School Education News: सालभर की पढ़ाई से बनेगा रिजल्ट: मूल्यांकन प्रणाली में बड़ा बदलाव, तिमाही-छमाही परीक्षा के नंबर जुड़ेंगे
School Education News: स्कूल शिक्षा विभाग ने छात्रों के मूल्यांकन पद्धति में बदलाव की योजना बनाई है। वार्षिक परीक्षा के परिणाम में अब तिमाही और छमाही परीक्षा के अंक भी जोड़े जाएंगे। मतलब साफ है, वार्षिक परीक्षा के परिणाम के बजाय सालभर होने वाली पढ़ाई और तिमाही और छमाही परीक्षा में मिलने वाले अंकों के आधार पर रिजल्ट जारी किए जाएंगे। स्कूल शिक्षा विभाग की नई व्यवस्था का असर 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के स्टूडेंट्स पर नहीं पड़ेगा। बोर्ड परीक्षा वाले स्टूडेंट्स को नई व्यवस्था से अलग रखा गया है।

School Education News: रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग ने छात्रों के मूल्यांकन पद्धति में बदलाव की योजना बनाई है। वार्षिक परीक्षा के परिणाम में अब तिमाही और छमाही परीक्षा के अंक भी जोड़े जाएंगे। मतलब साफ है, वार्षिक परीक्षा के परिणाम के बजाय सालभर होने वाली पढ़ाई और तिमाही और छमाही परीक्षा में मिलने वाले अंकों के आधार पर रिजल्ट जारी किए जाएंगे। स्कूल शिक्षा विभाग की नई व्यवस्था का असर 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के स्टूडेंट्स पर नहीं पड़ेगा। बोर्ड परीक्षा वाले स्टूडेंट्स को नई व्यवस्था से अलग रखा गया है।
शिक्षा विभाग के इस फैसले से प्रदेश के करीब 45 लाख स्कूली छात्र दायरे में आएंगे। विभाग से जुड़े अफसरों का मानना है कि अब तक कई स्कूलों में तिमाही और छमाही परीक्षाएं महज औपचारिकता बनकर रह गई है। छात्र और शिक्षक दोनों ही इन् परीक्षाओं को गंभीरता से नहीं लेते। नई व्यवस्था के तहत अब इन परीक्षाओं के अंक सीधे फाइनल रिजल्ट में जुड़ेंगे। लिहाजा पढ़ाई और मूल्यांकन दोनों में गंभीरता बढ़ेगी। साथ ही इससे पढ़ाई की गुणवत्ता बेहतर होगी।
नई व्यवस्था के तहत कक्षा पहली से चौथी तक तिमाही परीक्षा के 20 प्रतिशत, छमाही परीक्षा के 20 प्रतिशत और वार्षिक परीक्षा के 60 प्रतिशत अंक जोड़कर अंतिम परिणाम तैयार किया जाएगा। कक्षा पांचवीं से आठवीं तक छमाही परीक्षा के 30 प्रतिशत और वार्षिक परीक्षा के 70 प्रतिशत अंकों के आधार पर रिजल्ट बनाया जाएगा। शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि कक्षा 9वीं और 11वीं के छात्रों के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था लागू होगी। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर माध्यमिक शिक्षा मंडल को भेजा गया है, जिस पर जल्द निर्णय होने की संभावना है।
शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि इस बदलाव से छात्र पूरे साल नियमित पढ़ाई के लिए प्रेरित होंगे। साथ ही शिक्षकों को भी सिलेबस समय पर पूरा कराने और छात्रों की प्रगति पर लगातार नजर रखने की जिम्मेदारी बढ़ेगी। विभाग के अनुसार यह फैसला शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
