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GGU News: पंचकोषीय ज्ञान से विद्यार्थियों का चरित्र एवं व्यक्तित्व विकास संभव, जीजीयू इसका कोर्स प्रारंभ करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालयः कोठारी

गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास शिक्षा का केन्द्रीय तत्व है।

GGU News: पंचकोषीय ज्ञान से विद्यार्थियों का चरित्र एवं व्यक्तित्व विकास संभव, जीजीयू इसका कोर्स प्रारंभ करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालयः कोठारी
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By sangeeta

बिलासपुर। गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व के समग्र विकास विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी के मुख्य आतिथ्य में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की। विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय पहला विश्वविद्यालय बनने जा रहा है जहां चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास को स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने पर सक्रियता के साथ कार्य संपादित हो रहा है।

डॉ. कोठारी ने चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व के समग्र विकास की भारतीय संकल्पना विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय वैभवशाली एवं गौरवशाली पंचकोषीय ज्ञान अवधारणा से विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण एवं समग्र व्यक्तित्व विकास संभव है। उन्होंने पंचकोषीय अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय एवं आनंदमय कोष के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सामान्य भाषा में ये कोष शरीर, प्राण, मन, बुद्धि एवं आत्मा के रूप में जाने जाते हैं जो सभी विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के समग्र विकास के लिए आवश्यक हैं। डॉ. कोठारी ने कहा कि शिक्षा दिल, दिमाग और हाथ के मध्य समन्यक एवं संतुलन पैदा करती है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास शिक्षा का केन्द्रीय तत्व है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्राथमिक उद्देश्यों में विद्यार्थियों के समग्र विकास के दृष्टिकोण से उन्हें स्वावलंबी बनाने के साथ संवेदनशील एवं समाज के हित प्रहरी के रूप में विकसित करना है जो इस कार्यशाला के प्रशिक्षण का आधार है। इस कार्यशाला में मूल्यपरक शिक्षा की अवधारणा को व्यावहारिक धरातल पर मूर्तरूप देने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके माध्यम से विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध पाठ्यक्रम में आवश्यक संशोधन करते हुए चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास के विभिन्न विषयों को समाहित करने का प्रयास किया जाएगा।

कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि चरित्र निर्माण का कार्य मां से प्रारंभ होता है जिसे गुरु दिशा प्रदान करता है। उन्होंने विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के संवाद को उद्धृत करते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण ही है। भारत को विश्व गुरु बनाना है तो हमें चरित्रवान, स्वावलंबी, आत्मनिर्भर एवं कौशलयुक्त युवाओं को तैयार करना होगा।

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर मां सरस्वती एवं बाबा घासीदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। मंचस्थ अतिथियों का नन्हा पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यशाला के समन्वयक प्रो. पी.के. बाजपेयी ने अतिथियों का स्वागत किया। श्री देशराज शर्मा, पूर्व प्राचार्य, सर्वहितकारी विद्या मंदिर, तलवाडा, पंजाब ने कार्यशाला के विषय में जानकारी साझा करते कहा कि शिक्षा मनुष्य एवं समाज के कल्याण के लिए है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारत के प्राचीन ज्ञान परंपरा को आधार बनाया गया। अन्य मंचस्थ अतिथियों डॉ. अजय तिवारी कुलाधिपति स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय, सागर म.प्र. एवं कार्यशाला के सह-समन्वयक प्रो. प्रवीण कुमार मिश्रा रहे।

400 से ज्यादा शिक्षक प्रतिभागी

इस कार्यशाला में 400 से ज्यादा शिक्षकों ने प्रतिभागी के रूप में सहभागिता की। कार्यशाला में 20 समूहों का गठन किया गया है। जो प्रशिक्षण के विभिन्न विषयों पर विचार, परिचर्चा विश्लेषण, समीक्षा एवं निष्कषों का लेखन करेंगे।

देश के 9 विषय विशेषज्ञ होंगे शामिल

डॉ. अतुल कोठारी राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली, श्री देशराज शर्मा, पूर्व प्राचार्य, सर्वहितकारी विद्या मंदिर, तलवाडा, पंजाब, डॉ. अजय तिवारी कुलाधिपति स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय, सागर म.प्र., डॉ. मनोहर भंडारी एमबीबीएस एमडी, इंदौर म.प्र., श्री जयेन्द्र जाधव सदस्य सचिव गुजरात साहित्य अकादमी गुजरात एवं श्री संजय शर्मा डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर म.प्र. शामिल हैं।

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