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उद्यमिता विकास से विद्यार्थी रोजगार मांगने नहीं बल्कि देने वाले बनेंगे: नीलंबरी दवे, GGU के वानिकी विभाग का कार्यशाला

उद्यमिता विकास से विद्यार्थी रोजगार मांगने नहीं बल्कि देने वाले बनेंगे: नीलंबरी दवे, GGU के वानिकी विभाग का कार्यशाला
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By NPG News

बिलासपुर। गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आज कौशल विकास के अंतर्गत सस्टेनेबिलिटी एंड इट्स एंटरप्रेन्योरियल एप्रोच विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला का समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया। वानिकी विभाग द्वारा 26 से 30 सितंबर तक आयोजित इस कार्यशाला के समापन समारोह की मुख्य अतिथि प्रो. नीलांबरी दवे, पूर्व कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट गुजरात रहीं। विशिष्ट अतिथि प्रो. रश्मि अग्रवाल एवं अध्यक्षता वानिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. के.के. चंद्रा ने की। कार्यशाला की समन्वयक डॉ. भावना दीक्षित एवं डॉ. गुंजन पाटिल सहायक प्राध्यापक वानिकी विभाग रहीं।

दीप प्रज्जवलन एवं अतिथियों के स्वागत उपरांत कार्यशाला की समन्वयक डॉ. भावना दीक्षित सहायक प्राध्यापक वानिकी विभाग ने पांच दिवसीय कार्यशाला का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल की महात्वाकांक्षी योजना स्वावलंबी छत्तीसगढ़ के वृह्द स्वरूप का हिस्सा है। इसके अतंर्गत युवाओं को आत्मनिर्भर बनने एवं स्वयं की क्षमता को व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया गया। इन पांच दिनों में विद्यार्थियों को वेस्ट को बेस्ट में बदलने के साथ ही उद्यमिता से जुड़े व्यावहारिक पहलूओं पर विषय विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की गई।

समापन समारोह की मुख्य अतिथि प्रो. नीलांबरी दवे, पूर्व कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट गुजरात ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार विद्यार्थियों को सामान्य शिक्षा के साथ कौशल विकास एवं अनुभवजन्य शिक्षा पर बल दिया गया है। उद्यमिता विकास के माध्यम से विद्यार्थी रोजगार लेने वाले नहीं बल्कि देने वाले बनेंगे। विद्यार्थियों में असीम प्रतिभाएं समाहित हैं, इस प्रकार की कार्यशालाओं से उन्हें अभिव्यक्ति का अवसर प्राप्त होता है। घर में बेकार पड़े सामान को सुंदर, सजावट के साथ दोबार बेहतर उपयोग के लिए तैयार किया जाना विद्यार्थियों की उपलब्धि है। उन्होंने वानिकी विभाग से आव्हान किया कि वर्तमान समय में ऐसे उत्पादों के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध है। विभिन्न माध्यमों के जरिए इसके विपणन और वितरण की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने श्रेष्ठ उत्पाद बनाने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र भेंट किये। प्रो. दवे ने विद्यार्थियों द्वारा तैयार किये गये उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन कर सराहना की। विद्यार्थियों ने बेस्ट ऑफ ऑफ वेस्ट से तैयार किये गये उत्पाद प्रो. दवे को भेंट किये।

वानिकी विभाग की वरिष्ठ आचार्य एवं कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रो. रश्मि अग्रवाल ने कहा कि वानिकी विभाग के विद्यार्थी उद्यमिता के क्षेत्र में निरंतर प्रयासरत हैं। आने वाले समय में इन उत्पादों को वृहद स्तर पर बनाने एवं इसकी प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. के.के. चंद्रा ने कहा कि विभाग विद्यार्थियों के कौशल विकास एवं उद्यमिता के साथ वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम निर्माण की दिशा में कार्य कर रहा है। पांच दिवसीय कार्यशाला की सफलता के लिए उन्होंने सभी आयोजकों को बधाई दी।

इस कार्यशाला में अचानकमार टाइगर रिजर्व बिलासपुर के सीसीएफ वाइल्ड लाइफ एंड पील्ड डायरेक्टर श्री एस. जगदीशन ने सस्टेनेबिलिटी एंड कंज्यूमरिज्म-प्रोडक्ट्स बेस्ट ऑउट ऑफ वेस्ट विषय पर व्याख्यान दिया। वहीं विभिन्न विषय विशेषज्ञों जिनमें श्रीमती संध्या कौशिक, प्रो. एस.एस. सिंह, डॉ. कौशिक मोदी, श्री अनुपम डे, प्रो. एस.एस. धूरिया, श्री विपिन दुबे, प्रो. एस.सी. तिवारी, प्रो. रश्मि अग्रवाल, डॉ. भावना दीक्षित, श्री भास्कर दुबे, श्री सोनू मिश्रा एवं प्रो. के.के. चंद्रा द्वारा विभिन्न विषयों पर सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी प्रतिभागियों से साझा की गई। विद्यार्थियों द्वारा पांच दिनों तक किये गये कार्यों को प्रदर्शनी के माध्यम से प्रस्तुत किया।

समापन कार्यक्रम में पांच दिवसीय कार्यशाला में विद्यार्थियों द्वारा बनाये गये वीडियो एवं फोटो की एक शॉर्ट फिल्म का प्रस्तुतिकरण भी किया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला की समन्वयक एवं वानिकी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. गुंजन पाटिल ने किया। इस कार्यशाला में 55 विद्यार्थियों ने पंजीयन कराया।

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