शिक्षक मोर्चा के खिलाफ खड़ा हुआ संयुक्त शिक्षक महासंघ...स्कूल शिक्षा मंत्री से रखी संशोधन आदेश को निरस्त करने की मांग...
रायपुर। प्रदेश में शिक्षकों का एक धड़ा स्कूल शिक्षा मंत्री के पास यह गुहार लगाने पहुंचा था कि पदोन्नति में संशोधन का जो खेल हुआ है। उस पर कम से कम संशोधन निरस्त करने की कार्यवाही न की जाए। वहीँ अब छत्तीसगढ़ संयुक्त शिक्षक महासंघ जिसमें अलग-अलग संगठनों के 9 प्रदेश अध्यक्ष शामिल हैं ने स्कूल शिक्षा मंत्री से काउंसलिंग के बाद पदोन्नति में किए गए। संशोधन आदेश को लेकर यह मांग की है कि संशोधन के समस्त आदेशों को निरस्त कर मामले की जांच उच्च स्तरीय लोकायुक्त या पुलिस विभाग द्वारा कराई जाए।
इस पूरे मामले में दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही करते हुए FIR भी दर्ज किया जाए। ज्ञापन में स्कूल शिक्षा मंत्री के संज्ञान में इस विषय को भी लाया गया है। पदोन्नति में हुए संशोधन के चलते विभाग और सरकार की छवि खराब हुई है। ऐसे में कड़ी कार्यवाही करना अत्यंत आवश्यक है। महासंघ के संचालकगण कृष्ण कुमार नवरंग, भूपेंद्र सिंह बनाफर, शंकर साहू, शिव सारथी, विक्रम राय, राजनारायण द्विवेदी, धरमदास बंजारे, चेतन कुमार बघेल और कमल दास ने ज्ञापन के जरिए स्कूल शिक्षा मंत्री से यह मांग रखी है।
इससे पहले छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा की तरफ से स्कूल शिक्षा मंत्री से पदोन्नति में हुए संशोधन को यथावत रखने की मांग की गई है। इसका साफ मतलब है कि अब पदोन्नति को यथावत रखने और निरस्त करने के मामले को लेकर दो धड़ा आमने-सामने हैं। शिक्षकों के सोशल मीडिया ग्रुप में भी इस मुद्दे को लेकर शिक्षकों का अलग-अलग रूख है जहां अधिकांश शिक्षक पदोन्नति में हुए संशोधन को निरस्त करने की बात लिख रहे हैं वहीं कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो नहीं चाहते कि संशोधन निरस्त हो।
नीचे पढ़ें ज्ञापन...
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सकारात्मक पहल पर राज्य शासन ने पदोन्नति में छूट प्रदान की थी, जिसके कारण प्रदेश के हजारों संख्या में लंबे समय तक इंतजार कर रहे सहायक शिक्षकों पदोन्नत हुए। विभाग ने विवादों से बचने के लिये काउंसलिंग के माध्यम से पदोन्नत शिक्षकों की पदस्थापना का निर्णय स्कूल शिक्षा विभाग ने लिया था। काउंसलिंग हुई और पदस्थापना आदेश भी जारी हुआ। परंतु बाद में पदस्थापना आदेश में हजारों की संख्या में मनमाने तरीके से संशोधन किए गये।
संशोधन के नाम पर करोड़ों रूपये की वसूली की शिकायतें मिल रही है इससे जहाँ विभाग द्वारा दिये गये निर्देश की ना केवल अवहेलना हुई, बल्कि संशोधन के चलते पूरे प्रदेश में शिक्षा विभाग के साथ-साथ सरकार की छवि भी खराब हो रही है।
सादर अनुरोध है कि जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के साथ संशोधन किए गये समस्त आदेशों को निरस्त कर मामले की जाँच उच्च स्तरीय लोकायुक्त या पुलिस विभाग द्वारा कराते हुए इन संपूर्ण मामले में संलिप्त दोषियों पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही करते हुए अपराधिक प्रकरण दर्ज करें।