Principal Promotion News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, पदोन्नति ना तो कानूनी और ना ही संवैधानिक अधिकार...
Principal Promotion News: प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा तय मापदंडों व नियमों को अवैध घोषित करने के संबंध दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सभी याचिकाओं को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की है।
Principal Promotion News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवं पदोन्नति नियम, 2019 के नियम 18 को चुनौती देते हुए शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों ने चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। सभी याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है।
डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ ही उस टिप्पणी को भी दोहराया है जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि पदोन्नति का अवसर मिलना या देना संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है। यह राज्य शासन द्वारा बनाई गई व्यवस्था है।
डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि राज्य शासन ने पदोन्नति के लिए नियम तय करते समय शिक्षा विभाग में पूर्व से कार्यरत लेक्चरर्स के हितों का ध्यान रखा है। लिहाजा 70 फीसदी पद ई संवर्ग के लेक्चरर्स के लिए आरक्षित रखा गया है। शिक्षाकर्मी से संविलियन के बाद शिक्षा विभाग में आए लेक्चरर्स को पदोन्नति देने के लिए 30 फीसदी पद आरक्षित रखे गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग ने मूल विभाग में कार्यरत लेक्चरर्स के लिए आधे से ज्यादा पदों को रिर्जव रखा है,ऐसी स्थिति में इसे असंवैधानिक कैसे ठहराया जा सकता है।
0 विभागीय लेक्चरर्स ने दायर की थी याचिका
शिक्षा विभाग में कार्यरत लेक्चरर्स जितेंद्र शुक्ला, संजय तंबोली,राजेश कुमार सहित अन्य ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा (शैक्षणिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवं पदोन्नति नियम, 2019 की अनुसूची 2 की प्रविष्टि 18 को अवैध घोषित करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने लेक्चरर्स एलबी के लिए आरक्षित 30 फीसदी पदों को अनुचित बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि उन सबकी नियुक्ति स्कूल शिक्षा विभाग में हुई थी। शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति पंचायत विभाग द्वारा की गई थी। राज्य शासन के निर्णय के तहत बाद में स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किया गया है।