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Guru Ghasidas University: भगवान बिरसा मुण्डा का योगदान अविस्मरणीय: कुलपति प्रो.आलोक कुमार चक्रवाल गुरु घासीदास विश्वविद्यालय मे जनजातीय गौरव सप्ताह का शुभारंभ

Guru Ghasidas University: भगवान बिरसा मुण्डा का योगदान अविस्मरणीय: कुलपति प्रो.आलोक कुमार चक्रवाल गुरु घासीदास विश्वविद्यालय मे जनजातीय गौरव सप्ताह का शुभारंभ
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By SANTOSH

CG News: Guru Ghasidas University: बिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में बुधवार को भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव सप्ताह की शुरूआत हुई। विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार के कक्ष क्रमांक 01 में विश्वविद्यालय के मानवविज्ञान एवं जनजातीय विकास विभाग तथा इतिहास विभाग द्र्वारा दिनांक 15 नवंबर से 26 नवंबर तक आयोजित जनजातीय गौरव सप्ताह के उद्घाटन समारोह में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कार्यक्रम के संरक्षक माननीय कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने भगवान बिरसा मुंडा को नमन करते हुए जनजातीय गौरव दिवस की सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बेहद कम उम्र में आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा और राष्ट्र सेवा करने में उनके द्वारा दिया गया महान योगदान हम सबके लिए प्रेरणादायक है। वह हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं। संस्कृति, सम्मान और स्वतंत्रता के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले जननायक भगवान बिरसा मुण्डा के जीवन को आत्मसात करने की जरूरत भारत के प्रत्येक नागरिक को है। वे सच्चे प्रकृति प्रेमी के साथ आदिवासी अधिकारों के संघर्ष के पुरोधा थे। उन्होंने हमेशा हक अधिकारों की बात की है और अंग्रेजों से खिलाफ लड़ाई लड़ी है। ऐसे वीर पुरुष धरती में विरले ही होते हैं। यही वजह है कि भारत में उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है। उनके किए गए कार्यों को देश कभी नहीं भूल सकता। उनका योगदान अविस्मरणीय है।

इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ आशुतोष शांडिल्य, गवर्मेंट डेंटल कॉलेज, रायपुर ने बिरसा मुंडा को याद किया गया। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान बिरसा मुंडा ने समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है। उन्होंने हमेशा आदिवासियों को आगे बढ़ाने और उनके उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। जल, जंगल, जमीन और आदिवासी अस्मिता के लिए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया। जनजाति समाज जंगल का राजा है वो किसी की गुलामी बर्दाश्त नही करता।

वहीं, मुख्य अतिथि प्रोफेसर अशोक कुमार प्रधान ने भगवान बिरसा मुंडा एवं आदिवासी क्रांतिकारियों की कुर्बानियों को याद करते हुए आदिवासी समाज की सामाजिक एवं सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। आदिवासी समाज की संस्कृति काफी समृद्घ हैं। हमें उनकी ज्ञान परम्परा को जानने, समझने और देश के विकास हेतु आत्मसात करने की आवश्यकता है।

इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल, मानवविज्ञान संकाय पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के प्रोफेसर अशोक कुमार एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. आशुतोष शांडिल्य, प्रभारी कुलसचिव डॉ. सूरज मेहर, कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर मुकेश कुमार सिंह, सह-समन्वयक डॉ. सुबल दास और डॉ. घनश्याम दुबे ने दीप प्रज्वलित कर तथा मां सरस्वती, संत गुरु घासीदास एवं भगवान बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर किया। अतिथियों का स्वागत नन्हें पौधों से किया गया। इस मौके पर अतिथियों को शॉल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सह समन्वयक डॉ. घनश्याम दुबे ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, अधिकारीगण समेत छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

SANTOSH

कपिल मरकाम बिलासपुर चौकसे इंजिनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएट करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। वर्तमान में NPG.NEWS से जुड़े हुए है। मूलतः मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के रहने वाले हैं।

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