्यत्र पदस्थ करने की अनुशंसा की थी लेकिन उस समय भी विभाग के अधिकारियों ने बड़ा खेल खेला और जहां व्याख्याता संध्या साहू का स्थानांतरण कर दिया गया वहीं निशा तिवारी अपने पद पर बनी रही । इस बार भी विवादों में आई प्राचार्य निशा तिवारी ने न तो प्रभारी प्राचार्य को किसी प्रकार का कोई प्रभार सौंपा है और न ही कोई दस्तावेज और अलमारी की चाबी , इसके अभाव में दसवीं के छात्रों की अंकसूची भी नहीं बंट सकी है क्योंकि अलमारी की चाबी प्राचार्य तिवारी लेकर चली गई हैं । ऐसा नहीं है कि ऐसा कारनामा पहली बार हो रहा है बल्कि इसके पहले भी बहतराई स्कूल विवादों में घिरा रहा है, स्कूल के सारे फर्नीचर को कोचिंग संचालक को दे देने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि यह नया मामला आ गया। प्राचार्य ने शासकीय संपत्ति यानी फर्नीचर और कंप्यूटर की भी हेराफेरी की है और इस गंभीर मामले में भी जमकर शिकायत हुई थी लेकिन किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई और अब एक बार फिर इसी प्रकार का मामला सामने आया है जिसे लेकर ग्रामीणों ने और शिक्षकों ने कलेक्टर जेडी और जिला शिक्षा अधिकारी से कार्रवाई की मांग की है। लेकिन शिकायत के 10 दिन बाद भी उच्च अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई। स्कूल के दस्तावेज और ग्रामीणों की शिकायत साफ बताते हैं कि पानी सर के ऊपर जा चुका है। लेकिन, कार्रवाई कुछ नहीं।

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