NPG Big Impact: दुःसाहसी अफसर की सिकरेट्री ने ली क्लास तो आधी रात बदला आदेश, पहले सस्पेंड, 12 घंटे में बहाल और चार घंटे में फिर निलंबित...
NPG Big Impact: स्कूल शिक्षा विभाग के एक खटराल ज्वाइंट डायरेक्टर ने सक्ती कलेक्टर के लेटर पर शिक्षिका कैडर एक ब्लॉक स्त्रोत समन्वय को निलंबित कर दिया। मगर पता नहीं ऐसी कौन सी चकरी चली कि 24 घंटे बाद अपने ही आदेश को निरस्त का फिर बहाल कर दिया। उसने हाई कोर्ट के स्टे का हवाला दिया। जबकि, हाई कोर्ट ने कोई स्टे नहीं दिया है। एनपीजी न्यूज की खबर के बाद जब बवाल मचा और सिकरेट्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने चमकाया तो आधी रात उसने आदेश बदल दिया। एनपीजी ने खबर प्रकाशित होने के बाद सिद्धार्थ से बात की तो उन्होंने कहा था, मैंने रिपोर्ट मांगी है...गलत हुआ तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी। नीचे पढ़िये हाई कोर्ट के आदेश के संदर्भ में जेडी ने क्या सफाई दी है।
NPG Big Impact: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे तेज न्यूज वेबसाइट एनपीजी न्यूज ने शुक्रवार 27 दिसंबर को शाम 7.30 बजे जेडी का दुःसाहसः करोड़ों के गबन में बीआरसी को निलंबित कर 24 घंटे में कर दिया बहाल, हाई कोर्ट के आदेश का किया गलत व्याख्या हेडलाइन से खबर प्रकाशित किया था। जिसमें खुलासा किया गया था कि स्कूल शिक्षा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर बिलासपुर संभाग ने कैसे छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के नियमों की गलत व्याख्या करते हुए करोड़ों के घपले की आरोपी बीआरसी का निलंबन 24 घंटे में समाप्त कर दिया था। अफसर
विधि विशेषज्ञों ने भी यह बात कही थी कि यह तो सीधा-सीधा न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के साथ ही चारसौबीसी का मामला बनता है। हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की सिंगल बेंच ने राज्य शासन के अधिवक्ता के अनुरोध पर जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
जेडी ने हाई कोर्ट का स्टे बताते हुए महिला बीआरसी को 24 घंटे में बहाल कर दिया। इसके लिए उसने अपने ही आदेश को पलट दिया। दरअसल, महिला बीआरसी 31 दिसंबर को रिटायर होने वाली है। सो, कुछ चकरी चली होगी और जेडी ने अपने ही आदेश को पलट दिया।
एनपीपी न्यूज में कल खबर प्रकाशित होने के बाद धमाका हुआ। स्कूल शिक्षा सविच ने एनपीजी न्यूज की खबर पर संज्ञान लेते हुए उन्होंने डायरेक्ट्रेट से रात में ही रिपोर्ट मंगाई। उन्हें पता चला कि हाई कोर्ट के आदेश का गलत व्याख्या कर महिला बीआरसी को फायदा पहुंचाया गया है। उन्होंने रात में ही अफसरों को तुरंत आदेश बदलने का निर्देश दे दिए थे। बताते हैं, खबर प्रकाशित होने के चार घंटे बाद रात करीब 11 बजे जेडी ने महिला बीआरसी को फिर से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। कल रात में ही एनपीजी न्यूज ने स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ परदेशी से बात की थी। उन्होंने बताया कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में आदेश बदलने का आदेश उन्होंने दे दिया है।
संयुक्त संचालक शिक्षा बिलासपुर संभाग ने बीते तीन दिनों के भीतर गजब कर दिया। सक्ती जिले के मालखरौदा में पदस्थ बीआरसी को करोड़ों के घोटाले के आरोप में पहले निलंबित किया, हाई कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए महज 24 घंटे के भीतर आदेश को पलटते हुए निलंबन बहाली का विवादित आदेश जारी कर दिया। इस पूरे मामले को लेकर जब छच्ळ ने पूरे मामले का शुक्रवार शाम 7.30 बजे रिपोर्ट प्रकाशित तब रातों-रात एक बार फिर जेडी ने अपने आदेश को दोबारा पलटते हुए करोड़ों के घपले के आरोप में बीआरसी सविता त्रिवेदी को निलंबित कर दिया है।
कलेक्टर की अनुशंसा को बताया धता
कलेक्टर सक्ती की अनुशंसा पर संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर ने सविता त्रिवेदी विकास खंड स्त्रोत समन्वयक, (मूल पद प्रधान पाठक) विकासखंड मालखरौदा को निलंबित कर दिया था। सविता त्रिवेदी पर करोड़ों रुपये की गड़बड़ी का गंभीर आरोप कलेक्टर सक्ती ने लगाया है। जांच पड़ताल में इस बात की पुष्टि होने की जानकारी भी दी है। जेडी बिलासपुर ने अपने आदेश को महज तीन दिनों के भीतर ही पलट दिया है। एक तरह से उसने कलेक्टर सक्ती के आदेश और अनुशंसा को ही धता बता दिया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जांच कमेटी ने विवादित बीआरसी त्रिवेदी के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करते हुए करोड़ों के घपले की पुष्टि भी की है और कलेक्टर को सौंपे रिपोर्ट में कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा भी कमेटी ने की है। पर सब बातों और रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए जेडी ने विवादित आदेश जारी कर घपलेबाज बीआरसी को अभयदान देने की कोशिश की। इसके लिए जेडी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले की अपनी और विवादित बीआरसी की सुविधानुसार व्याख्या भी कर ली और आदेश को पलट भी दिया। शिक्षा जगत में इस बात की चर्चा तेज होती रही है कि हाई कोर्ट के निर्देश की गलत व्याख्या या जानबुझकर पलटे गए गए आदेश के पीछे की मंशा क्या है।
लीगल सेल ने क्यों नहीं ली राय
जेडी ने हाई कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या जानबूझकर की या फिर अनजाने में। इसे लेकर चर्चा छिड़ गई है। वैसे भी स्कूल शिक्षा विभाग में लीगल सेल कार्य करता है। जब हाई कोर्ट का निर्देश आया तब जेडी ने लीगल सेल से सलाह मशविरा या परामर्श क्यों नहीं लिया, यह भी बड़ा सवाल है।
दरअसल 24 दिसम्बर को बिलासपुर जेडी आर पी आदित्य ने एक आदेश जारी कर जिला सक्ति की महिला प्रधान पाठक सविता त्रिवेदी को निलंबित कर दिया था। जारी निलंबन आदेश में जेडी ने लिखा है कि महिला प्रधान पाठक त्रिवेदी पर करोड़ों के गबन का आरोप है। सक्ती के कलेक्टर ने करोड़ों के गबन के आरोप में प्रधान पाठक सविता त्रिवेदी के खिलाफ कार्रवाई करने 12 दिसम्बर को जेडी को पत्र लिखा था । इसके बाद जेडी ने 24 दिसंबर को पत्र जारी कर महिला प्रधान पाठक सविता त्रिवेदी को निलंबित कर दिया था । आदेश जारी करने के तीन दिन बाद यानी शुक्रवार 27 दिसंबर को जेडी ने एक नया आदेश जारी किया है। जिसके अनुसार महिला शिक्षिका ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और बिलासपुर हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर को सुनवाई में इस मामले में महिला शिक्षिका को अंतिम राहत दी है । हाई कोर्ट के आदेश को आधार बनाते हुए जेडी ने अपने 24 तारीख के आदेश को निरस्त कर दिया है ।
यह तो अवमानना और चारसौबीसी का बनता है मामला
जेडी ने निलंबन आदेश को रद्द करते हुए लिखा है कि महिला शिक्षिका को हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई है। 16 दिसंबर को महिला शिक्षिका को हाई कोर्ट से राहत मिलने की बात कही जा रही है। जेडी ने 24 दिसंबर को निलंबन आदेश किस आधार पर जारी कर दिया। हाई कोर्ट के आदेश के आठ दिन बाद कार्रवाई को लेकर सवाल उठ खड़ा हुआ है। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि जेडी ने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए निलंबन समाप्त किया है तो यह तो न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का मामला बनता है।
हाई कोर्ट ने शासन को जवाब पेश करने दिया है समय
याचिकाकर्ता शिक्षिका ने जेडी की कार्रवाई से पहले हाई कोर्ट से अंतरिम राहत की मांग की थी। राज्य शासन ने जवाब पेश करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की थी। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने राज्य शासन को जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह की मोहलत दी है।
कलेक्टर सक्ती के आदेश पर पहले किया अमल, फिर पलटने की चालाकी भी दिखाई
कलेक्टर सक्ती के पत्र 12.12.2024 को जेडी को पत्र लिखकर कार्रवाई की अनुशंसा की थी। जेडी ने कलेक्टर के पत्र का हवाला देते हुए अपने निलंबन आदेश में लिखा है कि सविता त्रिवेदी विकास खंड स्त्रोत समन्वयक, (मूल पद प्रधान पाठक) विकासखंड मालखरौदा के विरूद्ध करोड़ो रूपये का गबन/आर्थिक अनियमितता किये जाने संबंधी शिकायत में प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने के कारण उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा कलेक्टर सक्ती द्वारा 12.12.2024 के माध्यम से संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय नवा रायपुर में प्रस्तुत की गई। सविता त्रिवेदी का उक्त कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम-3 के विपरीत गंभीर कदाचार की श्रेणी में आता हैं।
छग सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) 1965 के नियम-20 तथा 21 के अनुसार प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत् शासकीय सेवक को निलंबित करने तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की शक्ति के तहत् एवं कलेक्टर सक्ती से प्राप्त अनुशंसा के आधार पर सविता त्रिवेदी, विकास खंड स्त्रोत समन्वयक, (मूल पद प्रधान पाठक) विकासखंड मालखरौदा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता हैं तथा इनका मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय सक्ती नियत किया जाता हैं। निलंबन अवधि में सविता त्रिवेदी को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।
कार्रवाई के बाद जेडी ने इनको दी थी जानकारी
- संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय, स्कूल शिक्षा विभाग छग
- कलेक्टर जिला सक्ती / जांजगीर-चांपा
- जिला शिक्षा अधिकारी सक्ती
- जिला मिशन समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान, जिला जांजगीर-चांपा
- विकास खंड शिक्षा अधिकारी मालखरौदा जिला सक्ती
- प्रधान पाठक शास.पू.मा.शाला पिहरीद वि.खं. मालखरौदा जिला सक्ती
- सविता त्रिवेदी विकास खंड स्त्रोत समन्वयक, विकासखंड मालखरौदा जिला सक्ती
यहां देखिए आदेश |