CM विष्णुदेव साय द्वारा युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता, संवेदनशीलता और नीति-आधारित दृष्टिकोण के साथ हुई संपन्न, स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था सशक्त, शिक्षकों का कोई भी पद समाप्त नहीं किया गया
शिक्षकों के किसी भी पद को समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ और संगठित किया गया है...

रायपुर। शिक्षा की गुणवत्ता और सुगमता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता, संवेदनशीलता और नीति-आधारित दृष्टिकोण के साथ संपन्न की गई है। इस प्रक्रिया में शिक्षकों के किसी भी पद को समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ और संगठित किया गया है।
राज्य में युक्तियुक्तकरण से पहले की स्थिति अत्यंत असंतुलित थी। प्रदेश में शून्य दर्ज संख्या वाली 211 शालाएं संचालित थीं, जिनमें कुछ में शिक्षक पदस्थ भी थे। इसके अतिरिक्त, 453 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल तथा हायर सेकेण्डरी शालाएं शिक्षक विहीन थीं। साथ ही, 5936 शालाएं एकल शिक्षकीय थीं, जिनमें सभी स्तर की शालाएं सम्मिलित थीं। यह स्थिति निःसंदेह शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही थी।
वहीं दूसरी ओर, कुछ प्राथमिक शालाओं में अनुचित शिक्षक-संख्या की अधिकता देखी गई — 8 प्राथमिक शालाओं में 15 से अधिक शिक्षक, 61 में 10 से 14 शिक्षक, तथा 749 प्राथमिक शालाओं में 6 से 9 शिक्षक कार्यरत थे। पूर्व माध्यमिक स्तर पर भी यही असंतुलन था — 9 शालाओं में 15 या उससे अधिक, 90 में 10 से 14, तथा 1641 पूर्व माध्यमिक शालाओं में 6 से 9 शिक्षक कार्यरत पाए गए।
प्रदेश में कई स्थानों पर एक ही परिसर में प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी शालाएं अलग-अलग प्रशासनिक नियंत्रण में संचालित थीं, जिससे प्रबंधन में भी जटिलताएँ उत्पन्न हो रही थीं। इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं, 01 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित दूसरी शालाओं के समानांतर संचालित थीं। शहरी क्षेत्रों में यह स्थिति और भी अधिक घनत्व वाली थी — 500 मीटर से कम दूरी पर 30 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं संचालित थीं। इस असमानता को समाप्त करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के उद्देश्यों को धरातल पर लागू करने के लिए युक्तियुक्तकरण आवश्यक था।
प्रथम चरण — विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण
इस प्रक्रिया के पहले चरण में, शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों और निर्देशों के आधार पर विकासखंड स्तर पर युक्तियुक्तकरण योग्य विद्यालयों का चयन किया गया, जिसे जिला स्तरीय समिति द्वारा परीक्षण एवं अनुशंसा उपरांत शासन को भेजा गया। इसके आधार पर कुल 10538 विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण किया गया, जिसमें 10372 एक ही परिसर में संचालित विद्यालय, 133 ग्रामीण क्षेत्र की 01 कि.मी. से कम दूरी की शालाएं, तथा 33 शहरी क्षेत्र की 500 मीटर से कम दूरी वाली शालाएं सम्मिलित हैं।
द्वितीय चरण — शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण
शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण हेतु अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन एवं गणना प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के प्रावधानानुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत की गई।इन शिक्षकों को काउंसिलिंग प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय तथा विषयवार आवश्यकता वाली शालाओं में समायोजित किया गया।
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप कुल 15165 शिक्षकों एवं प्राचार्यों का समायोजन किया गया जिससे पूर्व में 453 शिक्षक विहीन शालाएं अब पूर्णतः शिक्षक युक्त हो गई हैं। 5936 एकल शिक्षकीय शालाओं में से अब केवल 1207 प्राथमिक शालाएं शिक्षक अनुपलब्धता के कारण शेष हैं।
इस प्रक्रिया में कोई भी पद समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि प्रत्येक विद्यालय के लिए आवश्यक शिक्षक संख्या का निर्धारण शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार दर्ज संख्या के अनुपात में किया गया है।
भविष्य में यदि किसी विद्यालय की दर्ज संख्या में वृद्धि होती है, तो वहां शिक्षकों की व्यवस्था स्वीकृत पदों के अनुसार की जाएगी।
रायगढ़ के खरसिया ब्लॉक के तीन स्कूलों को युक्तियुक्तकरण से मिले 11 विषय-विशेषज्ञ व्याख्याता
राज्य शासन की युक्तियुक्तकरण नीति से रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखंड के कई स्कूलों में शिक्षा का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। लंबे समय से विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यार्थियों को अब राहत मिली है। युक्तियुक्तकरण के तहत खरसिया ब्लॉक के तीन हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में कुल 11 व्याख्याताओं की पदस्थापना की गई है। इससे न केवल स्कूलों में पढ़ाई की गति तेज हुई है, बल्कि विद्यार्थियों में भी नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की उपलब्धता से छात्रों को अब गणित के जटिल सवाल, जीवविज्ञान के कांसेप्ट और अर्थशास्त्र की गूढ़ थ्योरी को समझने में आसानी हो रही है। विज्ञान और वाणिज्य संकाय के विषयों में विशेषज्ञता बेहद महत्वपूर्ण होती है, जिससे छात्रों की बुनियाद मजबूत होती है। इससे उनकी परीक्षा तैयारी और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रदर्शन दोनों ही बेहतर होने की संभावना है।
शासकीय हाई स्कूल पामगढ़ में अब हिंदी, अर्थशास्त्र और संस्कृत विषयों के लिए व्याख्याता उपलब्ध हैं। शा. हाई स्कूल छोटे मुड़पार में गणित, भूगोल और संस्कृत विषयों के विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। वहीं नगर पालिका शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खरसिया में इतिहास, हिंदी, गणित, अंग्रेज़ी और जीवविज्ञान के व्याख्याता पदस्थ किए गए हैं।
इसके साथ ही खरसिया ब्लॉक के 29 एकल शिक्षकीय स्कूलों में भी शिक्षकों की नई पदस्थापना की गई है। इससे स्कूलों का संचालन सुव्यवस्थित हुआ है। नए शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ इन स्कूलों में नियमित कक्षाएं लग रही हैं और छात्रों की उपस्थिति में भी वृद्धि देखी जा रही है। पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि बढ़ी है और पालकों में भी संतोष का वातावरण है कि अब उनके बच्चों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण और मार्गदर्शन मिल रहा है।
युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के माध्यम से उन स्कूलों तक शिक्षकों की पहुंच सुनिश्चित की गई है, जो वर्षों से शिक्षक विहीन या कम शिक्षकों की स्थिति में कार्यरत थे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में चल रही इस नीति की व्यापक सराहना हो रही है। पालकों और विद्यार्थियों ने इस पहल के लिए शासन का आभार जताया है।
