Exam Tips For Parents: एक्ज़ाम है तो तनाव तो होगा ही, इन टिप्स को फाॅलो करें पैरेंट्स ताकि हो सके बच्चे की मदद
Exam Tips For Parents
NPG DESK
Exam Tips For Parents:; अब एक-एक कर छोटी-बड़ी सभी क्लासेज़ के एक्ज़ाम पास आ रहे हैं। एक्ज़ाम का तनाव से गहरा नाता रहा है। ब्रिलिएंट स्टुडेंट्स की धड़कनें भी एक्ज़ाम के पास अमूमन बढ़ ही जाती हैं। लेकिन हर बच्चा टाॅपर नहीं होता है। 90+ की जंग में कूदने के बजाय अपने बच्चे को अच्छा और तनाव को हल्का करने वाला माहौल देने की ज़िम्मेदारी पैरेंट्स की है। कुछ सरल से ये टिप्स आपके लिए कारगर हो सकते हैं।
बच्चे की क्षमता समझें और बेहतर सलाह दें
ये सबसे ज़रूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चे की मानसिक क्षमता समझें और उससे न तो ज़रूरत से ज्यादा उम्मीद लगाएं और न ही प्रैशर बनाएं। हर बच्चा टाॅपर नहीं होता है। और न ही यह ज़रूरी है कि टाॅपर बच्चा ही आगे जाकर विशेष उपलब्धि हासिल कर सकेगा। बहुत से एवरेज स्टुडेंट्स आगे जाकर कमाल कर दिखाते हैं। तो बच्चे को प्रोत्साहन दें और पहले से बेहतर प्रदर्शन के लिए यथासंभव मदद करें।
बच्चे को थोड़ा स्पेस भी दें
अब बेहद सख्त पैरेंटिंग का दौर नहीं है। अगर एक्ज़ाम की फाइनल तैयारी और उसके टाइम टेबल को लेकर आपकी और बच्चे की सोच अलग है तो उनकी बात को समझने का प्रयास करें। थोपे गए टाइम टेबल के बजाय बच्चा अपनी सहूलियत से अगर विभिन्न सब्जेक्ट को समय देना चाहता है तो उसे ऐसा करने दें। हां, बीच-बीच में अपडेट्स लेते रहें कि उसकी तैयारी सही गति से आगे बढ़ रही है या नहीं।
तनाव को हल्का करने में मदद करें
एक्ज़ाम की तैयारी के दौरान तनाव लाज़मी है। कुछ बच्चे तो साल भर की मेहनत के बावजूद इतने नर्वस हो जाते हैं कि उन्हें लगता है जैसे सब कुछ दिमाग से डिलीट हो चुका है। उस मनोदशा को समझें। हाइपर हो कर झल्लाएं नहीं। पढ़ाई के बीच कुछ हंसी-मजाक चलने दें। ब्रेक में उसे गाने सुनने या खेलने दें। या जो भी उसकी पसंद की गतिविधि हो, उसे उसमें शामिल होने दें।
बच्चा घबराया है तो अपनी तारीफ़ों के पुल न बांधें
बच्चा जब घबराया और थोड़ा निराश है तो उसकी उम्र में आपने जो झंडे गाड़े थे, उनका गाना न गाएं, बल्कि अपनी भी कमियां बताएं, उस दौरान खुद की हालत पर थोड़ा हंस लें। बच्चे का मनोबल बढ़ेगा कि सब परेशान होते हैं। वो अकेला ही नहीं है जो घबरा रहा है।
खानपान और नींद का ख्याल रखें
ये बेसिक ज़रूरतें हैं। बच्चे का खानपान न भारी हो और ऐसा न ही वह तनाव में इतना कम खाए कि कमज़ोर हो जाए। उसे चक्कर आने लगें। खानपान बैलेंस्ड हो। चाय-काॅफी कम दें और एकदम स्ट्रिक्टली मना भी न करें। एक-दो बार थोड़ी चाय-काॅफी देने में कोई दिक्कत नहीं है।
बच्चे की नींद पूरी हो, यह बहुत ज़रूरी है। घबराहट में पूरी रात न पढ़ने दें। छोटे टुकड़ों में पढ़ाई को बांटने की सलाह दें ताकि वो तय समय में पूरी हो जाए।
डाउट्स क्लियर करने में मदद करें
यदि बच्चा कहीं अटक रहा है तो उलाहना न दें कि साल भर क्या कर रहे थे। यथासंभव सहायता करें और यदि आपके लिए वह विषय कठिन हो तो बेहतर सलाह के लिए किसके पास जाना चाहिए,बच्चे को बताएं। टीचर से मदद लेने में संकोच न करें। टीचर से फोन पर खुद बात करें और बच्चे की समस्या बताएं। टीचर निश्चय ही मदद करेंगे।
ताने न दें
अगर बच्चे का प्रदर्शन आपके मन मुताबिक नहीं रहा है तो यह कहकर उसका मन न तोड़ें कि तुम तो हर बार ही नाक कटाते हो। बच्चे से कहें कि वह पिछली बार से अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम है, बस थोड़ा-सा और ध्यान देने की ज़रूरत है। आपके प्यार भरे शब्दों से बच्चा रिलैक्स होगा। हीन भावना कम होगी और क्रमशः बेहतर प्रदर्शन भी करेगा।