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Shiksha ka Jadue Pitara: छत्‍तीसगढ़ में बदलेगा शिक्षा का तरीका: राज्‍य में अब तैत्तिरीय उपनिषद से प्रेरित 'जादुई पिटारा' से होगी शिक्षा-दीक्षा

Shiksha ka Jadue Pitara:

Shiksha ka Jadue Pitara: छत्‍तीसगढ़ में बदलेगा शिक्षा का तरीका: राज्‍य में अब तैत्तिरीय उपनिषद से प्रेरित जादुई पिटारा से होगी शिक्षा-दीक्षा
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By Sanjeet Kumar

Shiksha ka Jadue Pitara: रायपुर । आगामी शिक्षण सत्र 16 जून 2024 से छत्तीसगढ़ के तीन से आठ वर्ष की आयु के सभी बच्चों अर्थात् बालबाड़ी तथा कक्षा 1 व 2 में ‘जादुई पिटारा’ के माध्यम से पढ़ाई-लिखाई कराने की कार्ययोजना और रणनीति बनायी जा रही है ।

स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने राज्य के सभी बालबाड़ी शिक्षकों, प्राथमिक शाला के शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक और प्रमुख ‘जादुई पिटारा’ (खेल-आधारित शिक्षण संसाधन प्रणाली) से जुड़ने एवं संसाधनों के आधार पर नवाचार करते हुए आगामी शिक्षा सत्र से दक्षतापूर्वक क्रियान्वयन व संचालन हेतु आव्हान किया है। उन्होंने कहा है कि ‘जादुई पिटारा’ के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों तथा विशेष सहयोग प्रदान करने वाले स्थानीय लोक कलाकारों, तकनीकी कार्यकर्ता को राज्य स्तर पर उनके योगदान के लिए विशेष रूप से पुरस्कृत किया जायेगा ।

इसी अनुक्रम में - राज्य के सभी प्राथमिक शालाओं के प्रधान पाठकों सहित सभी बीआरसी, सीआरसी और आँगनबाड़ी शिक्षक और कार्यकर्ताओं के प्रारंभिक तौर पर क्षमता विकास और उन्मुखीकरण हेतु राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, छत्तीसगढ़ द्वारा कल दिनांक 2 मई को प्रातः 10 बजे से ऑनलाईनदक्षता विकास हेतु राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन भारत सरकार के एनसीईआरटी के विशेषज्ञों और शिक्षाविदों के सहयोग से किया जा रहा है ।

उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति-2020 में अनुंशसित ‘जादुई पिटारा’ अत्याधुनिक बालकेंद्रितशिक्षण दर्शन पर आधारित है, जो 3 से छह 6 की उम्र के बच्चों (नर्सरी, लोअर किंडरगार्टन (एलकेजी) और अपर किंडरगार्टन (यूकेजी) के साथ पाठ्यपुस्तकों के न्यूनतम उपयोग का परामर्श देता है। इसके अलावा यह खेल, जीवित अनुभव और किसी की मातृभाषा के उपयोग के आधार पर सीखने को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित की अनुशंसा करता है ।

नई शिक्षा नीति-2020 के तहत राष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श करते हुए तथा पंचकोश तैत्तिरीय उपनिषद से प्रेरणा लेते हुए, ‘जादुई पिटारा’ की अवधारणा को शामिल किया गया है और इसमें शारीरिक विकास, सामाजिक,भावनात्मक और नैतिक विकास के लिए मूलभूत चरण के लिए पहचाने गए डोमेन और पाठ्यचर्या लक्ष्यों के साथ विभिन्न कोषों - अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय को शामिल किया गया है ।

शिक्षाशास्त्रियों के अनुसार इस पद्धति से संज्ञानात्मक विकास, भाषा और साक्षरता विकास, सौंदर्य और सांस्कृतिक विकास, और पाठ्यचर्या विकास के आधार के रूप में सकारात्मक सीखने की आदतों का विकास जैसे बुनियादी उद्देश्यों की प्राप्ति की अपेक्षा और आकलन किया गया है।

इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक जे.पी.रथ ने बताया है कि - ‘जादुई पिटारा’ 3-8 आयु समूह के मूलभूत चरण अर्थात् नन्हें विद्यार्थियों के पाठ्यपुस्तक की जगह स्वयं में पाठ्यक्रम या पाठ्यवस्तु है, जो मूलतः खेल-आधारित शिक्षण-शिक्षण की एक किट (बॉक्स)के रूप में स्वीकृत और मानकीकृत होगी । इस किट में खिलौने, पहेलियाँ, कठपुतलियाँ, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, वर्कबुक, पोस्टर, शिक्षक की मार्गदर्शिका पुस्तिका आदि शामिल होंगी ।

इसमें प्रत्येक स्कूलों को स्थानीय आधार पर जादुई पिटारा को पाठ्यक्रम को आवश्यकता, संस्कृति, स्थानीय संसाधनों और संदर्भ के अनुसार संशोधित, और बेहत्तर बनाने का विकल्प (छूट) भी दिया जा सकेगा । परिमाण स्वरूप कक्षा शिक्षकों को जादुई पिटारा में इन सामग्रियों के निर्माण हेतु नवाचार कर अपनी उत्कृष्टता को साबित करने का अवसर मिल सकेगा, जिसका परीक्षण और मूल्याँकन कर राज्य स्तर पर भी एक समान लागू करने का प्रयास किया जायेगा । जादुई पिटारा बुनियादी तौर पर रचनात्मक प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला को आत्मसात करने के लिए प्राथमिक शाला के शिक्षकों का प्रोत्साहन और उन्हें अवसर उपलब्ध कराना है ताकि वे बच्चे और शिक्षक को भाषा के विकास के लिए खोज-बीन करने, खुलकर बात करने, कहानियाँ पढ़ने, पहेलियाँ सुलझाने का अवसर भी प्राप्त हो सके । बच्चे आलोचनात्मक सोच के लिए परिस्थितियाँ बनाने, अपने खिलौने, कविताएँ, चित्र आदि बनाने के लिए स्वतः प्रोत्साहित हो सकें ।

‘जादुई पिटारा’ योजना की एक मुख्य विशेषता यह भी होगी कि न केवल स्कूल शिक्षा विभाग, शिक्षक, प्रशिक्षक बल्कि विद्यार्थियों के माता-पिता, स्कूल, कला, संस्कृति और तकनीक के क्षेत्र में कार्य करी स्वयंसेवी संस्थाएँ भी स्थानीय खिलौने, खेल और कठपुतलियाँ, स्थानीय स्वाद वाली गतिविधि पुस्तकें, स्थानीय कहानी की किताबें और कार्ड, स्वयं के पोस्टर बनाकर, स्थानीय कविताओं को एकत्रित करके अपना खुद का ‘जादुई पिटारा’ बना कर विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध करा सकते हैं ।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, एनसीईआरटी द्वारा जादुई पिटारा को दीक्षा प्लेटफॉर्म-पोर्टल पर भी डिजिटल रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है और डिजिटल सामग्री, डाउनलोड और ऑडियो आदि के लिए इसे पूरी तरह से एक्सेस किया जा सकता है । राज्य शासन के मंशानुरूप स्थानीय एससीआरटी द्वारा ई-जादुई पिटारा निर्माण की कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है ताकि बच्चे ऑनलाइन जादुई पिटारा का उपयोग कर अपनी समझ विकसित कर सकें।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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