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पुरानी पेंशन पर सरकार का केबिनेट निर्णय......आसमान से गिरा खजूर में अटका, शिक्षक-कर्मचारी के नियुक्ति तिथि से पुराना पेंशन का निर्णय ले सरकार - संयुक्त शिक्षक संघ

पुरानी पेंशन पर सरकार का केबिनेट निर्णय......आसमान से गिरा खजूर में अटका, शिक्षक-कर्मचारी के नियुक्ति तिथि से पुराना पेंशन का निर्णय ले सरकार - संयुक्त शिक्षक संघ
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By NPG News

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अपने जन घोषणा पत्र में किए गए वादे के अनुसार जनवरी 2004 के पश्चात नियुक्त शासकीय सेवकों के लिए एनपीएस के स्थान पर पुराना पेंशन लागू करने का निर्णय लिया गया और इसे इस तरह से प्रस्तुत किया गया कि संबंधित शासकीय सेवको को पूरी तरह से अब पुराना पेंशन का लाभ प्राप्त होगा। उनका बुढ़ापा सुरक्षित हो जाएगा। इसका ढिंढोरा पीटने में सरकार ने कोई कसर भी नहीं छोड़ा। कर्मचारियों ने भी इस निर्णय का स्वागत करते हुए भव्य सम्मेलन आयोजित कर सरकार अभिनंदन किया। लेकिन पुराने पेंशन को लेकर वर्ष 2022 के अंतिम केबिनेट आज 30 दिसंबर के केबिनेट के बाद मीडिया से जो बाते सामने आ रहा है उससे एनपीएस से जुड़े कर्मचारियों के हाथ निराशा ही लगा है। उनकी स्थिति आसमान से गिरकर खजूर में अटके के समान हो गया है।

सरकार ने एनपीएस कर्मचारी को 01अप्रैल 2022 से सामान्य भविष्य निधि का सदस्य माने जाने का जो निर्णय लिया है यह प्रथम दृष्टया ही गलत एवं कर्मचारी विरोधी निर्णय है। छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष केदार जैन सहित प्रांतीय पदाधिकारी श्रीमती ममता खालसा, ओमप्रकाश बघेल, अर्जुन रत्नाकर, गिरजा शंकर शुक्ला, माया सिंह, नरोत्तम चौधरी, सोहन यादव, रूपानंद पटेल, ताराचंद जायसवाल ने सरकार से आज के निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए एनपीएस कर्मचारियों को नियुक्ति तिथि से पुराना पेंशन देने का अपना पूर्ववर्ती मांग दोहराया है। साथ ही निर्णय में स्पष्टता की मांग किया है कि एनपीएस कर्मचारी अपने एनपीएस अंशदान एवं उसका लाभांश व राज्य सरकार का अंशदान एवं उसका लाभांश जमा करने और उसका नोटरी युक्त एफिडेविट देने पर ही वह पुराना पेंशन की पात्रता रखेगा।

यदि ऐसा है तो यह पूरी तरह से अनुचित है। यह सरकार का दायित्व है कि वह निर्णय करे , उस पर नीति बनाएं और उसको लागू करें। एनपीएस कर्मचारियों के ऊपर यह दायित्व डालना अन्याय पूर्ण कार्य है। संघ इस विज्ञप्ति के माध्यम से केंद्र सरकार से भी मांग करता है कि कर्मचारी हित में निर्णय लें ताकि केंद्र और राज्य सरकार के बीच एनपीएस कर्मचारी पिसे नहीं और उनका बुढ़ापा सुरक्षित रहे। तभी सरकार जन कल्याणकारी सरकार मानी जाती है।

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