Education News: क्या कोर्ट के सुझाव से निकल पाएगा D.ed, B.ed विवाद का हल, सुझाव को लेकर यह है सबसे बड़ी चुनौती
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Education News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग बी एड / डी एड मामले में बुरी तरह घिर चुका है । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जहां एक तरफ डिप्लोमाधारी को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति देने की अनिवार्यता है वहीं दूसरी तरफ इन पदों पर पहले से नियुक्त हो चुके b.ed डिग्री धारी को हटाने की भी बड़ी चुनौती है।
सरकार के सामबे बड़ी चुनौती
सरकार यहीं पर फंस जा रही है क्योंकि जो 1 साल से भी अधिक समय तक नौकरी कर चुके हैं , उन्हें नौकरी से हटाना मतलब सीधेतौर पर 3000 परिवारों को नाराज करना और ऐसी स्थिति में क्या अप्रिय स्थिति बनेगी उसे भी लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता । ऐसे भी इस पूरे मामले में बीएड डिग्रीधारी की कोई गलती नहीं है । पिछली सरकार ने सब कुछ जानते हुए भी इन्हें नियुक्ति दी थी. इसके बाद यह स्थिति निर्मित हुई है. इधर नियुक्ति न मिलने से परेशान डिप्लोमाधारी ने हर प्रकार का प्रदर्शन करके देख लिया, लेकिन उनके हित में किसी प्रकार का कोई निर्णय न लेता देखकर उन्होंने मजबूरी में फिर से हाईकोर्ट का रुख किया है और अवमानना का मामला दर्ज कराया है ।
कोर्ट ने दिया सुझाव
इसी मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार को यह सुझाव दिया कि सरकार चाहे तो पहले से नियुक्त बीएड डिग्री धारी को उच्च पद यानी शिक्षक पद पर नियुक्ति दे दे और इसी को लेकर अब नया बवाल खड़ा हो गया है ।
क्या है इसे लेकर चुनौती ?
दरअसल कोर्ट ने सहायक शिक्षकों को शिक्षक बनाने का सुझाव दिया है इसे लेकर सबसे बड़ी चुनौती यह है कि दो दशक से भी अधिक समय से स्कूल शिक्षा विभाग को सेवा दे रहे शिक्षक अभी भी पदोन्नति के अभाव में सहायक शिक्षक के पद पर ही कार्यरत हैं सीधे तौर पर सरकार को उनका विरोध झेलना पड़ेगा. जिसकी शुरुआत सोशल मीडिया में हो चुकी है.
एक संभावना ऐसी भी
वह शिक्षक भी न्यायालय की ओर रुख करेंगे जिन्हे पदोन्नति मिली नहीं है. यह शिक्षक जो मूल रूप से सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे यदि उन्हें शिक्षक बना दिया गया तो पद में वह उनसे बड़े हो जाएंगे और इसके बाद भविष्य में जब पदोन्नति होगी तो वह शिक्षक पद में अभी फिलहाल कम कर रहे रेगुलर सहायक शिक्षकों से ऊपर रहेंगे । इससे पहले कई शिक्षक संगठनों ने भी इसी प्रकार का सुझाव सरकार को दिया था लेकिन सहायक शिक्षक जो पहले से कार्यरत हैं ने इस मामले को ध्यान नहीं दिया था अब जब न्यायालय की तरफ से इसी प्रकार का सुझाव आया है तो इसे लेकर प्रदेश के सहायक शिक्षकों में जबरदस्त नाराजगी है क्योंकि सीधे तौर पर यदि सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए नव नियुक्त शिक्षकों को लाभ देते हुए शिक्षक बना दिया गया तो वह शिक्षक पद पर उनसे सीनियर हो जाएंगे जो की कतई बर्दाश्त करने योग्य नहीं है ।
परीक्षा और मापदंड अलग अलग
शिक्षक पद के लिए अनिवार्य योग्यता टेट और b.ed है और शिक्षक पद के लिए जो टेट परीक्षा आयोजित की जाती है वह प्राथमिक स्कूल के लिए अलग और मिडिल स्कूल के लिए अलग होती है. ऐसे में यह जरूरी नहीं कि जिन शिक्षकों ने प्राथमिक स्कूल के लिए टीईटी पास करके रखा है और नौकरी हासिल की है उनके पास मिडिल स्कूल के लिए भी टीईटी की डिग्री हो । कुल मिलाकर यह सुझाव देखने में तो आकर्षक लगता है लेकिन पहले से कार्यरत शिक्षकों के लिए यह अत्यंत हानिकारक और मामले को अधिक उलझने वाला साबित हो सकता है . यदि सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया तो पहले से कार्यरत सहायक शिक्षक न्यायालय की शरण लेंगे और सरकार के विरुद्ध उनका गुस्सा भी फूट पड़ेगा. यही वजह है कि सरकार को इस मामले में इस बात को भी ध्यान देना होगा की कही इस प्रकार का कदम उनके लिए आत्मघाती साबित न हो जाए ।