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कर्मचारी नेताओं के नेतृत्व पर सवाल: शिक्षक नेता बोले कर्मचारियों के वश की बात नहीं, असली लड़ाके शिक्षक है, जो अधिकार के लिए...

कर्मचारी नेताओं के नेतृत्व पर सवाल: शिक्षक नेता बोले कर्मचारियों के वश की बात नहीं, असली लड़ाके शिक्षक है, जो अधिकार के लिए...
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By NPG News

रायपुर। शालेय शिक्षा संघ ने कर्मचारी नेताओं के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आंदोलन करके अपना हक हासिल करना कर्मचारी नेताओं के वश की बात नहीं है। शिक्षक असली लड़ाके हैं, जो अपना अधिकार हासिल करना जानते हैं।

HRA की मांग को लेकर प्रदेश के समस्त अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारियों ने लगातार आंदोलन किये परन्तु उनकी उम्मीदें तब धराशायी हो गई जब मुख्यमंत्री ने मात्र 6%DA की घोषणा कल शाम कर दी है, इतने कम DA की घोषणा से प्रदेश के कर्मचारी निराश हैं और आक्रोशित हो रहे हैं कि उनके आर्थिक नुकसान का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कर्मचारियों की इस दुर्दशा का बड़ा कारण कुछ कर्मचारी नेताओ की दरबारी राजनीति को बताते हुए कहा कि कुछ स्वार्थी नेताओ की व्यक्तिगत महत्वकांक्षाओं के कारण प्रदेश के समस्त कर्मचारियों को जबरदस्त आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोई कर्मचारी नेता DA और HRA जैसी मूलभूत अधिकारों के लिए भी 6 चरणों में योजना बनाकर शासन को पर्याप्त लाभ पहुचा रहा है,तो कोई दरबार मे चरणवन्दना कर कर्मचारी हितों से समझौता कर रहा है।इनकी इन करतूतों से ही कर्मचारियों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है।

वीरेंद्र दुबे ने कहा कि प्रदेश कर्मचारियों को ईमानदार और परिणाम देने वाला सही नियत और नीति वाला संघर्षशील नेतृत्व की आवश्यकता है जो केवल शिक्षाकर्मी से संविलियन तक का संघर्ष करने वाले शिक्षक नेतृत्व ही दे सकते हैं। संघर्ष और रणनीति से परिणाम लेने का जो अनुभव इनके पास है वह किसी अन्य के पास नही है अतः अब समय आ गया है कि हम सभी शिक्षक मतभेदों और वर्गवाद को भूलकर संगठित हो और एकजुट होकर अपनी मुलमाँगो के लिए संघर्ष करें

प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा और प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने अपील किया कि आपसी मतभेद भुलाकर सभी शिक्षक एकजुट हों,संघर्ष हमारा इतिहास है,हम संघर्ष से ही पैदा हुए हैं। बिना विभाग के कर्मचारी से शासकीय शिक्षक के गौरव तक संघर्ष का लंबा नेतृत्व अनुभव है।हम परिणाम देने में सक्षम है तो फिर अन्य के नेतृत्व को क्यो अंगीकार करें जिनके संघर्ष का कोई इतिहास नही है। ऐसे दरबारी राजनीति करने वाले कर्मचारी नेताओ से सचेत रहने की जरूरत है।

केंद्र के बराबर DA और सातवें वेतनमान के अनुरूप HRA की मांग करने वालो में प्रमुख रूप से प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी,प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा, प्रांतीय उपाध्यक्ष सुनील सिंह,डॉ.सांत्वना ठाकुर,विष्णु शर्मा,सहसचिव सत्येंद्र सिंह, प्रांतीय मीडिया प्रभारी जितेन्द्र शर्मा,सन्गठन मंत्री विवेक शर्मा,प्रांतीय प्रवक्ता गजराज सिंह, संगठन सचिव जितेंद्र गजेंद्र,राजेश शर्मा, घनश्याम पटेल,अतुल अवस्थी,अजय वर्मा,गोविंद मिश्रा जिलाध्यक्षगण प्रहलाद जैन,शिवेंद्र चंद्रवंशी, सन्तोष मिश्रा,दिनेश राजपूत, कुलदीप सिंह,शैलेष सिंह, प्रदीप पांडेय, रवि मिश्रा, संतोष शुक्ला, विनय सिंह, हिमन कोर्राम, दीपक वेंताल, भोजराज पटेल,भानु प्रताप डहरिया,यादवेंद्र दुबे, उपेंद्र सिंह,जोगेंद्र यादव,विनय सिंह, सर्वजीत पाठक, ओमप्रकाश खैरवार,कैलाश रामटेके,कृष्णराज पांडेय,,पवन दुबे,करनैल सिंह, मती शशि कठोलिया,अब्दुल आसिफ खान,विक्रम राजपूत ,गौतम शर्मा, मारुति शर्मा,अमित सिन्हा,द्वारिका भारद्वाज,सुशील शर्मा,खेमन साहू,लोमन वर्मा,अशोक देशमुख,तिलक सेन,विजय बेलचंदन आदि ने समर्थन किया।

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